शहर में बिना कंप्लीशन सर्टिफिकेट कालोनियां और आवास विकसित हो रहे हैं


मेरठ ब्यूरो। शहर में सुनियोजित विकास का दावा करने वाला एमडीए खुद ही अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहा है। स्थिति यह है कि शहर में अवैध निर्माणों की बाढ़ सी आ गई है और खुद एमडीए की सूची में 266 के करीब अवैध निर्माण शामिल हो गए हैं। इससे भी बुरी स्थिति यह है कि एमडीए से संबद्ध 70 प्रतिशत इमारतों को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है। वहीं 269 कालोनियों में से सिर्फ 60 कालोनियों के पास ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट मौजूद है। क्या है कंप्लीशन सर्टिफिकेट


दरअसल, कोई भी निर्माण करने से पूर्व निर्माणकर्ता को मेरठ विकास प्राधिकरण से नक्शा स्वीकृत कराना होता है। इसी नक्शे के माध्यम से एमडीए संबंधित बिल्डिंग का स्ट्रक्चर तय करता है। संबंधित निर्माण पूर्ण होने के बाद निर्माणकर्ता को एमडीए से उस निर्माण का कंप्लीशन सर्टिफिकेट प्राप्त करना होता है। जब निर्माणकर्ता एमडीए में कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करता है तो प्राधिकरण की एक टीम संबंधित निर्माण को स्वीकृत नक्शे की कसौटी पर कसती है। यदि निर्माण नक्शे के मुताबिक पाया जाता है तो निर्माणकर्ता को कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। निर्माण में यदि 10 प्रतिशत से अधिक बदलाव पाया जाता है तो उस निर्माण को अवैध करार दिया जाता है।70 प्रतिशत निर्माण अधूरे

एमडीए की मानें तो शहर में 70 प्रतिशत निर्माणों को कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी नहीं किए गए हैं। शहर स्थित कई मॉल्स व बड़े-बड़े कॉंप्लेक्सेस को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट नहीं मिला है। इस लिए इन निर्माणों को अभी तक वैधता की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता है।200 से अधिक कॉलोनियां भी अूधरी वहीं वर्तमान में एमडीए से संबंद्ध 269 कॉलोनियों में से मात्र 60 कालोनियों को ही कंप्लीशन सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। यानि मात्र 60 कालोनियां ही एमडीए के मानकों पर पूरी हैं जिनको नियोजित तरीके से नक्शा पास कराकर बनाया गया है और वहां के लोगों को सभी बेसिक सुविधाएं उपलब्ध हो रही हैं। वहीं 266 के करीब अवैध कालोनियों की सूची खुद एमडीए ने अपनी वेबसाइट पर जारी की हुई है। इनमें से अधिकतर कालोनियों का विकास कोरोना काल में हुआ है। सर्टिफिकेट की आड़ में खेल

कंप्लीशन सर्टिफिकेट की आड़ में बिल्डर और एमडीए अधिकारी बड़ा खेल करने में लगे हैं। कंप्लीशन सर्टिफिकेट न लेने की सबसे बड़ी वजह नक्शे के मुताबिक निर्माण का न होना है। दरअसल, बिल्डर एमडीए से नक्शा तो स्वीकृत करा लेता है, लेकिन नक्शे की आड़ में मनचाहा निर्माण कराता है। यहां तक कि एमडीए और नक्शे के सारे नियम कायदे ताक पर रख दिए जाते हैं। यह खेल बिल्डर अकेले नहीं बल्कि एमडीए अफसरों की मदद से खेलता है। निर्माण के बाद बिल्डर न तो कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करता है और न ही एमडीए उस भवन का निरीक्षण करना मुनासिब समझता है।जनता को हो रहा नुकसानकंप्लीशन सर्टिफिकेट के बिना कोई भी कॉलोनी अपूर्ण ही मानी जाती है। यही कारण है कि नगर निगम ऐसी कॉलोनियों को टेक ओवर नहीं कर पाता। जिसका परिणाम यह निकलता है कि इन कॉलोनियों का ठीक से रखरखाव नहीं हो पाता। और यहां हमेशा बिजली, पानी व सडक़ों आदि की समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं।

कंप्लीशन सर्टिफिकेट अनिवार्य है। जो बिल्डर कंप्लीशन सर्टिफिकेट के लिए आवेदन नहीं करेगा, उस पर कार्रवाई की जाएगी।- चंद्रपाल तिवारी, सचिव

Posted By: Inextlive