सीसीएसयू के एमबीबीएस एग्जाम के बाद कॉपी बदलने के मामले में एक बार फिर से एसआईटी की टीम जांच में जुट गई। गौरतलब है कि साल 2018 में सीसीएसयू में एग्जाम के बाद एमबीबीएस की कॉपियां बदलने का खेल उजागर हुआ था। अब यूपी एसआईटी की टीम सीसीएस यूनिवर्सिटी के 57 अधिकारियों और कर्मचारियों से सवाल-जवाब करने की तैयारी में है।

मेरठ, (ब्यूरो)। गौरतलब है कि एसआईटी ने यूनिवर्सिटी से उस दौरान परीक्षा और रिजल्ट से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम मांगे थे। अब उन नामों को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मुहैया करा दिया है। अब ऐसे में अनुमान है कि अगले महीने में एसआईटी या तो यूनिवर्सिटी आएगी या फिर कर्मचारियों को तारीख देकर लखनऊ बुलाएगी।

यूनिवर्सिटी ने भेजे नाम
सीसीएसयू यूनिवर्सिटी ने एमबीबीएस एग्जाम के रिजल्ट और कॉपियों से जुड़े कुल 57 अधिकारी और कर्मचारियों के नाम यूपी-एसआईटी को भेज दिए हैं। अब इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से एसआईटी की टीम पूछताछ करेगी। हो सकता है कि एसआईटी की टीम पूछताछ के लिए यूनिवर्सिटी आए या फिर इन अधिकारियों और कर्मचारियों को लखनऊ बुलाया जाए।

पहली बार इस तरह की पूछताछ
गौरतलब है कि सीसीएस यूनिवर्सिटी के इतिहास में पहली बार इतने बड़े स्तर पर अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ होगी। इससे पहले आज तक इतने बड़े स्तर पर जांच नहीं हुई है। वैसे साल 2018 में एमबीबीएस प्रकरण में एसआईटी कई बार जांच कर चुकी है। साथ ही इससे पहले भी कई अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ कर चुकी है। वहीं, सूची में नाम आते ही अधिकारियों और कर्मचारियों में खलबली मच गई है। कहा जा रहा है कि अब एसआईटी की टीम अब दिसंबर में अधिकारियों और कर्मचारियों से पूछताछ कर सकती है।

लिखवाई जा सकती है राइटिंग
बता दें एसआईटी की ओर से इस मामले में राइटिंग भी लिखवाई जा सकती है। क्योंकि उन कॉपियों की राइटिंग को बदलने में किसका हाथ है अभी तक ये भी साफ नहीं हो पाया है। इसको लेकर टीम कर्मचारियों से राइटिंग लिखवा सकती है, इसके अलावा अलग-अलग सवाल कर सकती है। इन सवालों से साफ हो सकता है कि कौन किसका क्या जवाब दे रहा है। अगर जवाब में कोई शंका होती है तो उससे भी कोई पकड़ में आ सकता है। सुराग पाने के लिए टीम हर तथ्य की पड़ताल कर रही है।

पिछले साल भी आई थी टीम
एसआईटी ने एमबीबीएस के खेल से पर्दा उठाने के लिए जांच तेज कर दी है। एसआईटी के अधिकारी यूनिवर्सिटी को निरंतर जवाब देने के लिए रिमाइंडर भेज रहे थे। मामले से जुड़े विभिन्न पक्षों से रिकॉर्ड मांगे जा रहे थे। इससे पहले भी बीते साल 31 कर्मचारियों से एसआईटी की टीम दो बार बात कर चुकी है। इस मामले में पिछले साल भी दिसम्बर में टीम तीन दिन के लिए मेरठ आई थी। यूनिवर्सिटी से टीम ने कई तथ्य जुटाए थे। इसके साथ ही टीम सीसीएसयू से कुछ रिकॉर्ड के तौर पर कागजात लेकर गई थी। ऐसा अनुमान है उन कागजों से मिले कुछ तथ्यों के आधार पर ही टीम यूनिवर्सिटी के कर्मचारियों से बात करेगी।

यह है मामला
गौरतलब है कि साल 2018 में मेरठ एसटीएफ ने यूनिवर्सिटी कैंपस से कविराज को गिरफ्तार किया था। दावा था कि एमबीबीएस में परीक्षा के बाद कॉपियां बाहर लिखवाकर बदली जा रही हैं। एसआईटी ने यूनिवर्सिटी कैंपस के कर्मचारी और मेडिकल के छात्रों सहित आठ से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया था। यूनिवर्सिटी से 181 संदिग्ध कॉपियां भी जब्त की थीं। एसटीएफ का दावा है कि इन सभी कॉपियों में टेंपरिंग की गई थी। बाद में राज्य सरकार ने इस मामले की जांच राज्य स्तरीय एसआईटी को सौंप दी। इसके बाद इस मामले में टीम अभी तक चार बार मेरठ आ चुकी है और दो बार कर्मचारियो को जांच के लिए लखनऊ बुला चुकी है। इसके बावजूद भी अभी तक यह मामला सॉल्व नहीं हो पाया है। इस मामले में अब एक बार दोबारा से टीम 57 अधिकारियों और कर्मचारियों से बात करेगी।


एसआईटी ने नाम मांगे गए थे, लिहाजा यूनिवर्सिटी ने नाम भेज दिए है। बाकी टीम क्या करेगी, क्यों नाम मांगे है। इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं। ये एसआईटी का मामला है। वो अपने स्तर पर जांच कर रही है।
धीरेंद्र कुमार वर्मा, रजिस्ट्रार, सीसीएसयू

Posted By: Inextlive