काउंसिलिंग और थैरेपी से दूर होगी सुसाइड की प्रवृत्ति
मेरठ ब्यूरो। आत्महत्या रोकने के लिए व्यक्तिगत, सामाजिक, और सरकारी प्रयास होने चाहिए। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दें। चिकित्सा सहायता मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का जल्द पता लगाने और इलाज के लिए लोगों को मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से संपर्क करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह बात मनोवैज्ञानिक नीतू सैनी ने कही। काउसिलिंग की सुविधा मिले सीसीएसयू के मनोवैज्ञानिक विभाग में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ। उन्होंने कहा कि काउंसलिंग और थेरेपी व्यक्तियों को अवसाद, चिंता या अन्य मानसिक समस्याओं से निपटने में सहायक है। मनोवैज्ञानिक सलाह और काउंसलिंग की सुविधा तुरंत देनी चाहिए। स्वास्थ्य की अहमियत को बताया नीतू सैनी ने कहा मानसिक स्वास्थ्य पर शिक्षा लोगों को मानसिक स्वास्थ्य की अहमियत, अवसाद और अन्य समस्याओं के लक्षणों के बारे में लोगों को जागरूक करना चाहिए। संवेदनशीलता बढ़ाना आत्महत्या के प्रति समाज की संवेदनशीलता और सहानुभूति बढ़ाना, जिससे लोग बिना किसी झिझक के मदद मांग सकें।
शिक्षा और संवाद बढ़े
मनोविज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो। संजय कुमार ने कहा कि मानसिक रोगों और आत्महत्या के प्रति जुड़े सामाजिक कलंक को कम करने के लिए शिक्षा और संवाद को बढ़ावा देना चाहिए। संवेदनशील लोगों की पहचान और परिवार की भूमिका परिवार और दोस्तों को उन लोगों के प्रति अधिक सतर्क रहना चाहिए, जो मानसिक स्वास्थ्य के लक्षण दिखा रहे हैं, और उन्हें समर्थन देना चाहिए। समय पर हस्तक्षेप आत्महत्या की प्रवृत्ति दिखाने वाले लोगों की पहचान कर उन्हें सही समय पर सहायता प्रदान करनी चाहिए। सरकार की ओर से भी आत्महत्या रोकने के लिए अनेक प्रकार के कानून और हेल्पलाइन नंबर जारी कर रखे हैं। स्कूल और कार्यस्थल में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम स्कूल और कार्यस्थलों में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को किया जाना चाहिए।