मां के दर पर पूरी होती हैं मुरादें..
- रावण की पत्नी मंदोदरी ने की थी मूर्ति की स्थापना
- चंडी देवी के नाम से ही लगता है नौचंदी मेला Meerut- जैदी फार्म के नौचंदी मैदान के सामने स्थित मां चंडी देवी के मंदिर बहुत मान्य है। मंदिर की मान्यता है कि यहां रावण की पत्नी मंदोदरी ने मूर्ति की स्थापना की थी। मंदिर की खासियत है कि यहां के पुजारी का परिवार पांच पीढि़यों से माता की सेवा कर रहा है। पुजारी महेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि सबसे पहले इस मंदिर के पुजारी द्वारिका प्रसाद रहे। उसके बाद पंडित फकीर राम फिर पंडित चंडी प्रसाद और उसके बाद पंडित रामचंद शर्मा रहे। वर्तमान में पांचवीं पीढ़ी के पंडित महेंद्र कुमार शर्मा परंपरा को जारी रखते हुए माता की सेवा कर रहे हैं।नवरात्र में मां की अखंड ज्योति जलाई जाती है। देवी मां को छत्र भी चढ़ाया जाता है। नवरात्र के अंत में ढोल व नगाड़ों के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली जाती है।
- महेंद्र कुमार शर्मा, पुजारी, चंडी देवी मंदिर ---------- मां चंडी के नाम से लगता है मेलाहर साल लगने वाला नौचंदी इस नौचंदी मेले का नाम नाम मां चंडी देवी के नाम से ही प्रसिद्ध है। पुजारी महेंद्र शर्मा ने बताया कि जब चंडी देवी के मंदिर की स्थापना हुई थी तब से मां के नौ रूप होने के कारण मां को नवचंडी देवी के नाम से भी पुकारा जाता था। जैसे- जैसे भक्तों में इस मंदिर की श्रद्धा और भीड़ बढ़ने लगी, तभी से यहां नौचंदी मेला लगने लगा है। पुजारी ने बताया कि पहले नौचंदी मेला चैत्र शुक्ल के नवरात्र में तीन दिन लगा करता था। बाद में यह नवरात्र के नौ दिन भी लगने लगा और अब 40 दिन लगता है।
होती है पुत्र की प्राप्ति मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां लोग मेरठ ही नहीं बाहर से भी अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आते हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार अगर कोई भक्त सच्चे मन से चंडी देवी की 40 दिन तक लगातार पूजा करता है तो चंडी देवी प्रसन्न हो जाती हैं। मां चंडी की सच्चे मन से पूजा करने से कई भक्तों को पुत्र की प्राप्ति हुई है।