पौधे लगाते हैैं, पर ये भूल जाते हैैं कि पानी के बिना ये सूख जाते हैैं
मेरठ (ब्यूरो)। पर्यावरण संरक्षण के लिए हर साल जनपद के सभी विभाग मिल-जुलकर पौधारोपण तो करते हैं लेकिन यह पौधारोपण सिर्फ एक अभियान तक ही सीमित रह जाता है। अधिकतर जगहों पर लगे पौधे रख-रखाव के अभाव में सूखकर खराब हो जाते हैं। इसी का नतीजा है कि पिछले दो सालों में जिले में लगाए गए 49 लाख पौधों में से 9.40 लाख पौधे अनदेखी की भेंट चढ़ गए।
सात लाख पौधे नष्ट
गौरतलब है कि वन महोत्सव के तहत हर साल जनपद में पौधरोपण किया जाता है। इसके तहत गत वर्ष 2022 में विभिन्न विभागों की ओर से पौधरोपण अभियान के दौरान करीब 25 लाख पौधे रोपे गए। विभागीय आंकड़ों के अनुसार इन पौधों में से सात लाख पौधे नष्ट हो गए। जबकि साल 2021 में 26 विभागों को करीब 24 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया था। इसमें से करीब 2.40 लाख पौधे नष्ट हो चुके हैं। इस तरह से पिछले दो सालों में करीब 9.40 लाख पौधे नष्ट हो गए हैैं। हर साल रख-रखाव के अभाव में करीब 30 फीसदी पौधे बर्बाद हो जाते हैं।
वर्ष 2022-23
25.03 लाख पौधे विभिन्न विभागों द्वारा
594734 पौधे वन विभाग ने लगाए
वर्ष 2021-22
24133 लाख पौधे सभी विभागों द्वारा लगाए गए
764332 पौधे वन विभाग ने लगाए
22,717 - जनपद पौधरोपण स्थलों की संख्या
6,513.41 - हेक्टेयर क्षेत्रफल पर हुआ जनपद में पौधरोपण
31,01,609 - लाख पौधे रोपे गए
24,44,347 -बचे पौधों की संख्या
प्रतिशत में पौधों की स्थिति
90 प्रतिशत - पौधे वन विभाग के जीवित है
74 प्रतिशत- पौधे अन्य विभागों के जीवित हैं
78 प्रतिशत - पौधे धरातल पर जीवित हैं
22 प्रतिशत - पौधे नष्ट हो चुके हैं
सबसे अधिक लापरवाही
विभिन्न विभागों को दिए गए टारगेट की बात करें तो सबसे अधिक आवास विकास के दायरे में आने वाले पौधे बर्बाद हुए हैं। गत वर्ष आवास विकास परिषद ने 9 हजार से अधिक पौधे जागृति विहार एक्सटेंशन में लगाने का दावा किया था। लेकिन इनमें से ज्यादातर पौधे सूख चुके हैं। वहीं जगह-जगह पौधों की गार्डिंग भी टूटी पड़ी है। पौधे पूरी तरह रौंदे जा चुके हैं।
वहीं, वन विभाग की ओर से लगाए गए पौधे अच्छी तरह फल-फूल रहे हैैं। वन विभाग ने करीब 5 लाख पौधे रोपे हैैं। विभाग का दावा है कि उनके पौधों में 95 प्रतिशत से अधिक पौधे जीवित हैैं। पौधारोपण के सत्यापन के दौरान गत वर्ष लगाए गए 70 फीसदी पौधे सुरक्षित हैं। कुछ जगहों पर लापरवाही के कारण पौधे खराब हुए हैैं। सभी जगह मॉनिटरिंग संभव नहीं है। इसके लिए विभागों को भी जागरुक किया जाएगा।
राजेश कुमार, डीएफओ, मेरठ