अधूरी बसों के सहारे भाईदूज की तैयारी
मेरठ, ब्यूरो। रोडवेज ने यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए 2 नवंबर से 11 नवंबर तक दीवाली अभियान चलाया हुआ है। इसके लिए रोडवेज ने लंबे एवं लोकल रूटों पर बसों की व्यवस्था कर रखी है। दीवाली और गोवर्धन पर लोग घरों के लिए पहले ही जा चुके हैं। भाईदूज पर लोकल रूटों पर भारी भीड़ उमडऩे की संभावना है। हालांकि कोरोना संक्रमण के बाद से ही पहले के मुकाबले यात्रियों की संख्या में कमी आई है। इसके बावजूद शनिवार को रोडवेज व्यवस्था की परीक्षा होनी है क्योकि दीपावली अभियान में रोडवेज की 750 बसों में से करीब 650 बसें ही ऑन रोड हो पाई हैं। इसी के चलते करीब 100 बसों की कमी से व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
बसों की खस्ता हालत
रोडवेज अधिकारियों द्वारा इन रूटों पर चलने वाली 400 से ज्यादा बसों के फेरे बढ़ाने का दावा किया जा रहा है। वहीं व्यवस्था बनाने के लिए सभी चालक-परिचालक अलर्ट हैं। स्टाफ की छुट्टी प्रतिबंधित की हुई है। चालक-परिचालकों के लिए प्रोत्साहन योजना शुरू की गई है। जिन बसों में मामूली खामियां थी उनको दुरुस्त कर सड़कों पर संचालित किया जा रहा है। मगर दीपावली पर निकलने वाली भीड़ को गंतव्य तक पहुंचाने वाली बसों की खस्ता हालत देखकर रोडवेज अधिकारियों के पसीने छूटे हुए हैं। रीजन के पांचों डिपो में टायरों और स्पेयर पार्ट्स की कमी के चलते 100 से ज्यादा बसें वर्कशाप में खड़ी हैं। इस कारण से कई रूटों पर अतिरिक्त बसों की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
रोडवेज बसों की खस्ता हालत के कारण हर महीने रीजन के पांचों डिपो को 10 से 15 लाख रुपये का घाटा हो रहा है। मेरठ और सोहराबगेट डिपो के वर्कशॉप में टायरों और स्पेयर पार्ट्स की कमी के चलते 70 से अधिक बसें खड़ी हुई हैं। इन बसों में सबसे अधिक टायर और बैटरी की कमी हैं। वर्कशाप कर्मियों की मानें तो स्पेयर पार्ट्स नहीं मिलने से बस की प्रॉपर मेंटेनेंस नहीं हो पा रही है। हर माह दस से बारह बसों के टायर आते हैं, तब तक दस से बारह अन्य बसों के टायर घिसकर उतर जाते हैं। स्पेयर पाटर््स और टायरों की कमी का असर बसों के संचालन पर है लेकिन हमने व्यवस्था बनाने के लिए बसों के फेरे बढ़ाए हुए हैं। जिससे किसी भी यात्री को बसों के लिए डिपो पर लंबा इंतजार न करना पड़े।
केके शर्मा, आरएम रोडवेज