श्री 1008 शांतिनाथ दिगंबर जैन पंचायती मंदिर असौड़ा हाउस में हुई शांतिधारा

मेरठ ब्यूरो। श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर असोड़ा हाउस में अभिषेक एवं शांति धारा हुई। इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं ने पूजा एवं विधान किया। शाम को महावीर दीप अर्चना हुई। इस दौरान सभी श्रद्धालुओं ने दीपकों से मंदिर परिसर का प्रांगण सजाया। साथ ही भगवान श्रीआदिनाथ पारस महावीर भगवान की जयकारों से परिसर गूंज उठा।

जिनवाणी स्तुति हुई
इसके पश्चात कार्यक्रम का समापन भारतीय एवं जिनवाणी स्तुति से हुआ। मंदिर परिसर में विनोद कपिल नितिन संजय रमेश राकेश अजय प्रतीक रचित नीलिमा प्रियंका सौम्या आदि उपस्थित रहे।
संयम के बारे में दी जानकारी
संयम ही जीवन का श्रृंगार है।मनुष्य संयम धारण कर सकता है, इसलिए समस्त जीवों में वह श्रेष्ठ है। जिसके जीवन में संयम नहीं, उसका जीवन बिना ब्रेक की गाड़ी जैसा है। यह सोनिया जैन ने कही। पर्वराज पर्युषण पर्व के अंतर्गत उत्तम संयम धर्म आराधना के बारे में उन्होंने बताया।
नदी के साथ तट भी जरूरी
उन्होंने कहा कि संयम बिना प्राणी अधूरा जीवन जीता है, जीवन रूपी नदी के लिए संयम धर्म का पालन करना जरूरी है। संयम को हम बंधन कह सकते हैं, लेकिन यह बंधन सांसारिक प्राणी के लिए दुखदाई नहीं बल्कि दुखों से छुटकारा दिलाने वाला है,नदी बहती है पर तटों का होना जरूरी है। यदि नदी बिना तटों के बहती है तो वह अपने लक्ष्य से भटककर सागर तक नहीं पहुंचती और सूख जाती। इसी प्रकार संयमी जीवन ही अपने अनंत सुखों को प्राप्त कर सकता है। संयम को धारण करने का हमें पूर्ण अधिकार मिला है लेकिन सांसारिक प्राणी पंचेन्द्रिय विषय के वशीभूत होकर इससे दूर भागते हैं। जिससे वह जीवन रूपी गाड़ी में सफल नहीं हो पाते।
कवि सम्मेलन का आयोजन
शाम को बहुत ही सुंदर कवि सम्मेलन हुआ। जिसमें सभी कवियों कवित्रियों का सम्मान किया गया। जिसमें मुख्य कवित्री डॉ। शुभम त्यागी डॉ। अनिल बाजपेई एवं डॉ।चंद्रशेखर मयूर तीनों ने मंदिर में महावीर भगवान के ऊपर एवं नारी शक्ति के ऊपर बहुत ही आकर्षित कविताएं सुनाई। जिससे मंदिर परिसर तालिया से गूंज उठा।

श्री 1008 शांतिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर असोड़ा हाउस में अभिषेक एवं शांति धारा हुई। इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं ने पूजा एवं विधान किया। शाम को महावीर दीप अर्चना हुई। इस दौरान सभी श्रद्धालुओं ने दीपकों से मंदिर परिसर का प्रांगण सजाया। साथ ही भगवान श्रीआदिनाथ पारस महावीर भगवान की जयकारों से परिसर गूंज उठा।

जिनवाणी स्तुति हुई
इसके पश्चात कार्यक्रम का समापन भारतीय एवं जिनवाणी स्तुति से हुआ। मंदिर परिसर में विनोद कपिल नितिन संजय रमेश राकेश अजय प्रतीक रचित नीलिमा प्रियंका सौम्या आदि उपस्थित रहे।
संयम के बारे में दी जानकारी
संयम ही जीवन का श्रृंगार है।मनुष्य संयम धारण कर सकता है, इसलिए समस्त जीवों में वह श्रेष्ठ है। जिसके जीवन में संयम नहीं, उसका जीवन बिना ब्रेक की गाड़ी जैसा है। यह सोनिया जैन ने कही। पर्वराज पर्युषण पर्व के अंतर्गत उत्तम संयम धर्म आराधना के बारे में उन्होंने बताया।
नदी के साथ तट भी जरूरी
उन्होंने कहा कि संयम बिना प्राणी अधूरा जीवन जीता है, जीवन रूपी नदी के लिए संयम धर्म का पालन करना जरूरी है। संयम को हम बंधन कह सकते हैं, लेकिन यह बंधन सांसारिक प्राणी के लिए दुखदाई नहीं बल्कि दुखों से छुटकारा दिलाने वाला है,नदी बहती है पर तटों का होना जरूरी है। यदि नदी बिना तटों के बहती है तो वह अपने लक्ष्य से भटककर सागर तक नहीं पहुंचती और सूख जाती। इसी प्रकार संयमी जीवन ही अपने अनंत सुखों को प्राप्त कर सकता है। संयम को धारण करने का हमें पूर्ण अधिकार मिला है लेकिन सांसारिक प्राणी पंचेन्द्रिय विषय के वशीभूत होकर इससे दूर भागते हैं। जिससे वह जीवन रूपी गाड़ी में सफल नहीं हो पाते।
कवि सम्मेलन का आयोजन
शाम को बहुत ही सुंदर कवि सम्मेलन हुआ। जिसमें सभी कवियों कवित्रियों का सम्मान किया गया। जिसमें मुख्य कवित्री डॉ। शुभम त्यागी डॉ। अनिल बाजपेई एवं डॉ।चंद्रशेखर मयूर तीनों ने मंदिर में महावीर भगवान के ऊपर एवं नारी शक्ति के ऊपर बहुत ही आकर्षित कविताएं सुनाई। जिससे मंदिर परिसर तालिया से गूंज उठा।

Posted By: Inextlive