मेरठ में नालों की सफाई हुई या नहीं, ये मानसून बता देगा
मेरठ (ब्यूरो)। बस कुछ ही दिनों में मानसून आने वाला है। ऐसे में नगर निगम के दावे हैं कि इस बार शहर में जलभराव नहीं होगा। मगर एक जून से 30 जून तक नालों की तल्लीझाड़ सफाई के लिए चलाया जाने वाला महाअभियान 20 दिन बाद भी अधूरा पड़ा है। यूं तो हर साल निगम के दावों के बावजूद शहर जलभराव से जूझता है लेकिन इस बार दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने जलभराव के मुख्य कारणों को जानने के लिए 'डूबेगा कि बचेगाÓ नाम से एक सात दिवसीय अभियान शुरू किया है।
नालों की तल्लीझाड़ सफाई नहीं
नालों में जगह जगह सिल्ट और गंदगी का अंबार लगा हुआ है। सबसे खराब हालत शहर के प्रमुख नाले ओडियन की है। वहीं आबू नाला, कमेला नाला, सुभाषनगर नाला, बच्चा पार्क नाला, हनुमान पुरी नाला, फूलबाग कालोनी नाला आदि सभी प्रमुख नालों में गंदगी तैर रही है। ऐसे में अगले 10 दिन में नाले कितना साफ होंगे यह कहना अभी मुश्किल है।
ओडियन नाला प्रमुख समस्या
हर साल की तरह इस बार भी बरसात में पुराने शहर की गलियां जलभराव से जूझेंगी क्योंकि शहर का प्रमुख ओडियन नाला आधा अधूरा साफ हुआ है। शहर का सबसे बड़ा नाला ओडियन शहर के बीचों बीच पुराने शहर से गुजरता है। इस नाल में रोजाना सैकडों टन गंदगी गिरती है। स्थानीय लोग कूड़ा कूड़ेदान में डालने के बजाए नाले में फेंक देते हैं। जिसके कारण हर साल बरसात में नाले का पानी ओवर फ्लो हो जाता है। हालांकि इस समय भूमिया पुल, कमेला पुलिया पर जगह-जगह सफाई का काम चल रहा है।
30 जून से पहले होनी है नालों की सफाई
311 छोटे-बड़े नाले शहर में
14 बड़े और 186 छोटे नाले शामिल हैं
111 बड़ी नालियां भी हैं तीन प्रमुख बड़े
नाले
ओडियन
आबूनाला एक
आबूनाला दो छह प्रमुख छोटे नाले
दिल्ली रोड
मोहनपुरी
कोटला
रुड़की रोड नाला
बच्चा पार्क
जलीकोठी नाला जरा ध्यान दें
127 के करीब नालियां हैं शहर में, जो सीधा नालों से जुड़ी हुई हैं
नगर निगम का शहर में तीन डिपो हैं और हर डिपो का अलग टारगेट है
8 जेसीबी और अन्य मशीनें हैं नालों की सफाई के लिए निगम के पास
बड़े नालों की जेसीबी, बड़ी पोर्कलेन के माध्यम से सफाई कराई जाती है
छोटे नालों की सफाई के लिए छोटी पोर्कलेन से काम किया जाता है।
प्रतिदिन सात से आठ नालों की सफाई कराई जा रही है। बड़े नालों से जेसीबी के माध्यम से सिल्ट निकाली जा रही है। 60 प्रतिशत नाले साफ किए जा चुके हैं। जहां नाले संकरे हैं वहांं मिनी पोर्कलेन मशीन का प्रयोग किया जाता है।
डॉ। हरपाल सिंह, नगर स्वास्थ्य अधिकारी