स्टीफन हॉकिंग के बिना फिजिक्स हो गई अधूरी!
Meerut: दुनिया के प्रसिद्ध भौतिक शास्त्री प्रोफेसर स्टीफन विलियम हॉकिंग 76 साल की उम्र में बुधवार सुबह दुनिया को अलविदा कह गए। उनके निधन की खबर सुनकर शहर में विज्ञान से जुड़े छात्रों और टीचर्स ने शोक जताया। हॉकिंग को दुनियाभर में थ्योरिटिकल फिजिक्स के जनक के रूप में भी जाना जाता था। भगवान के अस्तित्व को नकारने से लेकर दुनिया को ब्रहमांड के बारे में बताने वाले हॉकिंग ने न केवल मौत को कई बार छकाया बल्कि कई मिसालें भी कायम की।
हिम्मत नहीं हारी 1963 में स्टीफन हॉकिंग जब सिर्फ 21 साल के थे, तब उन्हें म्योट्रोफिक लेटिरल स्क्लेरोसिस नाम की बीमारी हो गई। उनके अधिकतर अंगों ने धीरे-धीरे काम करना बंद कर दिया था। डॉक्टर्स का मानना है कि इस बीमारी से पीडि़त लोग आमतौर पर 2 से 5 साल तक ही जिंदा रह पाते हैं, लेकिन हॉकिंग दशकों जिए।ब्लैक होल्स और बिग बैंग थ्योरी के बारे में दुनिया को बताया।
8 जनवरी, 1942 को इंग्लैंड को ऑक्सफर्ड में स्टीफन हॉकिंग का जन्म हुआ था।1988 में उनकी पहली पुस्तक ए ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ टाइम-फ्रॉम द बिग बैंग टु ब्लैक होल्स बाजार में आई।स्टीफन हॉकिंग थ्योरिटिकल फिजिक्स के जनक माने जाते हैं। वर्ल्ड वाइड इसका सेंटर बनाने का श्रेय भी इन्हें ही माना जाता हैं। नो एक्जि्सटेंस ऑफ गॉड जैसा बोल्ड टॉपिक भी पहली बार इन्होंने ही दिया। यह सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं। इनका जाना सदियों का नुकसान हैं।
प्रो। बीरपाल सिंह, एचओडी फिजिक्स, मेरठ स्टीफन के बिना फिजिक्स अधूरी हैं। खगोलविज्ञान में उनका योगदान अतुल्य हैं। परिस्थिति कैसी भी हो चैलेंज लेकर कैसे खुद को साबित किया जा सकता हैं। स्टीफन से बड़ा इसका कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता है। उनकी कमी कोई पूरी नहीं कर सकता हैं। डॉ। संजीव कुमार शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, भौतिक विभाग, सीसीएसयू हॉकिंग बेमिसाल शख्सियत थे। जरा सी तकलीफ होते ही जीवन को निराशावादी बता देने वाले लोगों को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। वह न केवल कमाल के शख्स रहे बल्कि उन्होंनें खुद को जिस तरह से स्थापित किया, अपनी बीमारी से लड़े, सब एक मिसाल है।कर्नल आर.सी। शर्मा, डायरेक्टर, दिशा स्कूल ऑफ स्पेशल एजुकेशन