नगर निगम का टारगेट, 7 माह में 41 करोड़ हाउस टैक्स
मेरठ (ब्यूरो)। सात माह बाद मार्च माह तक निगम को अपने 55 करोड़ के हाउस टैक्स की वसूली का टारगेट पूरा करना है। जबकि अभी तक केवल 14.70 करोड़ की वसूली ही निगम कर पाया है। हाउस टैक्स से राजस्व बढ़ाने के लिए गत वर्ष नगर निगम ने प्राइवेट कंपनी को जीआईएस सर्वे का काम सौंपा था। कंपनी का दावा है कि करीब 40 वार्डों का हाउस होल्ड सर्वे हो चुका है। इसमें करीब 3,28,193 भवन मिले हैं। जबकि निगम के रिकॉर्ड में 90 वार्डों में सिर्फ 29 हजार भवन ही कमर्शियल हैं। जबकि नगर निगम करीब 2.44 लाख भवनों से प्रतिवर्ष औसतन 40 करोड़ रुपये गृहकर वसूल रहा था। इसके बाद भी टारगेट पूरा नहीं हो रहा है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि बाकि बचे भवनों से टैक्स वसूली आखिर क्यों नहीं हो रही है।
चार लाख को नोटिस
अब राजस्व वसूली के लिए नगर निगम ने शहर के चार लाख भवन स्वामियों को धारा 213 के नोटिस भेजना शुरु कर दिया है। इसके लिए शासन के निर्देश पर राजस्व बढ़ाने के लिए ई-पॉश मशीन के साथ महानगर में शिविर लगाने शुरू कर दिए गए हैं। इसके लिए ई-पॉश मशीनों के साथ कर निरीक्षकों को शहर में उतारा है। वह डोर टू डोर पहुंचकर टैक्स बिल जमा करेंगे।
निगम एक्ट के मुताबिक आवासीय और कमर्शियल भवनों के हाउस टैक्स में कई गुना का अंतर होता है। शहर में कम से कम दो लाख से अधिक दुकानें और अन्य कमर्शियल भवन हैं। जबकि निगम रिकॉर्ड में यह संख्या अभी सिर्फ 29 हजार ही है। इसलिए शहर की अधिकतर सभी कालोनियों के आवासीय इलाकों में तेजी से बाजार विकसित हो रही है। घरों में गलियों में दुकानें, अस्पताल, मंडप आदि संचालित हो रहे हैं। इसके प्रमुख उदाहरण हैं शास्त्रीनगर सेंट्रल मार्केट, माधवपुरम, दिल्ली रोड, जागृति विहार, गंगानगर, पल्लवपुरम, कंकरखेड़ा, सोतीगंज, शारदा रोड, बागपत रोड समेत अधिकतर इलाकों में तेजी से दुकानें आदि बनकर तैयार हुई हैं। टैक्स वसूली के लिए लगातार नोटिस भेजने का काम किया जा रहा है। कई बकायेदारों के प्रतिष्ठान पर सील लगाने तक की कार्रवाई की जा चुकी है। टारगेट को पूरा करने का प्रयास जारी है।
ब्रजपाल सिंह, सहायक नगरायुक्त