Meerut News : 24 लाख की आबादी पर केवल 3100 सफाई कर्मचारी नगर निगम में तैनात
मेरठ (ब्यूरो)। हर साल स्वच्छता सर्वेक्षण में नगर निगम गार्बेज फ्री सिटी वन स्टार, ओडीएफ प्लस प्लस और फास्टेस्ट मूवर बिग सिटी जैसे नए-नए तमगे हासिल कर रहा है। ये तो सब जानते हैैं, मगर सीमित कर्मचारियों के भरोसे शहरभर में सफाई होती कैसे हैै, ये समझ से परे है। जब दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने इस बाबत फैक्ट चेक किया तो पता चला कि निगम के सफाई अभियान और स्वच्छता सर्वेक्षण का दायरा केवल वीआईपी इलाकों तक सीमित रहता है।
जरा समझ लेंनियमानुसार 10 हजार की आबादी पर 28 सफाई कर्मचारी होने चाहिए लेकिन मेरठ जिले करीब 24 लाख की आबादी के हिसाब से सफाई का जिम्मा मात्र 3100 करीब कर्मचारियों के कंधे पर है। जबकि नियमानुसार 90 वार्डों में सफाई के लिए करीब 6720 कर्मचारी निगम मेें तैनात होने चाहिए।
एक नजर में
90 वार्डों में सफाई के लिए नगर निगम में करीब 3480 स्थाई पद स्वीकृत हैैं।
शहर की 24 लाख की आबादी पर 6720 करीब कर्मचारी निगम मेें तैनात होने चाहिए।
ये भी जरूरी1985 तक स्थायी पदों पर भर्ती होती थी। उस समय नगर महापालिका होती थी। 1992 में करीब 667 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी स्थायी किए गए। 1994 में नगर निगम का गठन होने के बाद से नहीं हुई स्थाई सफाई कर्मचारियों की भर्ती। 2011 तक रही कर्मचारियों को संविदा पर रखे जाने की व्यवस्था। 2015 से आउटसोर्सिंग पर कर्मचारियों को रखे जाने की व्यवस्था लागू की गई थी। 2022-23 में स्वच्छता सर्वेक्षण की स्थिति
7500 कुल अंकों का था सर्वेक्षण
सर्वेक्षण में मिले थे 70.4 प्रतिशत अंक
2250 अंक का था सिटीजन फीडबैक
2047.08 अंक सिटीजन फीडबैक में मिले थे
90.9 प्रतिशत अंक सिटीजन फीडबैक में मिले थे
15वीं रैंक थी देश में मेरठ नगर निगम को मिली थी
5283.65 अंक मिले थे शहरभर में गंदगी और कूड़े के ढेर देखने को मिलते हैैं लेकिन फिर भी पता नहीं कैसे ओडीएफ प्लस प्लस का तमगा निगम को मिल जाता है।
मुकुल
जहां देखो वहां सड़क किनारे अस्थाई खत्ते बढ़ते जा रहे हैैं। नगर निगम का ध्यान इस तरफ नहीं है। सफाई के नाम पर बस खानापूर्ति चल रही है।
हनी
तरूण सफाई कर्मचारियों की संख्या शहर की जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है। लेकिन इसके बाद भी टेंडर निकालकर संख्या में इजाफा करने का प्रयास किया जा रहा है।
डॉ। हरपाल सिंह, प्रभारी नगर स्वास्थ्य अधिकारी