राजस्थान के दौसा में महिला चिकित्सक की आत्महत्या के मामले में जनपद के आईएमए चिकित्सकों ने अपनी ओपीडी बंद करके गुस्सा जाहिर कर दिया। आत्महत्या के विरोध में शुक्रवार सुबह से चिकित्सक 24 घंटे की हड़ताल पर चले गए। चिकित्सकों कीहड़ताल के कारण दूर दराज ग्रामीण क्षेत्रों से आए मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। क्लीनिक बंद देख मरीज निराश होकर वापस जाते दिखे। वहीं निजी क्लीनिक बंद होने के कारण सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की संख्या अधिक रही।

मेरठ (ब्यूरो)। गौरतलब है कि राजस्थान के दौसा में एक महिला मरीज के इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी। महिला की मौत के बाद पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों व छूटभैया नेताओं द्वारा महिला चिकित्सक को प्रताडि़त किया गया था, जिससे तंग आकर डाक्टर ने सुसाइड कर लिया था। महिला डाक्टर ने सुसाइड नोट में खुद को बेगुनाह बताया था। इस आत्महत्या के मामले में सुबह से ही शहर के सभी क्लीनिकों का शटर डाउन रहा। प्राइवेट डॉक्टरों ने ओपीडी नहीं की। हालांकि इस दौरान इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह चालू रही। हड़ताल के दौरान प्राईवेट ओपीडी, भर्ती, रेडियोडाइग्नोस्टिक सेंटर एवं पैथोलोजी केंद्र बंद रहे।

प्राचार्य ने संभाली व्यवस्थाएं
वहीं हड़ताल के चलते मेडिकल कालेज में व्यवस्था को बनाए रखने और मरीजों की सुविधा के लिए मेडिकल कालेज के प्रार्चाय आरसी गुप्ता ने ओपीडी का निरीक्षण किया। प्रधानाचार्य डॉ आर सी गुप्ता समेत टीम की प्रमुख डॉ ललिता चौधरी, सदस्य डॉ जी एल निगम एवम डॉ प्रदीप कुमार ने निरीक्षण किया सभी ओ पी डी में व्यवस्था सुचारू रूप से मिली। प्रधानाचार्य ने सभी सीनियर डॉक्टरों, संकाय सदस्यों, जूनियर रेसीडेंट्स छात्रों तथा इंटर्न्स डॉक्टरों को ओ पी डी में पूरे समय तक बैठकर मरीजों को परामर्श देने के निर्देश दिए।

व्यथित होकर किया सुसाइड
इस दौरान आईएमए हॉल में चिकित्सकों ने बैठक कर अपना रोष जताया और प्रदर्शन किया। आईएमए अध्यक्ष डॉ। रेणु भगत और सचिव डॉ। अनुपम सिरोही ने बताया, दौसा में एक प्रसूता की डिलीवरी के दौरान मौत हो जाने पर मृतका के परिवार वालों और स्थानीय लोगों ने अस्पताल में हंगामा किया। डॉ। अर्चना शर्मा के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया। इससे व्यथित होकर मंगलवार को डॉ। अर्चना शर्मा ने खुदकुशी कर ली। उन्होंने एक सुसाइड नोट भी छोड़ा है, जिसमें अपना दर्द बयां किया है कि किन परिस्थितियों में उन्होंने यह कदम उठाया। इसके खिलाफ आईएमए के चिकित्सक सुबह आठ बजे से शनिवार की सुबह आठ बजे तक हड़ताल पर हैं। बैठक के बाद आईएमए के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधिकारी को उनके कैंप कार्यालय में जाकर इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा।

काली पट्टी बांधकर विरोध
वहीं आत्महत्या के विरोध में जिला अस्पताल एवं मेडिकल कालेज समेत सभी पीएचसी-सीएचसी में सरकारी डाक्टरों ने काली पट्टी बांधकर काम किया।

यह रही मांगें
प्रसूता के परिजनों को उकसाकर मृत शरीर को वापस अस्पताल लाने वाले दोषियों की पहचान और गिरफ़्तारी की जाए।
पुलिस एवं प्रशासन द्वारा की गई असंवेदनशील एवं गैर कानूनी कार्यवाही को देखते हुए स्थानीय प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किया जाए।
चिकित्साकर्मियों के विरुद्ध दर्ज होने वाले मामलों में नई गाइडलाइन जारी हो।


शुक्रवार को डॉक्टर की ओपीडी का समय मिला था। लेकिन अचानक डॉक्टर की हड़ताल हो गई और इसके बारे में पहले कोई जानकारी भी नही मिली थी।
नीरज

गत सप्ताह ही आंख की सर्जरी कराई थी आज आंख चेक कराने के लिए बुलाया गया था। लेकिन अचानक पता चला कि हड़ताल है अब कल दोबारा आना होगा।
सिकंदर

हड़ताल होने पर मरीज के परिजनों को तुरंत एक मैसेज कर दिए जाना चाहिए ताकि दूर दराज से आने वाले मरीजों को परेशानी ना हो।
प्रिंस

मेडिकल कालेज में आम दिनों की तुलना आज ज्यादा भीड़ दी लेकिन डॉक्टर उपलब्ध रहे इसलिए नंबर आने में ज्यादा परेशानी नही हुई। थोड़ा समय तो लाइन में लगने में लगा।
जफर चौधरी

Posted By: Inextlive