पांच साल बाद कई कोर्स हो सकते हैं बंद
मेरठ (ब्यूरो)। सीसीएसयू में कई ऐसे कोर्स चालू हैं, जिनकी मांग आज के समय में कम है। ऐसे कोर्सों को यूनिवर्सिटी ने बंद करने से पहले पांच साल और आर्थिक सपोर्ट कर चलाने पर विचार किया है। इसलिए अभी इनको कोर्स की सूची से समाप्त नहीं किया है। सस्पेंडेड पड़े इन कोर्स में कुछ होने की उम्मीद यूनिवर्सिटी को है। भविष्य में इन कोर्स में स्टूडेंट्स की रुचि होती है और एडमिशन होते हैं तो ये कोर्स फिर शुरू कर दिए जाएंगे।
दौर था निकल गया
तत्कालीन वीसी रमेश चंद्रा और आरपी सिंह के समय में नए कोर्स की यूनिवर्सिटी में भरमार हो गई थी। जैसे ही नए कोर्स आए इन्होंने उनको शुरू कर दिया। सभी कोर्स सेल्फ फाइनेंस के तहत शुरू किए गए। स्टूडेंट्स की भी रुचि रही, लेकिन इसके बाद हालत गंभीर होती चली गई। इंडस्ट्रीज में इन कोर्स को करने वालों की मांग भी कम हो गई। इसके चलते इन कोर्स में स्टूडेंट्स की संख्या लगातार घटती चली गई। आखिर में यूनिवर्सिटी ने इन्हें सस्पेंड करने का फैसला किया, लेकिन पूर्ण रूप से बंद नहीं किया।
कोर्स हैं, स्टूडेंट्स नहीं
यूनिवर्सिटी में करीब डेढ़ दर्जन ऐसे कोर्स बंद हैं, जिनको बड़ी ही उम्मीदों के साथ शुरू किया गया था। आजकल इन कोर्सों को जंग लग रहा है। ज्योग्रफी सब्जेक्ट शुरू किया गया, जिसमें एमए और एमफिल शुरू हुआ था, लेकिन यहां एमफिल करने वालों की संख्या बहुत कम रही और इस कोर्स में एमफिल बंद कर दी गई। वहीं फिजिक्स डिपार्टमेंट में नैनो टेक्नोलॉजी शुरू किया गया, लेकिन उसको फैकल्टी और स्टूडेंट्स के कारण सस्पेंड कर दिया गया। जहां आज भी कोर्स नाम को तो है, लेकिन स्टूडेंट्स नहीं हैं। यूनिवर्सिटी में ही ह्यूमन राइट को लेकर भी कोर्स चलाया गया। जिसमें स्टूडेंट्स शुरू में तो आए, लेकिन बाद में कोई नहीं आया। इसलिए यह कोर्स भी बंद की कगार पर है।
और भी हैं बहुत कोर्स
उर्दू जर्नलिज्म की हालत भी खराब रही। वहीं व्यवसायिक हिंदी, कम्यूनिकेटिव इंग्लिश जैसे कोर्स भी आज बंद से ही पड़े हैं। बॉटनी में इंडस्ट्रियल बायो टेक्नोलॉजी शुरू किया गया था, लेकिन इसमें भी कुछ नहीं हो पाया। केमिस्ट्री में एन्वॉयरनमेंटल साइंस भी बंद किया जा सकता है। एमए एमएचआरडी में भी स्टूडेंट्स ने दस्तक तो दी थी, लेकिन फिर कोई नहीं आया। इसलिए इसको भी बंद कर दिया गया। इसके साथ पीएमआर और मैनेजमेंट ऑफ इंडस्ट्री जैसे कोर्स भी बंद हो गए। वहीं जैपनिज, फ्रेंच व रसियन लैंग्वेज में एक भी स्टूडेंट्स न होने की वजह से बंद करने की तैयारी है।
प्रो। वाई विमला, प्रोवीसी, सीसीएसयू मेरठ