मधुमक्खी के छत्ते तो अब नजर नहीं आते मगर तारों का मकडज़ाल हर तरफ हैै
मेरठ (ब्यूरो)। शहर के कई मोहल्ले ऐसे हैं, जहां बिजली के खंभों पर उलझे तार हादसों का सबब बने हैं। शहर की संकरी गलियों में बिजली तारों का यह जाल मधुमक्खी का छत्ता सरीखा नजर आता है। कहीं कनेक्शन बॉक्स खराब होकर लटके हैं तो कहीं पर बेतरतीब तरीके से फैले बिजली के तारों पर दौड़ता करंट मुसीबत बन गया है। शहर की इन्हीं गलियों में बेतरतीब फैले बिजली तारों की समस्या को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने करंट अफेयर्स नाम से अभियान चलाया था। इसके तहत शहर के मोहल्लों में बिजली के तारों की हालत की पड़ताल की गई। शहर के भोपाल विहार, शिव शक्ति नगर, सर्राफा बाजार आदि इलाकों में बिजली के तारे झूल रहे हैं। इस पर न तो बिजली के अधिकारी कुछ ध्यान दे रहे हैं तो न ही प्रशासनिक अधिकारी। हालत यह है कि कभी-कभी यहां पर भीषण हादसा हो सकता है। शहर की इसी समस्या को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर सोशल मीडिया पर सर्वे कराया गया।
सर्वे में दिखा उत्साह
सर्वे में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, व्हाट्सऐप और गूगल सर्वे के माध्यम से लोगों ने अपने विचार रखे। इस सर्वे में शहर के करीब 200 से 250 लोगों ने पार्टिसिपेट किया। सोशल मीडिया पर सर्वे के दौरान शहरवासियों ने कहा कि जगह-जगह बिजली के तारों के गुच्छे नजर आते हैैं। साथ ही कहा कि मेरठ को एक्सप्रेस-वे मिला, रैपिड व मेट्रो का तोहफा मिला लेकिन बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने का तोहफा न जाने कब मिलेगा। शहर के 75 फीसदी लोगों की राय है कि पीवीवीएनएल की ओर से बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने में लेटलतीफी बरती जा रही है।
हां- 75 फीसदी
नहीं - 10 फीसदी
पता नहीं- 15 फीसदी क्या बिजली विभाग की लापरवाही के कारण ही हाईटेंशन लाइन के नीचे बस्तियां बस गई हैं?
हां- 80 फीसदी
नहीं- 10 फीसदी
पता नहीं- 10 फीसदी क्या शहर की गलियों में बेतरतीब तरीके से फैले बिजली के तारों से शॉट सर्किट और फाल्ट की संख्या में बढ़ोतरी होती है?
हां- 87 फीसदी
नहीं- 10 फीसदी
पता नहीं- 3 फीसदी क्या शहर के कुछ इलाकों में बिजली के तारों के जाल हादसों के सबब बने हैं?
हां- 80 फीसदी
नहीं- 13 फीसदी
पता नहीं- 7 फीसदी अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर कुछ ऐसी दिखी लोगों की प्रतिक्रिया
शहर में बिजली के तारों की जंजाल हर जगह देखने को मिल जाता है। पता नहीं इनसे कब छुटकारा मिलेगा।
बिजली के तारों को अंडऱग्राउंड करने की योजना को लेकर पीवीवीएनएल गंभीर नहीं है। योजना कब से अधर में अटकी हुई है। शहर को रैपिड, मेट्रो और एक्सप्रेस-वे का तोहफा दिया जा चुका है। मगर न जाने बिजली के तारों को अंडरग्राउंड कब किया जाएगा। शहर के कई इलाकों में तो आज भी लकड़ी की बल्लियों के सहारे बिजली लाइन के जरिए कनेक्शन दिए गए हैैं। कई जगह तो शहर में ऐसे जर्जर खंभे हैैं, जिनमें हल्की-सी बारिश में ही करंट उतर आता है। मगर पीवीवीएनएल का ध्यान इस ओर है ही नहीं। शहर में जहां देखो ट्रांसफार्मर मुख्य सड़क पर ही रखे हुए हैैं। बिजली के तारों के गुच्छे फाल्ट का कारण बन रहे हैैं।