सॉरी! ये टॉयलेट हमारे किसी काम के नहीं
मेरठ (ब्यूरो)। हालत यह है कि शहर के कई हिस्सों में यूरिनल और पब्लिक टॉयलेट तो बना दिए गए, लेकिन रख-रखाव न होने कारण उनकी हालत बदतर है। ऐसे में जिन पब्लिक टॉयलेट्स को प्राइवेट कंपनी संचालित कर रहीं हैं। वे भी यूज करने लायक है। बाकी टॉयलेट की तो हालत ऐसी है कि इनका यूज करना तो दूर इनके पास से गुजरना भी मुश्किल है। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने अभियान के जरिए इन्हीं पब्लिक टॉयलेट्स की समस्याओं को उठाया है।
प्राइवेट शौचालय में बेहतर सुविधा
गौरतलब है कि नगर निगम अंतर्गत कुल 45 सार्वजनिक शौचालय हैं। इनमें से 25 का संचालन प्राइवेट सुलभ एजेसियों के हाथ में हैं। ऐसे में अगर हम बाकी बचे 20 सार्वजनिक शौचालयों की बात करें तो या तो इन पर साल भर ताला लटका रहता है या फिर इनमें गंदगी इस कदर होती है कि आम जन जाना पसंद नही करते हैं। साथ ही इन सार्वजनिक शौचालय में स्थायी रूप से कर्मचारियों की तैनाती न होने के कारण इनका संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है। वहीं दो साल से 10 नए आधुनिक शौचालय बनाए जाने का प्रस्ताव भी अधर में अटका हुआ है।
पब्लिक यूरिनल्स की हालत खस्ता
नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार शहर में अभी तक 90 सार्वजनिक यूरिनल बने हुए हैं। इनमें से करीब 51 यूरिनल अभी चालू हालत में नहीं हैं। इसके अलग बाजारों में बनाए गए अधिकतर यूरिनल में गंदगी और अव्यवस्था फैली हुई है। कहीं रैंप नहीं बने हैं तो कहीं पार्टिशन टूटा है। वहीं, इन यूरिनल प्लस शौचालयों में अभी तक पानी और बिजली कनेक्शन भी शुरु नहीं हो सका है।
कैंट बोर्ड और नगर निगम द्वारा शहर में बनाए गए पब्लिक टॉयलेट की हालत सही नहीं है। पहले तो इनकी संख्या कम है। वहीं, मलिन बस्तियों में पब्लिक टॉयलेट बने तक नहीं हैं। इस कारण आज भी आम लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं, जबकि निगम ओडीएफ प्लस प्लस का तमगा भी स्वच्छता सर्वेक्षण में हासिल कर चुका है।
पैसा है तो मिलेगी पिंक ब्लू की सुविधा
वहीं, प्राइवेट कंपनी की ओर से संचालित 20 सार्वजनिक पिंक ब्लू पब्लिक टॉयलेट की हालत बेहतर है, लेकिन उनमें किराया वसूला जाता है। ऐसे मे आम आदमी इन प्राईवेट सार्वजनिक शौचालयों का लाभ नही उठा पाते हैं। जो शौचालय नि:शुल्क हैं उनमें या तो ताला लगा रहता है या फिर वो गंदगी इस कदर लबालब हैं कि प्रयोग करना तो दूर पास से गुजरना भी दूभर हो जाता है।
सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालयों में डस्टबिन होने चाहिए पब्लिक टॉयलेट में शीशा, साबुन, तौलिया की व्यवस्था होनी चाहिए महिलाओं के लिए सेनेटरी नेपकीन मशीन शौचालय में लगी हो दिव्यांगों के लिए पब्लिक टॉयलेट में जाने के लिए रैंप की व्यवस्था होनी जरुरी है शौचालय के बाहर स्वच्छता संदेश की पेंटिंग हो हर यूरिनल पर चौकीदार या पूरा दिन सफाई कर्मी रखना संभव नही है। लोग इस्तेमाल करने से ज्यादा गंदगी फैलाते हैं टोंटी तक चोरी कर रहे हैं। इसके लिए लोगों का जागरुक होना बहुत जरुरी है।
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी