हर बरसात में जलभराव की समस्या शहर की मलिन बस्तियों और बाहरी कॉलोनियों के लिए सर दर्द बनी रहती है. अब जल्द ही जलभराव की समस्या से निजात मिलेगी. इसके लिए नगर निगम अमृत योजना के दूसरे चरण अमृत 2.0 के तहत शहर के सीवर लाइन नेटवर्क को शत प्रतिशत करने की कवायद में जुट गया है.

मेरठ (ब्यूरो)। हर बरसात में जलभराव की समस्या शहर की मलिन बस्तियों और बाहरी कॉलोनियों के लिए सर दर्द बनी रहती है। अब जल्द ही जलभराव की समस्या से निजात मिलेगी। इसके लिए नगर निगम अमृत योजना के दूसरे चरण अमृत 2.0 के तहत शहर के सीवर लाइन नेटवर्क को शत प्रतिशत करने की कवायद में जुट गया है। इसके साथ ही इस योजना में शहर के लोगों की पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए पेयजल कनेक्शन, पेयजल शुद्धिकरण और जल स्रोतों के संरक्षण पर भी काम किया जाएगा।

सीवर लाइन से वंचित शहर
गौरतलब है कि अमृत योजना के तहत जल निगम शहर में सीवर लाइन का काम करा रहा है। योजना के तहत अब तक 86.56 किमी सीवर लाइन डाली जा चुकी है। इससे पहले की पुरानी सीवर लाइन मिलाकर अब शहर में करीब 753 किमी का सीवर नेटवर्क तैयार हो चुका है। इससे शहर का करीब 45 प्रतिशत हिस्सा सीवर लाइन नेटवर्क से कवर हो चुका है।

कवर करने की कवायद
अब अमृत 2.0 योजना के दूसरे चरण में शहर के बाकी बचे करीब 55 प्रतिशत हिस्से को कवर करने की कवायद में नगर निगम, जलकल और जलनिगम संयुक्त रूप से जुट गया है। इस के तहत शहर के अधिकतर सभी वार्डों को सीवर लाइन से कवर करने के लिए दूसरे चरण में करीब 11 सौ किमी की सीवर लाइन शहर में डाली जाएगी। इससे सीवर का पानी सीधा ट्रीटमेंट के लिए पहुंचेगा और बरसात का पानी नालियों के रास्ते सीधा नाले में पहुंचेगा। इस योजना के तहत जल निगम अफसरों ने 1034 किमी सीवर लाइन डालने और फिर हाउस कनेक्शन करने के खर्च का अनुमान 2200 करोड़ लगभग लगाया है।

फैक्ट-

- अमृत योजना के तहत शहर में जारी सीवर लाइन का काम
- 2015 में शुरू हुआ था योजना का पहला चरण
- अब 2022 में शुरू किया जाएगा दूसरे चरण का काम
- अब तक इस योजना के पहले चरण में 86.56 किमी का काम हुआ पूरा
- 120 करोड़ में पूरा हुआ पहले चरण का काम
- पुरानी सीवर लाइन के साथ ही शहर में 753 किमी का सीवर लाइन हुआ तैयार
- दूसरे चरण में अमृत योजना के तहत शहर के शेष 55 प्रतिशत एरिया होगा कवर
- दूसरे चरण के लिए पांच साल की बनाई गई कार्ययोजना
- इस योजना में पेय जल शुद्धीकरण, कनेक्शन और संरक्षण पर भी होगा जोर

एसटीपी करेगी पानी साफ
गौरतलब है कि शहर में प्रतिदिन 338 एमएलडी सीवेज उत्सर्जित होता है। करीब 159 एमएलडी सीवेज काली नदी में बिना ट्रीट किए बहाया जा रहा है। इस पानी को ट्रीट करने के लिए जल निगम का एक 72 एमएलडी एसटीपी है। जबकि एमडीए के 12 एसटीपी हैं। जल निगम व एमडीए को मिलाकर सीवेज शोधन क्षमता कुल 179 एमएलडी है। नेशनल मिशन फार क्लीन गंगा के तहत 220 एमएलडी का एक एसटीपी स्वीकृत हो चुका है। जो कि कमालपुर में बनना है इससे शत-प्रतिशत सीवेज का ट्रीटमेंट होगा।

इन क्षेत्रों को मिलेगी राहत
अमृत योजना के दूसरे चरण के तहत शहर के शेरगढ़ी, मलियाना, देवलोक कालोनी, सूर्या पैलेस, गगोल रोड से जुड़े मोहल्ले, पूर्वा इलाही बख्श, भगवतपुरा, हरिनगर, आदर्श नगर, सरधना रोड, कंकरखेड़ा, सोफीपुर, मोदीपुरम फेस दो, जैन नगर, देवपुरी, पल्हेड़ा, रोहटा रोड, खड़ौली के आसपास की कॉलोनियां समेत साईंपुरम इंडस्ट्रीयल एरिया आदि की सीवर लाइन को तैयार किया जाएगा।

वर्जन-
इस योजना के लिए शासन स्तर पर अनुमति मिल चुकी है जल्द प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद गाइड लाइन के अनुसार काम शुरु कर दिया जाएगा।
- रमेश चंद्रा, प्रबंधक जल निगम

Posted By: Inextlive