430 कॉलेजों में 43 हजार सीटों पर सबसे अधिक संकट है मेरठ मंडल में 19 हजार सीटें खाली रही थीं पिछले साल बीएड की जॉब के लिए स्टूडेंट्स अब डीएलएड की तरफ कर रहे हैं रुख

मेरठ ब्यूरो । पहले प्राइमरी स्कूलों में विशिष्ट बीटीसी के तहत बीएड करने वाले छात्रों को मौका मिलता था। इससे बीएड करने वाले अभ्यर्थियों के लिए कई रास्ते खुलते थे। हालांकि, अब सरकार ने बीएड के बाद प्राइमरी स्कूलों में टीचिंग जॉब के रास्ते बंद कर दिए हैं, तो अब छात्रों में बीएड करने की रुचि भी कम हो रही है। हालत यह है कि प्रदेशभर के बीएड कॉलेजों में स्टूडेंट्स की संख्या अब कम हो गई है। वहीं, अब डीएलएड में की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।
अब डीएलएड को योग्य माना
हालत यह है कि अगस्त 2023 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से ही प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए स्टूडेंट्स ने बीएड से अपना हाथ खींच लिया है और डीएलएड की तरफ रुख कर दिया है। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के प्राइमरी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए डीएलएड को ही अनिवार्य योग्य माना था।

खाली रह गईं सीटें
इसके बाद बीएड के आवेदक प्राइमरी स्कूलों में शिक्षक बनने की दौड़ से बाहर हो गए है। सत्र 2024 में प्रदेश के पांच हजार से अधिक बीएड कॉलेजों में दो लाख 43 हजार सीटों में केवल एक लाख 38 हजार एडमिशन हुए हैं। वहीं डीएलएड में इसी साल में दो लाख 33 हजार सीटों पर दो लाख 78 हजार फार्म आ चुके हैं। हाल ही में यूपी हाईकोर्ट ने डीएलएड में एडमिशन की न्यूनतम योग्यता इंटर मानी है।

बीएड से मोहभंग, डीएलएड पसंद क्यों
- प्राइमरी स्कूल शिक्षक नियुक्ति में केवल डीएलएड यानि डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन अनिवार्य

- बीएड के आधार पर जूनियर, माध्यमिक स्कूलों में रिक्तियां नहीं है

- डीएलएड से रोजगार के बेहतर अवसरों की उम्मीद बीएड में नहीं है

- बीएड में एडमिशन परीक्षा, डीएलएड में मेरिट से एडमिशन

43 हजार सीटों पर संकट
मेरठ मंडल की बात करें तो सीसीएसयू से जुड़े करीब 430 कॉलेजों में 43 हजार सीटों पर सबसे अधिक संकट है। आवेदक नहीं होने से निजी कॉलेजों में खाली सीटें रहना तय है। चूंकि पहले काउंसिलिंग और फिर रिक्त सीटों पर सीधे एडमिशन को बीएड एंट्रेंस में शामिल होना जरूरी है। लेकिन पर्याप्त स्टूडेंट्स ही नहीं है। स्टूडेंट्स न मिलने से कई कॉलेजों में इस सत्र ताला लटकने की आशंका है। पिछले साल भी करीब 19 हजार सीटें खाली थी, जिनमें कॉलेजों ने सीधे एडमिशन देने के लिए कहा बावजूद इसके किसी को रुचि नहीं थी। 2022 में भी 40 प्रतिशत सीटें खाली पड़ी थी, वहीं 2021 में भी 30 प्रतिशत सीटें खाली रही थी। ऐसे में लगातार सीटें खाली जा रही है।


आवेदक लाखों में है डीएलएड
वर्ष सीट आवेदन एडमिशन
2020 22,8000 164000 96,134
2021 233000 160000 55677
2023 233350 336187 163250
2024 233350 278783 जारी

आवेदकों का ग्राफ गिरा प्रतिशत बीएड

वर्ष आवेदन
2020 5.91
2021 6.14
2022 6.7
2023 4.73
2024 1.93

प्राइमरी स्कूलों में नियुक्ति के रास्ते बंद होने से बीएड की तस्वीर बदल गई है। यूपी की सीटों में जितने आवेदन भी नहीं आए है, सीटें आधी भी मुश्किल से ही भर पा पाई है। जबकि डीएलएड में स्थिति उलट है, इसमें स्टूडेंट्स को सरकारी नौकरी मिलने की उम्मीद ज्यादा है, इसलिए वो पहली पसंद डीएलएड को चुन रहे हैं।
एडवोकेट नितिन यादव, अध्यक्ष स्ववित्तपोषित महाविद्यालय संघ

अब टीचर बनना मुश्किल है, बीएड के बाद भी विभिन्न टेस्ट देने पड़ते हैं। डीएलएड ने स्टूडेंट्स के लिए रास्ता खोल दिया है, यह बहुत ही अच्छा है। अब डीएलएड को अधिक पसंद किया जा रहा है।
देवेंद्र शर्मा, रिटायर्ड टीचर

हमने डीएलएड के लिए अप्लाई किया है, क्योंकि बीएड से ज्यादा इसमें जॉब के चांस है।
अनन्या शर्मा, स्टूडेंट

डीएलएड से जॉब के अधिक चांस बन रहे हैं, यह बहुत अच्छा है। इसलिए हमने डीएलएड का आवेदन किया है।
पंकज कुशवाह, स्टूडेंट

Posted By: Inextlive