जिला अस्पताल की स्टडी में खुलासा, परिजनों से खुलकर बात नहीं कह पाते बुजुर्ग
मेरठ ब्यूरो। आज के दौर में समाज बदल रहा है, रिश्ते बदल रहे हैं, खानपान बदल रहा है, सोच विचार बदल रहे हैैं। सब कुछ बदल रहा है। बदलाव के इसी दौर में हम अपने बुजुर्गों के ठहराव को पीछे छोड़ रहे हैं। हालत यह है कि जिन पेरेंट्स ने अपने खून पसीने की कमाई से घर को सजाया संवारा था,्र आज जब उम्र ढली तो वही अपने ही घर में बेगाने हो गए। अपने ही कलेजे के टुकड़े जब ताने देने लगते हैं तो यकीन मानिए बुजुर्गों की दुनिया घर के कोने में सिमट जाती है। अब ऐसे कई मामले जिला अस्पताल के मनोरोग विभाग में आ रहे हैं, जहां बुजुर्ग अपने की बच्चों के तानों से आहत को मानसिक रोगी हो गए हैं। बच्चों के व्यवहार से दुखी
गौरतलब है कि जिला अस्पताल के मनकक्ष में बीते तीन माह में 20 फीसदी मरीज मनोरोग के आए हैं। इनकी उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है। वहीं, जिला अस्पताल में 300 बुजुर्गों पर स्टडी की गई है। इसमें सामने आया है कि 75 फीसदी मरीज अपने बच्चों के दुव्र्यवहार से आहत थे। हकीकत यह है कि अपनों के तानों, दुव्र्यवहार से दुखी बुजुर्ग मनोवैज्ञानिकों के पास पहुंच रहे हैं। अपने मन का दर्द साझा कर रहे हैं। इनमें अल्जाइमर, डिमोंशिया, समान्य मनोरोग, अवसाद के साथ आत्महत्या की प्रवृति मिल रही है। बुजुर्गों की हुई काउंसिलिंग अपने ही घर में बुजुर्ग खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। जिला अस्पताल के मन कक्ष में बुजुर्गों की काउंसिलिंग हो रही है। बुजुर्गों के डॉक्टर्स को अपने मन की बात बताई। सामने आया कि महिलाओं में पुरुषों के मुकाबले आत्महत्या करने की प्रवृति 90 फीसदी अधिक है। सम्मान नहीं दे रहे बच्चे
सरकारी या प्राइवेट नौकरी से रिटायर्ड होने वाले बुजुर्गो को परिवार से अधिक तिरस्कार का सामना करना पड़ रहा है। 50 फीसदी मरीजों का कहना है कि बच्चे पेंशन व प्रॉपर्टी के चक्कर में साथ रह रहे हैं। कई बार बच्चे सम्मानजनक शब्दों का इस्तेमाल तक भी नहीं करते हैं। जिला अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में ओपीडी में हर दिन कम से कम पांच मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें गंभीर मानसिक समस्याओं से जूझ रहे हैं मरीजों की संख्या अधिक है। कम हो रही संवेदनशीलता जिला अस्पताल के वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डॉ। कमलेंद्र किशोर ने बताया कि बुजुर्गो के प्रति परिवारजन व समाज दोनों में ही संवेदनशीलता का अभाव है। बढ़ती उम्र के साथ गलत व्यवहार उनमें मानसिक रोग पैदा कर देता है। -------------------- केस 1: वृद्धाश्रम में बुजुर्ग 77 वर्षीय बैंक से रिटायर बुजुर्ग महिला वृद्धाश्रम में अकेले जी रही है। बेटे और बहू छोटी-छोटी बातों पर ताने देते हैं, पेंशन आती है लेकिन बेटा वो भी ले लेता है। उनके बुरे बर्ताव से पीडि़ता अलग रहने पर मजबूर है। केस-2 : बहू नहीं रहने देती 70 साल के एक बुजुर्ग डिप्रेशन का इलाज करा रहे हैं। उनकी बहू उन्हें रखना नहीं चाहती हैं, क्योंकि वो सब्जी अधिक खाती हैं। बेटा भी ज्यादा अधिक ध्यान नही देता है। केस -3: बच्चों के व्यवहार से दुखी 66 वर्षीय एक बुजुर्ग महिला अपने बच्चों के व्यवहार के चलते दुखी है। भूलने की बीमारी लग गई है, पति की कुछ प्रॉपर्टी बेटा अपने नाम करवाना चाहता है। उनके खर्राटों से परेशान बच्चे उनको ताना देते हैं। -------- ऐसे कई केस रोज आ रहे हैं, जिनमें बुजुर्ग मानसिक रोगी हो रहे हैं। उनकी काउंसिलिंग के जरिए ये बाते सामने आती है कि वो अपने बच्चों के गलत व्यवहार से अंदर ही अंदर घुट रहे हैं। डॉ। अनिता मोरल, मनोवैज्ञानिक
विभिन्न ऐसे केस आ रहे हैं जिनमें बुजुर्ग अपने परिवारजनों से बात तक नहीं करते हैं चुप रहते हैं, कारण उनका व्यवहार है, जो गलत रहता है, इस कारण वो मानसिक परेशान है। डॉ। पूनम देवदत्त, काउंसलर एवं मनोवैज्ञानिक