झमाझम बारिश से मेरठ हुआ पानी-पानी
मेरठ ब्यूरो। जिस बात की आशंका थी, वही हुआ, इस सीजन में पहली बार कायदे बारिश हुई और शहर का एक बड़ा पानी-पानी हो गया। अब आप खुद समझ लीजिए कि नालों की कितनी और कैसी सफाई हुई होगी, वैसे तो हर साल नगर निगम नाले की सफाई और ड्रेनेज सिस्टम को सुधारने के लिए तमाम दावे करता है, लेकिन इस बारिश में ये दावे पानी-पानी हो गए। बारिश के कारण फैक्ट्रियों और स्टॉक हाउसेस में पानी भरने से माल खराब होने की कगार पर आ गया। हालांकि, झमाझम बारिश ने उमस भरी गर्मी से राहत तो दिलाई, लेकिन जलभराव से मुश्किलें बढ़ा दीं। बारिश से शहर के कई इलाकों में जलभराव ने दिक्कतें बढ़ा दीं।
उमस भरी गर्मी के बाद हुई बारिश
मेरठ में कई दिन की उमस भरी गर्मी के बाद गुरुवार को सुबह से झमाझम बरसात हुई। सुबह से दोपहर तक कुछ ही घंटे में 35 मिलीमीटर पानी बरसा। इससे शहर में वाटर ड्रेनेज सिस्टम भी फेल हो गया। मौसम विभाग के मुताबिक आगामी चार दिनों में बारिश का अनुमान है। मौसम वैज्ञानिक एसएन सुभाष के अनुसार मानसून अभी तक मेरठ और आसपास के शहरों के लिए अच्छा रहा है। बारिश लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत दिला रही है। जुलाई माह में सीजन की यह पहली अच्छी बरसात है। इसके पहले जून में भी सामान्य बरसात देखने को मिली थी। आने वाले चार पांच दिन अच्छी बारिश रहेगी।
शहर में एसएसपी दफ्तर के मेन गेट से लेकर अंदर तक जल भर गया। पहली बारिश ने ही नगर निगम और नाला सफाई काम की पोल खोल दी। गौरतलब है कि बीते एक महीने से नगर निगम रात भर नालों की सफाई कर रहा है, लेकिन गुरुवार को सुबह से हुई बारिश में नाले और सड़क एक हो गए। रैपिड रेल के कार्य के कारण जलभराव रैपिड रेल के कार्य के साथ ही सब्जी मंडी के पास आरआरटीएस की ओर से नाला निर्माण कार्य किया गया। मंडी एसोसिएशन के अध्यक्ष पदम सिंह सैनी ने बताया कि नाले का निर्माण काफी ऊंचा किया गया है जिस कारण मंडी का पानी नही निकल पा रहा है। नालियों का पानी व बरसात का पानी भरने से सब्जी खराब हो गई है। मंडी सचिव आवास व कार्यालय में भी पानी भर गया। जिससे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आढ़तियों की सब्जी और फल पानी भरने से खराब हो गए हैं।
बारिश से बिगड़ी शहर की व्यवस्थाएं
तेज बारिश से मेरठ के कई हिस्सों में जलभराव हो गया। शहर की अधिकतर सभी प्रमुख सड़कों से लेकर पुराने शहर की गलियां और मोहल्लों में कई कई फुट पानी भर गया। चार घंटे की बारिश ने यह दिखा दिया की नगर निगम ने बारिश से निपटने के लिए कोई काम नहीं किया।
फेल हो गए दावे
बरसात से पहले सर्वाधिक जलभराव वाले क्षेत्र चिह्नित होने के बावजूद नगर निगम ने इससे निपटने के लिए कोई काम नहीं किया। निगम के दावे बारिश में ही धुल गए। शहर में जल निकासी के लिए तीन मुख्य नाले आबूनाला, आबूनाला-2 कसेरुखेड़ा और ओडियन है। इन नालों से छोटे-बड़े 341 नाले और जुड़े हैं, जिनमें गली-मोहल्लों का पानी पहुंचता है। छोटे-बड़े नालों के गोबर और कूड़ा-करकट से अटे होने के कारण जल निकासी बाधित रहती है। नतीजतन, बारिश में शहर का आधा हिस्सा जलमग्न हो गया। 30 से अधिक इलाकों में जलभराव शहर के 30 से अधिक इलाके सर्वाधिक जलभराव हो गया। इनमें लक्खीपुरा, अहमदनगर कांच का पुल, तारापुरी, ब्रह्मपुरी, शिव शक्ति नगर, मलियाना, लिसाड़ी रोड, खैरनगर, अजंता कॉलोनी, अब्दुल्लापुर, साधु नगर, न्यू गोविंदपुरी कंकरखेड़ा, इंदिरा नगर, टीपीनगर, माधवपुरम, रशीद नगर, श्याम नगर, जाकिर कॉलोनी, शकूर नगर, शौकत कॉलोनी, शोभापुर, भोला रोड बाईपास, चंद्रलोक, साबुन गोदाम, जिमखाना मैदान, पूर्वा फैयाज अली, जली कोठी, न्यू इस्लामनगर, पूर्वा ताहिर हुसैन, जयदेवी नगर, पूर्वा इलाही बख्श, नई बस्ती और लल्लपुरा आदि शामिल है। जोकि गुरुवार की बारिश में भी जलभराव से जूझे। निजात के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं जलभराव से निजात दिलाने के लिए नगर निगम के पास पर्याप्त इंतजाम नहीं है। निगम के पास 10 एचपी के 5 और 7.5 एचपी के 12 पंपसेट हैं। इसके अलावा छह सीवर जेटिंग मशीन हैं।