5 से 12 साल तक के बच्चों का लगेगा हाफ टिकट हाफ टिकट देने के बावजूद भी बच्चों को सीट नहीं देते थे कंडक्टर

मेरठ ब्यूरो। अगर आप रोडवेज बस में सफर कर रहे हैं। तो आपको बच्चों का हाफ टिकट लेना ही पड़ेगा, दरअसल, ये नियम पुराना है, लेकिन बीते कई दिनों से कंडक्टर की आ रहीं शिकायतों के बाद आरएम ने निर्देश जारी किए हैं। बच्चों की हाफ टिकट के साथ अब सीट भी मिलेगी। इससे बच्चों के साथ- साथ उनके अभिभावकों का सफर सुविधा जनक हो जाएगा। इससे रोडवेज को आमदनी में इजाफा होगा।
हाफ टिकट देने से बचते थे
हालांकि, यह नियम पहले से ही है लेकिन इसकी ना तो यात्रियों को जानकारी है और ना ही परिचालक यात्रियों को हॉफ टिकट देते हैं ऐसे में अब इस नियम को गंभीरता से लागू किए जाने के आदेश जारी किए गए हैं।
बच्चों को मिलेगी पूरी सीट
गौरतलब है कि रोडवेज में सफर करने पर 5 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों का हाफ टिकट लगता है। हालांकि, कई बार कंडक्टर हाफ टिकट तो देते हैं, लेकिन बच्चों को सीट मुहैया नहीं कराते थे। कई बार यात्रियों ने इसकी शिकायत आलाधिकारियों से की थी। सफर के दौरान कई बार यात्रियों की बहस भी हुई थी। ऐसे में रोडवेज प्रशासन के पास लगातार शिकायतें पहुंच रहीं थीं।
रोडवेज प्रशासन गंभीर
गौरतलब है कि कई बार हाफ टिकट के बावजूद भी बच्चों को सीट न मिलने से बहस हो जाती थी। मजबूरी में पेरेंट्स को अपने बच्चों को गोद में बिठाना पड़ता था। ऐसे में अब रोडवेज प्रशासन की ओर से हाफ टिकट पर पूरी सीट देने का आदेश नए सिरे से जारी किया गया है। मतलब अगर किसी बच्चे की हॉफ टिकट ली जा रही है तो उसे बैठने के लिए सीट भी दी जाएगी।
गोद में बैठा बच्चा तो कंडक्टर जिम्मेदार
दरअसल, रोडवेज बसों में सफर करने वाले पांच से बारह साल के बच्चों का आधा टिकट लगता है। लेकिन बस पूरी फुल हो जाती है तो कंडक्टर द्वारा संबंधित यात्रियों से बच्चों को गोद में बैठाने के लिए कह दिया जाता है। लेकिन इस नए नियम के बाद बच्चे का टिकट जारी कर सीट दिलाना खुद परिचालक की जिम्मेदारी होगी।

बच्चों का हाफ टिकट जारी करने के निर्देश सभी परिचालकों के पास हैं। यदि इसके बाद भी बच्चों को सीट नही दिलाई जा रही है तो यह जांच का विषय है। शिकायत आने पर कार्रवाई होगी।
- केके शर्मा, आरएम

यह आदेश पहले से ही लागू है लेकिन अधिकतर बसों में इसकी अनदेखी होती है। टिकट दे दिया जाता है लेकिन सीट नही दी जाती है।
- कृष्णा

गत माह सफर के दौरान बच्चे का टिकट लेने के बाद भी उसको सीट नही दी थी क्योंकि बस में जगह ही नही थी। जब टिकट का पैसा लिया है तो कम से कम बच्चों को तो सीट दी जानी चाहिए।
- देव

सीट ना मिलने पर बस में लिखे हेल्पलाइन नंबर पर फोन करने का भी फायदा नही मिलता हैं क्योंकि वह नंबर अक्सर मिलता ही नही है।
- राजू

यात्री को सफर करना होता है इसलिए जगह ना होने पर भी मजबूरी में खड़े होकर सफर करता है। लेकिन टिकट उतने ही काटने चाहिए जितनी सीट हों इससे सभी यात्रियों की सुविधा रहेगी।
- नरेश कुमार

Posted By: Inextlive