दो सालों में 771 एफआईआर दर्ज 50 प्रतिशत मामलों में ही हो पाई है गिरफ्तारी। स्कूल-कॉलेज के बाहर छेड़छाड़ करते 250 मनचले जिले में रोजाना पकड़े जा रहे हैं।

केस-1
8 अगस्त 2024 को मुंडाली थाने क्षेत्र में नौंवी कक्षा की छात्रा के साथ छेड़छाड के बाद रेप करने की धमकी देने का मामला सामने आया। मनचलों के डर से लड़की ने स्कूल जाना ही छोड़ दिया था।

केस-2
10 अगस्त 2024 को 16 वर्ष की लड़की के छेड़छाड़ से तंग आकर सुसाइड का प्रयास करने का मामला सामने आया। विरोध पर शोहदों ने मारपीट भी की।

केस-3
16 अगस्त 2024 को ब्रह्मïपुरी इलाके में बीए की छात्रा के साथ छेड़छाड़ करने और विरोध करने पर मारपीट का मामला सामने आया था।

केस-4
20 अगस्त 2024 को महिला डॉक्टर को तेजाब से जलाने की धमकी देने का मामला सामने आया। मनचला डॉक्टर से छेड़छाड़ करता था और फोन पर अश्लील मैसेज भी भेजता था।

मेरठ (ब्यूरो)। रेप, छेडख़ानी, अपहरणशहर में रोजाना की घटना हो गई हैैं। मगर ये घटनाएं तो महज उदाहरण भर हैं। अगर शहर में आधी आबादी के साथ हो रहे अपराध के आंकड़ों पर नजर डालेंगे तो आप चौंक जाएंगे। यकीन नहीं आता न, तो जान लीजिए कि शहर के स्कूल-कॉलेज के बाहर छेड़छाड़ करने के जुर्म में बीते दो सालों में एंटी रोमिया स्क्वॉयड डेढ़ लाख से ज्यादा मनचलों को दबोच चुकी है।

1.62 लाख मनचले पकड़े
जिले में हर दिन औसतन 250 मनचले सड़कों पर पकड़े जा रहे हैं। एंटी रोमियो स्क्वॉयड की ओर से कॉलेज, स्कूल, मार्केट या सड़क पर आती-जाती लड़कियों को छेड़ते या तंग करते हुए इन्हें पकड़ा जा रहा है। विभागीय आंकड़ों के अनुसार बीते दो सालों में 1 लाख 62 हजार से अधिक मनचलों को पकड़ा जा चुका हैं।

दो सालों में 82,555 चेतावनी
शहर में मनचलों के आंतक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस की ओर से औसतन हर 20 सेकेंड में एक गंभीर चेतावनी जारी हो रही है। आंकड़ों के अनुसार बीते दो सालों में 82555 से अधिक चेतावनी विभाग जारी कर चुका है।

24 घंटे में एक अपराध
विभाग द्वारा महिलाओं से जुड़े गंभीर अपराधों के तहत औसतन हर दिन एक एफआईआर दर्ज की जा रही है। बीते दो सालों में 771 कुल एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। इनमें सिर्फ 50 प्रतिशत मामलों में ही गिरफ्तारी हो पा रही है। ये सभी मुकदमें रेप, शीलभंग, पोक्सो, अपहरण, हत्या और महिला उत्पीडऩ से जुड़े हुए हैं।

इनका है कहना
छेड़छाड़ के दुष्प्रभाव केवल पीडि़त तक सीमित नहीं रहते। ये सामाजिक ताने-बाने को प्रभावित करते हैं। समाज में डर व असुरक्षा का माहौल बनने से सामाजिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
पूनम शर्मा, सदस्य, बाल कल्याण समिति

छेड़छाड़ पर चर्चा और कानूनी सुधारों की आवश्यकता है ताकि महिलाओं और युवतियों को सुरक्षित महसूस कराया जा सके। यह व्यक्तिगत मुद्दा नहीं हैं। बल्कि पूरे समाज की सामूहिक जिम्मेदारी भी है।
अनीता राणा, सदस्य, लोक अदालत

घर से बाहर निकलकर बिल्कुल सेफ नहीं लगता। हम अपने की शहर में घूम भी नहीं सकते हैं। ऐसे में बेटियां कैसे पढेंग़ी। लड़कियां कहीं भी जाएं कई लोग उन पर कमेंटबाजी से बाज नहीं आते।
भावना

छेड़छाड़ सिर्फ व्यक्तिगत रूप से नहीं, बल्कि समाजिक स्तर पर भी एक गंभीर समस्या है। यह समाज में असमानता और हिंसा की संस्कृति को बढ़ावा देती है।
एकता

छेड़छाड़ जैसे मुद्दों को लेकर पुलिस पूरी सख्ती बरत रही है। एंटी रोमियो स्क्वायड को कॉलेज, स्कूल, मार्केट आदि हर जगह एक्टिव रहने के निर्देश दिए गए हैं। छेड़छाड़ की शिकायत दर्ज करवाने के लिए शासन की कई हेल्पलाइन हैं। यदि कहीं भी कोई घटना होती है तो पीडि़ता अपनी शिकायत दर्ज करवा सकती है।
आयुष विक्रम सिंह, एसपी सिटी, मेरठ

Posted By: Inextlive