रहस्यमय सैलरी! आती है और गुम हो जाती है
मेरठ (ब्यूरो)। आवास विकास परिषद के संपत्ति विभाग में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के नाम पर बड़ा खेल खेला जा रहा है। कर्मचारियों की संख्या बढ़ाकर उनका वेतन किसी अन्य के अकाउंट में भेजा जा रहा है। इसका खुलासा सतीश शर्मा द्वारा डाली गई आरटीआई और आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत करने के बाद हुआ। हालांकि इस मामले में खुद को फंसता देख संपत्ति विभाग ने आनन-फानन में एक आउटसोर्सिंग कर्मचारी की तैनाती कर दी है। मगर उससे पहले पांच माह का वेतन जिसके खाते में गया उसका क्या होगा और इस मामले में किस पर कार्रवाई होगीये सवाल अभी बाकी हैैं। हालांकि इस मामले में संपत्ति अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैैं।
पांच कर्मचारी तैनात हैैं
गौरतलब है कि सतीश शर्मा नाम के व्यक्ति ने आवास विकास परिषद में बीते साल दिसंबर माह में एक आरटीआई डाली। जिसमें पूछा गया था कि कार्यालय में कितने आउटसोर्सिंग कर्मचारी काम कर रहे हैैं। आवास विकास की तरफ से 10 जनवरी को जवाब दिया गया कि कार्यालय में आशीष, तुषार, कशिश, नितिन और अभिनव को मिलाकर पांच कर्मचारी तैनात हैं। इसके बाद मार्च माह में सतीश कुमार ने आईजीआरएस पोर्टल पर शिकायत की कि नितिन शर्मा नाम का कोई शख्स कार्यालय में तैनात ही नहीं हैैं और उसके नाम पर वेतन किसी और के खाते में जा रहा है। इस मामले की जांच कर संपत्ति अधिकारी को तुरंत बर्खास्त किया जाए।
हालांकि सतीश कुमार के मुताबिक जब इस मामले की जांच शुरू हुई तो आनन फानन में नितिन शर्मा नाम के व्यक्ति की तैनाती दिखा दी गई। साथ ही अप्रैल माह से वेतन नितिन शर्मा के खाते में आना भी दर्शा दिया गया। वहीं एक पूर्व कर्मचारी कमल का नाम भी सामने आ गया। संपत्ति अधिकारी ने यह माना कि नितिन से पहले गलती से वेतन एक पूर्व कर्मचारी कमल के खाते में जा रहा था। लेकिन बीते दिसंबर में कमल कुमार द्वारा व्यक्तिगत कारणों से नौकरी छोड़कर चले जाने के बाद नितिन शर्मा स्किल्ड कर्मचारी को रख लिया गया। मगर वेतन कमल के खाते में ही जाता रहा। हालांकि सतीश कुमार द्वारा जब कमल की डिटेल संपत्ति विभाग से मांगी गई तो विभाग कमल के नौकरी छोडऩे के अलावा उसकी कोई डिटेल नहीं दे पाया।
विभाग ने नहीं दी जानकारी
सतीश कुमार का कहना है कि पहले नितिन शर्मा के बारे में डिटेल साझा की गई लेकिन उसकी तैनाती विभाग में थी ही नहीं। मगर जब इस पर सवाल उठाया गया तो नितिन शर्मा की तैनाती कर दी गई। वहीं वेतन कमल नाम के जिस कर्मचारी के खाते में गया उसका कुछ अता-पता ही विभाग के पास नहीं है।
सतीश कुमार के मुताबिक संपत्ति विभाग ने नितिन शर्मा को बतौर आउटसोर्सिंग कर्मचारी तैनात किया और उसके खाते में पांच माह तक वेतन ही नहीं पहुंचा। ऐसे में नितिन ने पांच माह तक वेतन न आने की शिकायत संपत्ति विभाग में क्यों नहीं की। कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतन मानकों के अनुसार दिया जा रहा है। कुछ विरोधाभास के चलते किसी अन्य कर्मचारी के खाते में वेतन जा रहा था जो कि अप्रैल माह से सही करा दिया गया है।
केशव राम, संपत्ति अधिकारी संपत्ति अधिकारी केशवराम इस मामले में एक कर्मचारी का मानदेय खुद हड़प रहे थे। इनके द्वारा आवास विकास परिषद को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसके साक्ष्य भी मेरे पास हैं। जांच के बाद कार्रवाई होनी चाहिए।
सतीश कुमार, शिकायतकर्ता