एक बार फिर वही योजना, देखना है...अंजाम-ए-गुलिस्तां क्या होगा
मेरठ (ब्यूरो)। कैंट बोर्ड के सीईओ ज्योति कुमार के अनुसार डस्टबिन बांटने की योजना नौ साल पहले भी छावनी में शुरू की गई थी। दरअसल, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन सर्विस के तहत हर घर में सूखा और गीले कूड़ा रखने के लिए दो-दो कूड़ेदान देने का अभियान चलाया गया था। जिसमें आठों वार्डो में करीब 4500 डस्टबिन देने का लक्ष्य रखा गया था। बोर्ड द्वारा दो डस्टबिन की कीमत 40 रुपये रखी गई थी। मगर 2000 डस्टबिन देने के बाद योजना अधर में अटक गई।
दोबारा आई योजना
कैंट एरिया की आबादी लगभग सवा लाख के करीब है। अब एक बार फिर इस आबादी में डस्टबिन बांटने की तैयारी की जा रही है। योजना के तहत नीले व हरे रंग के दो-दो डस्टबिन हर घर में दिए जाएंगे। इनमें सूखा कूड़ा डालने के लिए हरा और गीला कूड़ा डालने के लिए नीले रंग का डस्टबिन दिया जाएगा। इसके बाद इन्हीं डस्टबिन से कैंट की कूड़ा गाडिय़ां डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन करेंगी।
स्वच्छता दूत करेंगे सहयोग
इस योजना के तहत सबसे पहले लोगों को इस बाबत जागरुक किया जाएगा कि वह क्षेत्र में स्वच्छता निर्माण में अपनी जिम्मेदारी निभाएं। इसके लिए हर वार्ड में लोगों को जागरूक करने के लिए स्वच्छता दूत की तैनाती की जाएगी। जो जगह-जगह कूड़ा फेंकने वाले लोगों को भी रोकेंगे।
स्वच्छता दूत बनाने के लिए हर वार्ड के 10 से 15 जागरूक व सफाई पसंद लोगों को योजना से जोड़ा जाएगा। जिसमें स्कूली बच्चों से लेकर व्यापारी वर्ग तक के लोग शामिल होंगे।
कूड़े से बनेगी बिजली
कैंट बोर्ड पूरे एरिया से डोर टू डोर कूड़ा एकत्र कर ट्रैंचिंग ग्राउंड में एकत्र करेगा। यहां से कूड़ा बिजली बनाने वाली निजी कंपनियों को बेचा जाएगा। इसके लिए बकायदा टेंडर प्रक्रिया के तहत आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। डस्टबिन भी गायब
इस योजना के तहत कैंट के आठों वार्डों की हर गली में डस्टबिन लगाने की प्लानिंग भी बनाई गई थी। मगर यह प्लानिंग भी फेल हो गई। इतना ही नहीं, जहां-जहां डस्टबिन लगाए थे वो भी धीरे-धीरे गायब हो गए। पहले भी यह योजना शुरू की गई थी पर कुछ जगह कूड़ेदान बंटे और बंद योजना बंद हो गई। इस बार योजना ढंग से लागू हो तो ही काम बनेगा।
अमित बंसल, महामंत्री, सदर व्यापार मंडल क्षेत्र में जगह-जगह कूड़ा फैला है, बारिश के चलते हर जगह बदबू और गंदगी से बुरे हालात है। गलियों में कूड़ेदान तक नहीं हैं
राजीव, निवासी
बाजारों में भी सार्वजनिक कूड़ेदान तक नहीं है। डस्टबिन बांटने की योजना तो पहले भी चलाई गई थी लेकिन खानापूर्ति करके योजना को बंद कर दिया गया।
दीपक चड्ढा, व्यापारी नेता
ज्योति कुमार, सीईओ कैंट बोर्ड