अब क्रिमिनल नहीं, कुत्तों से डर लगता है !
मेरठ ब्यूरो। डॉग बाइट के मामले में बीते एक साल में बढ़ गए। शहर में आवारा कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। वहीं, निगम और प्रशासन के प्रयास लचर साबित हो रहे हैं। हालत यह है कि बीते एक साल में जिले में 42 हजार 466 से अधिक लोगों को खंूखार कुत्ते अपना शिकार बना चुके हैं। खास बात यह है कि यह आंकड़ा सिर्फ सरकारी अस्पतालों में रैबिज वैक्सीन के लिए आने वाले मरीजों का है, जबकि प्राइवेट अस्पताल में जाने वाले मरीजों की संख्या तो इससे भी दोगुनी हो सकती है। वहीं आवारा कुत्तों से शहर के लोगों की सुरक्षा के लिए नगर निगम स्तर पर नसबंदी का प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहा है।
गलियों में बढ़ रही संख्या
साल भर में मात्र साढ़े आठ हजार कुत्तों की नसबंदी की जा चुकी है। बावजूद इसके शहर की हर गली मोहल्ले में कुत्तों की संख्या और आतंक बरकरार है।
117 लोग रोजाना बन रहे शिकार
पीएल शर्मा जिला अस्पताल में बीते एक साल यानि 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2022 तक कुत्तों ने 42हजार 466 लोगों को काटा है। यानी हर रोज करीब 117 लोग कुत्तों का शिकार हो रहे हैं। ये आंकड़ा सिर्फ पीएल शर्मा जिला अस्पताल का है। वहीं, निजी अस्पतालों में जाने वाले मरीजों की तो उनकी संख्या तो लाखों में हो सकती है, लेकिन उनका कोई रिकार्ड दर्ज नही किया जाता है।
वैक्सीन के लिए इंतजार
डॉग बाइट के केस बढऩे के कारण जिला अस्पताल में हर रोज एंटी रैबीज वैक्सीन काउंटर पर मरीजों की लंबी लंबी कतार लगी रहती है। यहां आने वाले मरीजों में शहर व देहात के मरीज शामिल रहते हैं लेकिन इन मरीजों में सबसे अधिक संख्या शहर में रहने वाले मरीजों की होती है। मरीजों की अत्याधिक संख्या के चलते साल के अधिकतर दिन जिला अस्तपाल में रैबीज वैक्सीन की शार्टेज रहती है। रोजाना 40- 45 प्रतिशत मरीजों को वैक्सीन तुरंत उपलब्ध नहीं हो पाती है।
जनवरी 2771
फरवरी 3651
मार्च 4019
अप्रैल 3844
मई 4309
जून 4017
जुलाई 3740
अगस्त 3062
सितंबर 3753
अक्तूबर 3629
नवंबर 2721
दिसंबर 2930
नसबंदी भी काफी कम
गौरतलब है कि एक साल पहले निगम ने आवारा कुत्तों की नसबंदी का अभियान चलाया था। इसके तहत करीब 8 हजार 537 कुत्तों की नसबंदी हो चुकी है। इन कुत्तों को शहर की गलियों से पकड़ कर परतापुर बराल के शंकर नगर फेज दो में संचालित एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर में ले जाया जाता है जहां नसबंदी के बाद वापस उसे क्षेत्र में छोड़ दिया जाता है जहां से कुत्तों को पकड़ कर लाया गया था। निगम का दावा है कि कुछ सालों बाद नसबंदी से शहर में कुत्तों की आबादी मे कमी आएगी।
- डॉ कौशलेंद्र सिंह, चिकित्सा अधीक्षक