मेरठ में पॉलीथिन की सप्लाई बड़ी प्रॉब्लम है
मेरठ (ब्यूरो)। शहर में प्रतिबंधित पॉलीथिन पर निगम की सख्ती साल भर जारी रहती है इसके बाद भी शहर के बाजारों में न तो पॉलीथिन बैग का उपयोग कम हो रहा है और न ही शहर के कूड़ा स्थल, नाले-नालियों से प्लास्टिक वेस्ट की मात्रा घट रही है। जबकि निगम का कहना है कि लगातार अभियान चलाकर प्लास्टिक बैग जब्त किए जा रहे हैं और कूड़े के ढेर में आने वाले प्लास्टिक वेस्ट को सेग्रीगेट कर बेचा जा रहा है।
हर साल 80 कुंतल पॉलीथिन
गौरतलब है कि शहर में बढ़ते पॉलीथिन कचरे की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने दो अक्टूबर 2018 को पॉलीथिन व थर्माकोल के प्रयोग, निर्माण, बिक्री, वितरण, भंडारण, परिवहन पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध की घोषणा की थी। इसकी अधिसूचना में बकायदा प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर एक माह की सजा या न्यूनतम एक हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान है। दूसरी बार उल्लंघन पर छह माह की जेल या 20 हजार रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। तीसरी बार उल्लंघन पर एक साल की जेल या एक लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है। इसके तहत गठित नगर निगम प्रवर्तन दल ने गत एक साल में अवैध पॉलीथिन बिक्री करने वालों से करीब आठ लाख रुपए का जुर्माना वसूला। जबकि 70 से 80 कुंतल प्रतिबंधित पॉलीथिन जब्त की जा चुकी है।
वहीं निगम का दावा है कि कूड़ा स्थलों पर आने वाले शहर के कचरे से प्लास्टिक वेस्ट को अलग कर बिक्री लगातार जारी है। इसमें नगर निगम के प्रमुख डंपिंग ग्राउंड गांवडी आज पूरी तरह कूड़े के पहाड़ से मुक्त हो चुका है। निगम के अनुसार बीते साल में आरडीएफ (प्लास्टिक कचरा) बेचकर निगम ने 28 लाख की आय की थी। गांवड़ी प्लांट से निगम ने करीब 12779.5 टन आरडीएफ निकला था, जिसमें से करीब 10061.93 टन बेचने के बाद निगम को लगभग 25,15,482 रुपये की आय हुई थी। वहीं लोहिया नगर प्लांट में अब तक 1931.50 टन आरडीएफ निकला जा चुका है। जिसे बेचकर लगभग 12 लाख 42 हजार रुपये की आय निगम को हो चुकी है।
मजबूत हो रही सड़कें
आरडीएफ में लगभग 10 से 15 फीसद प्लास्टिक-पालीथिन कचरा और इसके अलावा जूते-चप्पल, लकड़ी, कपड़ा समेत अन्य बेकार सामग्री भी होती है। आरडीएफ को पावर प्लांट व सीमेंट प्लांट की भ_ियों को जलाने में इस्तेमाल किया जाता है। नगर निगम से इसकी खरीद पांच कंपनियां कर रही हैं। 250 रुपये प्रति टन के हिसाब से आरडीएफ की बिक्री की जा रही है। वहीं, जब्त पॉलीथिन को गाजियाबाद की कंपनी खरीदती है, जिसको सड़क बनाने के काम में प्रयोग किया जा रहा है।
ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त