हैरिटेज दर्शन का प्लान तो बढिय़ा था, बस...सफर में लोगों का साथ न मिला
मेरठ (ब्यूरो)। शहर के धार्मिक, ऐतिहासिक और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े स्थलों की यात्रा के लिए मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट की हेरिटेज दर्शन बस सेवा की पहल परिवहन निगम की लाख कोशिशों के बाद भी सफल नहीं हो पा रही है। स्थिति यह है कि तीन बार बस का संचालन शुरू होने के बाद भी यात्रियों के अभाव में यह सेवा रेग्यूलर नहीं हो पाई। 2018 के बाद से तीसरी बार इस बस का संचालन 2021 में शुरू किया गया था। लेकिन उसके कुछ माह बाद से बस की बुकिंग नाम मात्र होने के कारण हैरिटेज सेवा को साधारण रूट पर संचालित किया जा रहा है।
तीसरी बार भी संचालन विफल
गौरतलब है कि शहर के 10 से अधिक ऐतिहासिक व धार्मिक विरासतों से लोगों को रूबरू कराने के लिए 2018 में मेरठ सिटी ट्रांसपोर्ट द्वारा हर रविवार को हैरिटेज बस सेवा का शुभारंभ किया गया था। लेकिन शुरुआत के कुछ दिनों बाद ही यात्रियो की कमी के कारण बस सेवा का संचालन बंद हो गया था। इसके बाद 2020 में दोबारा बस के संचालन का प्रयास किया तो कोरोना संक्रमण के कारण इस बस का सफर बीच में ही रूक गया। इसके बाद 2021 में अक्टूूबर माह में तत्कालीन कमिश्नर सुरेंद्र सिंह ने हैरिटेज दर्शन बस सेवा को तीसरी बार शुरू किया लेकिन इसके बाद भी बस का रेग्यूलर संचालन नहीं हो पा रहा है।
दरअसल बस का संचालन तभी हो पाता है जब बस की कम से कम आधी सीट बुक हों या पूरी बस बुक कराई जाए। इसके लिए 18 हजार रुपए तक पूरी बस का बुकिंग अमाउंट तय है। वहीं प्रति यात्री टिकट 600 रुपये रखा गया है। अब रोडवेज को पूरी बस की बुकिंग नहीं मिल पाती और न ही आधी सीट हैरिटेज स्थलों के लिए बुक हो पा रही हैं। हाल ये हो गया है कि हैरिटेज दर्शन बस सेवा को तीन-तीन माह में एक बुकिंग तक नहीं मिल पा रही है।
इन 10 स्थलों के लिए शुरू हुआ था सफर
हैरिटेज दर्शन बस का संचालन जनपद के पौराणिक, धार्मिक व स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित 10 प्रमुख स्थानों का दर्शन कराने के लिए शुरू किया गया था। कमिशनरी कार्यालय
विक्टोरिया पार्क
शाहपीर का मकबरा
सेंट जॉन्स चर्च
कांच का गुरुद्वारा
काली पल्टन
हस्तिनापुर
परीक्षितगढ़
सरधना
शाही ईदगाह
शहीद स्मारक आदि हैरिटेज दर्शन बस सेवा का टिकट बहुत मंहगा है और पूरे दिन का सफर करना सबके लिए संभव नहीं है।
मनीष
अलग-अलग दिनों के हिसाब से हैरिटेज स्थलों तक बस को संचालित किया जाना चाहिए। ताकि लोग अपनी पसंद के हिसाब से सफर कर सकें।
अनुज
हरेंद्र पूरी बस की बुकिंग मिलने पर या फिर आधी से अधिक सीट बुक होने पर ही बस का संचालन संभव है। क्योंकि इससे कम पर बस के डीजल का भी औसत नहीं आता है। बुकिंग न मिलने की दशा में सामान्य रूटों पर बस का संचालन किया जा रहा है।
विपिन सक्सेना, एआरएम