मेडिकल कालेज में पांच करोड़ के बजट से आठ माह पहले तैयार हुई बर्न यूनिट आज तक चालू नहीं हो सकी है।

मेरठ (ब्यूरो)। आठ माह पहले करोड़ों की लागत से मेडिकल कॉलेज मेें बर्न यूनिट तैयार की गई तो लगा कि अब मरीजों को इलाज के लिए दिल्ली नहीं जाना पड़ेगा। मगर हालिया स्थिति यह है कि हर माह करीब 20 से 25 गंभीर जले मरीज बर्न यूनिट में इलाज के लिए पहुंचते हैैं लेकिन उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया जाता है। इसका कारण यह है कि बर्न यूनिट में कई प्रमुख इक्यूपमेंट अभी तक लगे ही नहीं हैैं। अनुराग सहदेव ने तो हैशटेग मेडिकल कॉलेज के साथ ट्वीट कर बर्न यूनिट जल्द से जल्द शुरू करने की मांग की है। जिसके बाद बर्न यूनिट शुरू करने का मुद्दा सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा है।

करोड़ों की इमारत में सीमित यूनिट
सालभर में मेडिकल कॉलेज में मेरठ और आसपास के जिलों से आने वाले जले हुए करीब 240 मरीजों को दिल्ली रेफर किया जाता था। इस समस्या को देखते हुए करीब पांच करोड़ से अधिक के बजट से गत वर्ष नवंबर माह में बर्न यूनिट में पांच बेड की आईसीयू बनाई गई थी। साथ ही 20 बेड का जनरल वार्ड तैयार किया गया था। इतना ही नहीं, सर्जन और अन्य स्टाफ के लिए भी अलग से वार्ड बनाया गया था। इस बर्न यूनिट की खासियत यह है कि इसे पूरी तरह बैक्टीरिया फ्र बनाया गया है। ताकि जले हुए मरीजों को किसी प्रकार का इंफ्ेक्शन न हो। साथ ही इस बर्न यूनिट में एसिड अटैक पीडि़ताओं के लिए खास व्यवस्थाओं के प्रबंध का भी मेडिकल कालेज प्रबंधन ने दावा किया था।

दिल्ली ही सहारा
गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज में हर माह 20 से 25 गंभीर मरीज जलने की स्थिति में आते हैं। ऐसे में कम जले मरीजों को तो मेडिकल कालेज में ही भर्ती कर लिया जाता है, लेकिन 40 प्रतिशत से अधिक जले मरीजों को दिल्ली रेफर करना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग के आंकडों के अनुसार सालभर में करीब 100 से 150 गंभीर मरीजों को रेफर करना पड़ता है।

जिला अस्पताल में भी नहीं
पीएल शर्मा जिला चिकित्सालय में भी बर्न यूनिट नहीं है। यहां जो जले हुए मरीज आते हैं उनको मेडिकल कॉलेज रेफर किया जाता है। हालांकि डायलिसिस यूनिट वाली बिल्डिंग में बर्न वार्ड बना है, लेकिन स्टाफ न होने के कारण वह संचालित नहीं हो पा रहा है।

भवन का काम पूरा हो चुका है। कुछ इक्यूपमेंट के लिए शासन से बजट का इंतजार है। जल्द बजट स्वीकृत होते ही इक्यूपमेंट लगाकर यूनिट को शुरू कर दिया जाएगा।
डॉ। आरसी गुप्ता, प्राचार्य

सरकारी कार्य बहुत धीमी गति से पूरे होते हैं। आठ माह बाद भी बर्न यूनिट शुरू न होना इसका उदाहरण है। कम से कम स्वास्थ्य सुविधाओं को तो समय से पूरा किया जाना चाहिए।
नरेश कुमार

सरकारी अस्पतालों में अधिकतर गरीब मरीज ही इलाज के लिए जाते हैं। ऐसे में शासन-प्रशासन को भी चाहिए की स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं समय से लोगों को मिलने लगे।
पिंकी

मेडिकल कालेज में सुपर स्पेशियलिटी, इमरजेंसी, बर्न यूनिट की इमारतें तो खड़ी हो गई हैैं लेकिन उनमें मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं से मरीज आज भी महरूम हैैं।
कल्पना

मेडिकल कालेज मेें आने वाले गंभीर जले हुए मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है लेकिन किसी को भी बर्न यूनिट की सुविधा नहीं मिल पा रही है।
अनुराग सहदेव

Posted By: Inextlive