ओह डस्टबिन! तीन बार चुरा ले गए...इस बार न जाने क्या होगा
मेरठ (ब्यूरो)। एक बार देख लिया, दो बार देख लिया, तीन बार देख लियातब भी नगर निगम को समझ में नहीं आया। अब चौथी बार वही भूल की जा रही है। इससे पहले भी नगर निगम ने लाखों खर्च करके डस्टबिन लगाए हैं। वे सब चोरी हो गए या फिर जल गए। इसके बावजूद नगर निगम की हिम्मत देखिए कि एक बार फिर प्लास्टिक डस्टबिन लगाए जा रहे हैं। अपडेट ये है कि इस बार नीले और हरे के अलावा मेडिकल वेस्ट के लिए काले रंग का डस्टबिन भी लाया गया है।
डस्टबिन पर खर्च 60 लाख
निगम ने साल 2018 में जगह-जगह हरे और नीले रंग के 1500 डस्टबिन लगाए गए थे। लगाने के बाद ही डस्टबिन या तो गायब हो गए या जला दिए गए। जनता ने इन्हें लगाते समय ही विरोध किया था। लेकिन, निगम नहीं माना। इसके कुछ समय बाद रात में कुछ डस्टबिनों में आग लगा दी गई, जबकि कुछ चोरी हो गए। इससे निगम के खजाने को 60 लाख रुपए का नुकसान हुआ। छह माह के भीतर डस्टबिन धरातल से गायब हो गए। हालांकि इस मामले की जांच में तत्कालीन नगर स्वास्थ्य अधिकारी तक पर आरोप लगे थे।
दूसरी बार स्टील के डस्टबिन
स्वच्छता सर्वेक्षण-2019 में सफलता के लिए निगम प्रशासन ने शहर की सड़क और प्रमुख स्थानों पर डयूल स्टील के 500 से अधिक डस्टबिन सेट लगवाए थे। जिनकी सुंदरता की तारीफ भी हुई, लेकिन स्टील डस्टबिन पर चोरों की नजर लग गई और अधिकतर जगह से डस्टबिन चोरी हो गए। इस पर भी निगम का 35 लाख रुपए से अधिक खर्च हुआ था।
स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में नगर निगम प्रशासन ने एक बार फिर शहर के कुछ प्रमुख स्थानों पर प्लास्टिक डस्टबिन लगाना शुरू किया था। इसके लिए सुरक्षित स्थानों का चयन कर डस्टबिन लगाए गए थे। इसके तहत फरवरी-मार्च में 5200 रुपए के हिसाब से शहर के प्रमुख बाजारों, चौराहों के आसपास 95 डस्टबिन लगवाए थे। लेकिन, स्वच्छता सर्वेक्षण का काम पूरा होने के कुछ दिन बाद ही डस्टबिन गुमशुदा हो गए। जब डस्टबिन की तलाश शुरू की गई तो अधिकतर डस्टबिन गायब मिले। मामला संदिग्ध होने के बाद सहायक नगर आयुक्त ने नगर आयुक्त को पत्र भेज कर सत्यापन में असमर्थता जताकर खानापूर्ति कर दी।
ट्रिपल डस्टबिन का प्लान
अब स्वच्छता सर्वेक्षण-2022 में अंक पाने के लिए नगर निगम ने एक बार फिर प्लास्टिक डस्टबिन लगाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके तहत शहर में सभी प्रमुख बाजार, पार्क, सार्वजनिक स्थलों पर प्लास्टिक डस्टबिन लगाए जा रहे हैं। लेकिन, इस बार नीले हरे के साथ तीसरा काले रंग का डस्टबिन भी लगाया जा रहा है। इस काले रंग के डस्टबिन में केवल मेडिकल वेस्ट, सुई, मास्क आदि को एकत्र किया जाएगा। हालांकि इनकी सुरक्षा के लिए निगम ने स्थान का चयन विचार करके किया है। लेकिन, कब तक यह सुरक्षित रहेंगे यह देखना है।
-2018 में प्लास्टिक डस्टबिन में 60 लाख रुपए के घोटाले के लगे थे आरोप
-1500 से अधिक लगाए गए थे प्लास्टिक डस्टबिन
- 2019 में स्टील के 500 से अधिक स्टील के डयूल सेट डस्टबिन लगवाए गए थे। जिसमें से अधिकतर चोरी हो गए।
-2021 में फिर प्लास्टिक डस्टबिन लगाना शुरू किया था। इसके तहत प्रमुख बाजारों, चौराहों के आसपास 95 डस्टबिन लगाए गए थे जो कि कुछ दिन बाद ही गायब हो गए थे।
-2022 में ट्रिपल सेट डस्टबिन लगाए जाना हुआ शुरू। इसमें काला डस्टबिन मेडिकल वेस्ट के लिए रखा।
वर्जन-
डस्टबिन केवल उन्हीं स्थानों पर लगाए जा रहे हैं, जहां नहीं हैं। यह जनता की जागरूकता की बात है कि वह अपने सुविधा के लिए लगाए गए डस्टबिन को सुरक्षित रखें और उनका प्रयोग करें।
- डॉ। गजेंद्र सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी