वाटर प्लस सिटी की दावेदारी थोड़ी मुश्किल लगती है
मेरठ (ब्यूरो)। नगर निगम का दावा है कि इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम वाटर प्लस का अवार्ड अपने नाम कर लेगा। इसके बाद यूपी के पहले वाटर प्लस सिटी का तमगा मेरठ के नाम होगा। दावा अच्छा है और इस दावे के लिए नगर निगम अपनी तैयारियंों में भी जुटा है लेकिन हकीकत इस दावे से काफी अलग है। हकीकत में देखा जाए तो वाटर प्लस के लिए जो मानक और सुविधाएं शहर के लोगों को मिलनी चाहिए वह अभी तक मिल ही नहीं रही हैं।
वाटर प्लस सिटी का दावा
गौरतलब है कि इस नगर निगम ने इस बार वाटर प्लस सिटी के लिए अपनी दावेदारी प्रस्तुत की है। उत्तर प्रदेश का कोई भी शहर वाटर प्लस सिटी नहीं है। ऐसे में नगर निगम अपनी पूरी तैयारियों के साथ शहर में एसटीपी प्लांट से शत-प्रतिशत सीवरेज को शोधित करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है।
शोधित पानी नालों में नहीं बहे इसके लिए एसटीपी (सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट) से शोधित पानी को दोबारा उपयोग में लाने की योजना। इसके लिए नगर आयुक्त के निर्देश पर जल निगम ने 60 लाख का प्रस्ताव तैयार किया है।
प्रस्ताव को स्वीकृति के लिए अमृत 2.0 स्कीम के तहत शासन को भेजा जा चुका है।
नगर निगम को वाटर प्लस सिटी का दर्जा तभी मिल सकता है जब शहर में स्थापित सभी एसटीपी का शोधित पानी नालों में बहना बंद हो और उसका दोबारा उपयोग शुरू हो। 60 लाख का प्रस्ताव तैयार किया गया, जिसमें प्रथम चरण में कमालपुर स्थित 72 एमएलडी एसपीटी के शोधित पानी को स्टोर करने को 100 केएलडी का एक स्टोरेज टैंक बनाया जाएगा। टैंक से टैंकरों में पानी भरने की व्यवस्था रहेगी। शोधित पानी का उपयोग सड़क पर पानी छिड़काव, पार्क और ग्रीन बेल्ट के पौधों की सिंचाई, डिवाइडर और की धुलाई और भवनों के निर्माण में किया जाएगा। एमडीए के 13 एसटीपी पर भी यही व्यवस्था बनाई जाएगी। एसटीपी की स्थितिनगर निगम के दायरे में कुल 14 एसटीपी हैं।
जल निगम का एक 72 एमएलडी क्षमता का एसटीपी है।
एमडीए के 13 एसटीपी की क्षमता 107 एमएलडी है।
प्रतिदिन उत्पन्न होता है 300 एमएलडी सीवेज।
कुल सीवेज शोधन क्षमता 172 एमएलडी है।
प्रतिदिन शोधित होता है कुल 125 एमएलडी सीवेज।
220 एमएलडी का नया एसटीपी है प्रस्तावित।
अधर में 690 करोड़ की योजना
वहीं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) शुरू करने के लिए मिले 690 करोड़ रुपये का नगर निगम के अधिकारी अभी प्रयोग नही कर पाए हैं। इस बजट से नमामि गंगे योजना के तहत 220 एमएलडी का यह सीवर ट्रीटमेंट प्लांट शुरू किया जाना था। यदि यह प्लांट समय से शुरु हो जाता तो आबूनाला पार्ट-2 और ओडियन नाले से जलभराव की समस्या दूर हो जाएगी। हालांकि नगर निगम अधिकारियों ने सात जनवरी 2024 से प्लांट निर्माण का कार्य शुरू कराने की बात कही है।