लोग बोले, हमें तो इलेक्ट्रिक बस चाहिए सफर के लिए
मेरठ (ब्यूरो)। शहर को जाम से अगर मुक्त करना है तो सार्वजनिक परिवहन सेवा को सुगम बनाना होगा। ताकि लोग आसानी से सफर कर सकें। हालांकि, महानगर सिटी बस सेवा को दुरुस्त करने के लिए कवायद भी की गई है। कुछ रूट पर सिटी बसें चल तो रहीं हैं, लेकिन वे भी खटारा है। ऐसे में इलेक्ट्रिक बसों के चलने से राहत मिली है। सिटी बसों की हालत को लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के एक कैंपेन चलाया है। इसके तहत सोशल मीडिया पर शहरवासियों ने अपने अनुभव शेयर किए। सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप के जरिए शहरवासियों से इस मुद्दे से जुड़े सवाल पूछे गए थे। इस ऑनलाइन सर्वे में करीब 200 से 250 लोगों ने भाग लिया।
सिटी बसों की हालत सुधरे
गौरतलब है कि शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम को दुरुस्त करने के लिए कानपुर से 80 बसें तो भेजी गईं थीं, लेकिन वे सभी बसें 10 साल पुरानी थी। इसलिए शहरवासियों को खास सुविधा नहीं मिली। सोशल मीडिया पर शहरवासियों ने कहा कि अगर सिटी बसों की सुविधा को सुधार दिया जाए तो लोग कार और निजी वाहनों का प्रयोग कम करेंगे। अगर प्रशासन इस ओर ध्यान दे तो जाम से भी सुविधा मिल सकेगी।
पिंक सीट की योजना कारगर नहीं
सर्वे में महिलाओं ने कहा कि सिटी बसों में सफर की अपेक्षा वो ई रिक्शा या ऑटो में सफर करती हैं। दरअसल, सिटी बसों मेंं भीड़-भाड़ और सुरक्षा की कमी है। खास बात यह है कि सिटी बसों में महिलाओं के लिए रिजर्व की गई पिंक सीटों की योजना भी धरी रह गई। 10 साल पहले महिलाओं के लिए स्पेशल बस चलाई जाने की योजना बनी थी, जो आज तक धरातल पर नहीं उतर पाई। करीब 90 फीसदी महिलाओं ने कहा कि सिटी बसों में महिलाओं के लिए विशेष व्यवस्था होनी चाहिए।
क्या शहर में सिटी बसों का सफर सुविधाजनक है
हां- 15 फीसदी
नहीं- 80 फीसदी
पता नहीं- 5 फीसदी क्या खटारा सिटी बसें कई बार हादसों का कारण बनती है
हां- 62 फीसदी
नहीं- 28 फीसदी
पता नहीं- 10 फीसदी
क्या शहर के सभी रूट पर सिटी बस उपलब्ध रहती हैं
हां- 35 फीसदी
नहीं- 60 फीसदी
पता नहीं- 5 फीसदी
सिटी बसों में क्या महिलाओं की सुरक्षा के अच्छे इंतजाम हैं
हां- 44 फीसदी
नहीं- 46 फीसदी
पता नहीं- 10 फीसदी
हां- 93 फीसदी
नहीं- 2 फीसदी
पता नहीं- 5 फीसदी (नोट- शहरवासियों से व्हाट्सऐप, फेसबुक और ट्विटर आदि पर सवाल पूछे गए थे।) मुझे ऐसा लगता है कि शहर की सिटी बसें कम कर दी गई हैं। क्योंकि सड़क पर नाम मात्र की सिटी बसें ही दिख रहीं हैं। ई रिक्शा ज्यादा दिखती है। वहीं, इलेक्ट्रिक बसों में सुविधा अच्छी है।
लोकेश चंद्रा इलेक्ट्रिक बसों में सुविधा अच्छी है। पर सिटी बसों में वो सुविधा नहीं है। ऐसे में अगर सिटी बसों को दुरुस्त किया जाए तो हालात बदलेंगे।
पंकज मित्तल शहर में इलेक्ट्रिक सिटी बसों में सफर करना आपको सुरक्षा के साथ-साथ आरामदायक सफर की अनुभूति कराता है। आपके समय की भी बचत होती है।
आशीष सिंह सिटी बस शहर में दिखती ही कहां है। सड़कों पर ई-रिक्शा और ऑटो वाले मनमानी करते हैं। कभी शहर में 100 से ज्यादा सिटी बसें चलती थीं। अब वो हालत नहीं हैं।
शिवम ठाकरान
सिटी बसों की सुविधा और बेहतर कराना चाहिए। ताकि आम लोगों को सुविधा मिले। ऑटो और ई रिक्शा पर लगाम लगे साथ ही सिटी बसों की संख्या बढ़ाई जाए।
ऋषि यादव