एनसीआर स्थित औद्योगिक इकाईयों में पीएनजी की अनिवार्यता इंडस्ट्रीलिस्ट की परेशानी बन चुकी है. पीएनजी की लागत मौजूद ईंधन कोयला या लकड़ी से चार गुना है. ऐसे में इंडस्ट्रीलिस्ट पीएनजी पर सब्सिडी की मांग कर रहे हैं.

मेरठ (ब्यूरो)। एनसीआर स्थित औद्योगिक इकाईयों में पीएनजी की अनिवार्यता इंडस्ट्रीलिस्ट की परेशानी बन चुकी है। पीएनजी की लागत मौजूद ईंधन कोयला या लकड़ी से चार गुना है। ऐसे में इंडस्ट्रीलिस्ट पीएनजी पर सब्सिडी की मांग कर रहे हैं। इन मांगों को लेकर आईआईए के पदाधिकारियों ने बुधवार को सांसद से मुलाकात कर ज्ञापन दिया।

सब्सिडी की मांग
आईआईए के अध्यक्ष सुमनेश अग्रवाल ने सांसद राजेंद्र अग्रवाल को अपनी समस्याओं की जानकारी देते हुए बताया कि प्रदूषण और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के दिशा निर्देश पर एनसीआर में स्थित सभी उद्योगों को 30 सितंबर तक पीएनजी या बायोमास ईंधन पर स्विच करना होगा। ऐसा ना करने पर उन्हें बंद कर दिया जाएगा। ऐसे में आगरा के तर्ज पर पीएनजी पर सब्सिडी मिलनी चाहिए। इसके अलावा डीजल जेनरेट पर बैन पर राहत की मांग की है।

यह रही मांगें
- पीएनजी कोयला से चार गुना महंगा है इसलिए आगरा के तर्ज पर सब्सिडी मिलनी चाहिए।
- पीएनजी की लागत को जीएसटी प्रणाली के अंतर्गत लाकर उस पर आईटीसी की अनुमति देकर कम किया जा सकता है।
- पीएनजी को अपनाने में बड़ी पूंजी लागत शामिल है। यूपी एनसीआर में 45 पेपर मिलों में से प्रत्येक पर पीएनजी ईधन आधारित मशीनरी स्थापित करने के लिए लगभग 50 करोड़ रुपए खर्च होगा। इसमें ब्याज सबवेंशन या सॉफ्ट लोन प्रदान करना चाहिए।
- सीएक्यूएम को वायु गुणवत्ता मानदंडों की निगरानी करनी चाहिए।
- सीएक्यूएम ने डीजल जेनसेट को पीएनजी आधारित करने के लिए कहा है। यह सभी एनसीआर में सभी एमएसएमई इकाइयों को मार देगा।
- इसलिए डीजल जेनसेट को उपयोग में छूट दी जानी चाहिए।

Posted By: Inextlive