मेरे शहर को गार्बेज फ्री होना चाहिए था
मेरठ (ब्यूरो)। स्वच्छता सर्वेक्षण में हर साल नगर निगम अपने खाते में नई-नई उपलब्धियां और तमगे तो जोड़ रहा है, मगर उसका असर धरातल पर नजर नहीं आ रहा है। अगर आप कहेंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है तो आपको बता दूं कि आज नगर निगम के पास गार्बेज फ्री सिटी, ओडीएफ प्लस प्लस, फास्टेस्ट मूवर सिटी जैसी उपलब्धियां हैं। बावजूद इसके अधूरा कूड़ा कलेक्शन, सिल्ट से भरे नाले, बंद पड़ी स्ट्रीट लाइट, सड़कों व मुख्य चौराहों पर जगह-जगह फैली गंदगी और कूड़े से ओवरफ्लो डस्टबिन आपको जहां-तहां नजर आ जाएंगे। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के सात दिवसीय अभियान में ये सच्चाई सामने आई।
कूड़े के बड़े पहाड़
नगर निगम को गार्बेज फ्री का प्रमाण पत्र मिलने के बावजूद लोहियानगर और मंगतपुरम में लगे कूड़े के पहाड़ की ऊंचाई लगातार बढ़ रही है। पुराने शहर की गलियों से लेकर मलिन बस्तियों में कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था अधूरी है। इसलिए शहर के अधिकतर मुस्लिम बहुल इलाकों और मलिन बस्तियों में कूड़े का ढेर अस्थाई खत्तों की संख्या बढृा रहा है।
900 मीट्रिक टन कचरा रोज
शहर में 900 मीट्रिक टन कचरा प्रतिदिन उत्सर्जित होता है। जिसको मंगतपुरम, गांवड़ी के बाद अब लोहियानगर में एकत्र किया जा रहा है। वहीं फ्रेश कूड़े के निस्तारण का प्लांट पिछले साल से दो कंपनियों के चयन के विवाद में अटका हुआ है। वहीं इस साल नगर निगम को 15वें वित्त आयोग के मद से 72 करोड़ रुपये पहली किस्त में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए मिले थे। इसके अलावा कूड़े के निस्तारण के नाम पर लोहिया नगर में 30 टन प्रति घंटे का कूड़ा निस्तारण प्लांट पहले से है। वहीं, शहर से रोजाना एकत्र होने वाले फ्रेश कूड़े के निस्तारण के लिए लंबे समय से गांवड़ी में प्रस्तावित वेस्ट टू एनर्जी प्लांट का इंतजार खत्म नही हो रहा है।
16 टन कूड़ा संग्रह के पोर्टेबल कांपेक्टर आधारित पांच कूड़ा ट्रांसफर स्टेशन
73 वार्डों में आउटसोर्स पर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की व्यवस्था
21 प्रमुख ढलावघरों को तीन तरफ से दीवार बनाकर कवर्ड करना
गांवड़ी में फे्र श कूड़ा निस्तारण का प्लांट लगाने की तैयारी
मंगतपुरम में डंप पुराने कचरे के निस्तारण के लिए गांवड़ी की तर्ज पर प्लांट
प्रतिदिन उत्सर्जित कूड़े को जल्द गांवड़ी प्लांट पहुंचाने की व्यवस्था
शहर में रखे बड़े कूड़ेदान हटाकर बाजार वाले क्षेत्रों में छोटे कूड़ेदान लगाने की योजना
प्रत्येक घर तक कूड़ा गाड़ी पहुंचाने के लिए 150 से अधिक नई कूड़ा गाडियों की खरीद
कूड़ा कलेक्शन व्यवस्था अधूरी
गौरतलब है कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए नगर निगम ने 90 वार्डों में 180 से अधिक कूड़ा कलेक्शन गाडिय़ां लगाई थी। इसमें लगाए गए गाड़ी चालकों और सफाई कर्मचारियों पर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। इसकी पूर्ति करने और निगम की आय बढ़ाने के लिए 18 जनवरी 2020 को सरकार ने स्वच्छता उप नियमावली पर मुहर लगाते हुए एक जनवरी 2020 से कूड़ा उठाने के बदले यूजर चार्ज लेने के आदेश दिए थे। इसके बाद फरवरी 2021 में एक निजी कंपनी को कूड़ा कलेक्शन का काम दे दिया गया। इसमें निगम की गाडिय़ों से लेकर चालक और हेल्पर तक दिए गए हैं। लेकिन अभी तक भी निगम यूजर चार्ज व्यवस्था को शत-प्रतिशत लागू नहीं कर पा रहा है।
नगर निगम के रिकॉर्ड में भले ही करीब 3.83 लाख आवासीय और कमर्शियल भवन रजिस्टर्ड हों लेकिन इनकी संख्या पांच लाख से भी अधिक है। इनमें करीब 3.50 लाख आवासीय और 1.50 लाख करीब कमर्शियल भवन हैं। सभी भवनों पर निगम टैक्स ही नहीं लगा पाया है। इसको लेकर निजी कंपनी द्वारा जीआई सर्वे का काम जारी है।
आबोहवा नहीं हुई शुद्ध
वहीं, शहर की आबोहवा सुधारने यानि वायु गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए हर साल वित्त आयोग से नगर निगम कुछ बजट खर्च करता है। इसके तहत पिछले एक साल में करीब 27 करोड़ रुपया वायु गुणवत्ता सुधारने पर खर्च किया जा चुका है। जबकि इसके लिए 81 करोड़ का पूरा बजट तैयार किया गया था। यानि अभी तक कुल बजट का 35 प्रतिशत पैसा खर्च किया जा चुका है। जबकि 53.40 करोड़ रुपए निगम के पास बचा हुआ है। लेकिन इसके बाद भी शहर की सड़कों पर धूल के गुबार हैं। शहर की हरियाली गुम होती जा रही है और प्रमुख चौराहों का पॉल्यूशन लेवल लगातार बढ़ता जा रहा है। इसके कारण शहर के लोग सांस और दमे जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।
फैक्ट्स एक नजर में
वायु गुणवत्ता के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत मिले करीब 81 करोड़
81 करोड़ के इस बजट को 3 किस्तों में किया गया जारी
निगम के पास वायु गुणवत्ता सुधार के करीब 53.40 करोड़ बकाया
पहली किस्त के तहत नवंबर 2020 में मिले थे 36 करोड़
इसके बाद दूसरी किस्त के तहत मई 2021 में फिर 36 करोड़
तीसरी किस्त 2022 में 9 करोड़ रुपए हुए जारी
क्षतिग्रस्त सड़कों का निर्माण
वायु गुणवत्ता सुधार की मॉनिटङ्क्षरग को कंट्रोल रूम निर्माण
सड़कों के किनारे ग्रीन बेल्ट विकसित करना
सीएंडडी वेस्ट प्लांट की स्थापना
पार्कों के सौंदर्यीकरण
दो मुख्य चौराहों पर ग्रीन बेल्ट गार्बेेज फ्री बनाने के लिए लगातार कई योजनाओं पर काम चल रहा है। गांवड़ी कूड़े के ढेर से मुक्त हो चुका है। शहर के अंदर अधिकतर अस्थाई कूड़ा स्थल विलोपित स्थलों में बदले जा चुके हैं। कूड़ा कलेक्शन शत-प्रतिशत होने वाला है।
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी