पहली बार ऑर्बिटल अथेरक्टोमी पद्धति से किया सफल ऑपरेशन
मेरठ (ब्यूरो)। अभी विदेशों में ही ऑर्बिटल अथेरक्टोमी टेक्निक से एंजोप्लास्टी की जाती थी, लेकिन अब मेरठ के मेडिकल कॉलेज में भी मरीजों को यह सुविधा मिलेगी। मेडिकल कॉलेज के हृदय रोग विभाग के सहायक आचार्य डॉ। सीबी पांडेय ने बताया कि मेरठ निवासी 62 वर्षीय शिव कुमार शर्मा पिछले 22 साल से हृदय रोग से ग्रस्त हैं। कुछ साल से शिव कुमार शर्मा को लेटने, चलने एवं सांस लेने पर सीने में दर्द होता था। जांच में उनके हृदय की सभी तीन नसों में कैल्शियम का ब्लॉकेज जमा था। तीन नसों में कैल्सियम जमा होने से एंजियोप्लास्टी संभव नहीं थी। इससे उनको ओपन हार्ट बाईपास सर्जरी की सलाह दी गई।
ह्रदय की बंद नलियां खोली
इसके बाद शिव कुमार शर्मा ने मेडिकल कालेज मेरठ के हृदय रोग विभाग की ओपीडी में कार्डियोलॉजिस्ट डॉक्टर सीबी पाण्डेय से सलाह ली। एंजियोग्राफी में जानकारी मिली कि हर्ट की तीनों नली बंद हैं। कैल्सियम जमा होने से वायर पास करना मुश्किल था। इससे मरीज का ऑपरेशन ऑर्बिटल अथेरक्टोमी की अत्याधुनिक विधि का उपयोग किया गया। एंजियोप्लास्टी करते हुए कैथ लैब की टीम ने 1 घंटे में बिना चीरा लगाए सफल ऑपरेशन किया। ऑपरेशन के बाद अब मरीज पूरी तरह से स्वस्थ है।
पहली बार उपयोग किया
मेडिकल कालेज के प्रधानाचार्य डॉ। आर सी गुप्ता ने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रतिष्ठित राजकीय संस्थान मेडिकल कालेज मेरठ में ऑर्बिटल अथेरक्टोमी का पहली बार उपयोग किया गया। एंजियोप्लास्टी करने वाले डॉ। सीबी पांडेय ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मरीज के पैर के रास्ते से बिना चीर फाड़ के ऑर्बिटल अथेरक्टोमी पद्धति द्वारा ऑपरेशन किया गया है।
इस प्रक्रिया में एक मशीन होती है जिससे एक वायर जुड़ा होता है। उस वायर के सिरे पर एक हीरा लिपित क्राउन (ताज) होता है जो कि बिना किसी टांका या बिना चीरा के पैर के नस के रास्ते से मरीज के हृदय को रक्त पहुंचने वाली कोरोनरी आर्टरी में जाकर आर्टरी में जमा कैल्शियम (चूना) साफ कर सकते हैं तथा स्टंट लगा सकते हैं।