आग बना दानव, करोड़ों होते हैं स्वाह
- हर वर्ष जान व माल की भारी क्षति होती है
- जागरुकता के बावजूद आग की घटनाएं कम नहींMeerut: गर्मी का सीजन आते ही आग लगने की घटनाओं में तेजी आ गई है। वजह जो भी हो, हर वर्ष आग रुपी दानव से करोड़ों रुपए के माल की क्षति हो रही है। यही नहीं लोगों को भी अपनी जान गंवानी पड़ रही है। फायर ब्रिगेड विभाग के आंकड़े इस बात की स्वंय गवाही दे रहे हैं कि लाख जागरुकता के बावजूद आग लगने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। साथ ही इनमें क्षति भी कम नहीं हो रही है। चाहे वह माल की हो या फिर जान की। विभाग की मानें तो जितनी भी आग की घटनाएं होती हैं उनमें से 90 प्रतिशत मानव की गलती की वजह से होती हैं। जरा सी सावधानी जान और माल की बड़ी क्षति पर लगाम लगा सकती है।
करोड़ों की क्षतिपूरे वर्ष के आग लगने की घटनाओं पर नजर डालें तो हर वर्ष करीब 600 घटनाएं तो घटित हो ही जाती हैं। यह हम नहीं विभाग स्वंय दावा कर रहा है। इन घटनाओं में हर माल की क्षति का आंकलन करोड़ों में ही रहा है। हालांकि विभाग का यह भी दावा है कि उसने इससे कई गुना ज्यादा क्षति को रोका है। विभाग के पास इसका भी आंकड़ा है। विभाग के अनुसार इस वर्ष ही करीब दो दर्जन से ज्यादा आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं। जिनमें दो लोगों की जान जा चुकी है। पिछले वर्ष की ही बात करें तो अब तक तीन वर्षो में आग लगने की घटना में मरने वाले लोगों की संख्या सबसे ज्यादा रही है। पिछले वर्ष 13 लोगों की जान गई थी जबकि 10 पशु आग के हवाले हो गए थे। जागरुकता के बाद भी यह क्षति विभाग के लिए चिंता का विषय है।
लापरवाही बड़ी वजहविभाग की मानें तो आग लगने की मेन वजह लोगों की खुद लापरवाही है। घर में आग लगने का प्रमुख कारण शॉट सर्किट, गैस लिकेज और बीड़ी-सिगरेट की चिंगारी है। लोग अपने घर की वायरिंग की टाइम पर चेकिंग नहीं कराते। भार के अनुसार कम फ्रिक्वेंसी वाली तार इस्तेमाल करते हैं। कूलर व एसी जैसे भारी यंत्रों की सर्विस नहीं कराते। गैस लीकेज पर ध्यान नहीं देते। जिससे आग लगने की घटनाएं होती हैं। वहीं दूसरे स्थानों पर आग लगने की प्रमुख वजह अवैध गतिविधियां हैं। घर-घर में अवैध रूप से छोटे बड़ी फैक्ट्रियां संचालित हैं। जिनके पास एनओसी नहीं होती। वे सिक्योरिटी के मानकों पर खरे नहीं होते। उनके यहां पर कामगार भी ट्रेंड नहीं होते। ऐसी स्थिति में यहां पर घोर लापरवाही होती है और नतीजा भीषण आग।
हर वर्ष हम लोग अग्निशमन सप्ताह मानकर लोगों को जागरूक करते हैं। बावजूद इसके आग की घटनाओं में ज्यादा कमी नहीं देखी गई। हम लोगों को यह बताते हैं कि किस तरह की लापरवाही से आग लगती है। मानव को इसके प्रति जागरुक होना पड़ेगा। - आईएस सोनी, सीएफओ वर्ष घटना क्षति माल क्षति मानव क्षति पशु 2013 585 84274150 6 72014 663 94672000 2 1
2015 619 47941600 13 10 ----------------- हाल ही में भीषण घटनाएंलिसाड़ी गेट में गत 14 अप्रैल को एक मकान में अवैध रूप से चल रही टायर फैक्ट्री में भीषण आग लग गई। आग ब्वॉयलर फटने से लगी और वहां रखे सॉल्वेंट से उसने भीषण रूप ले लिया। जिसमें एक की मौके पर ही मौत हो गई और दो गंभीर रूप से झुलस गए। वहीं 17 अप्रैल को ही दो भीषण घटनाएं हुई। सूरजकुंड स्थित स्पोर्ट्स फैक्ट्री में भीषण आग लगी। आग लगने का कारणों का पता नहीं चला। दमकल की 7 गाडि़यों ने बड़ी मशक्कत के बाद आग बुझाया। वहीं इसी दिन देवलोक स्थित एक मकान में रखे सॉलवेंट में आग लग गई। केमेकिल होने की वजह से आग ने भीषण रूप ले लिया। तीन गाडि़यों ने तीन घंटे में आग पर काबू पाया। हाल ही इन घटनाओं से यह साफ जाहिर है कि मानव अपनी लापरवाही से खुद आग को दावत दे रहा है।