नगर निगम की लापरवाही, हनुमानपुरी नाला साफ कर रहे स्थानीय लोग
मेरठ (ब्यूरो)। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। गजेंद्र सिह ने बताया कि इस संबंध में जांच कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। कई स्तर पर एजेंसी की खामियां सामने आ रही हैं। जांच पूरी होने तक भुगतान नहीं होगा।
सिल्ट से नाला ओवरफ्लोदरअसल, नगर निगम ने वार्ड 58 सुभाषनगर से हनुमानपुरी, सूरजकुंड, आर्यनगर, लक्ष्मीनगर तक हजारों घरों तक की जल निकासी का जिम्मा पुराने नाले पर है। मगर अब आसपास के घरों में पानी भर रहा है। नाले से सिल्ट की सफाई न होने से जरा सी बरसात में नाले का पानी इसी सिल्ट के चलते नाले से ओवरफ्लो होकर आसपास की संकरी गलियों और लोगो के घरों में भर जाता है।
अचानक काम बंद
गौरतलब है कि नगर निगम ने इस नाले की सफाई के लिए गत वर्ष गाजियाबाद की एक कंपनी को 11 लाख 24 हजार रुपये में मैनुअल सफाई का ठेका दिया था।
निजी युवक पर काम छोड़ा
मगर ठेकेदार ने एक निजी युवक के नाम पर ठेका छोड़कर खानापूर्ति कर दी थी। इसके बाद युवक ने अपने स्तर पर दो चार कर्मचारियों से 10 से 12 दिन नाले की सफाई का काम कराया। उसके बाद अचानक काम बंद कर दिया। इसके बाद करीब एक माह तक नाले से निकाली गई सिल्ट जगह-जगह गलियों में पुलिया पर पड़ी रही। इसकी शिकायत स्थानीय लोगों द्वारा किए जाने के बाद ठेकेदार ने सारी सिल्ट वापस नाले में डलवा दी।
सूत्रों के मुताबिक टेंडर के अनुसार मात्र 10 प्रतिशत ही काम पूरा हुआ है। इसके बाद 100 प्रतिशत भुगतान के लिए स्थानीय सेनेट्री इंस्पेक्टर से काम की रिपोर्ट पर साइन करने का दवाब बनाया गया। इतना ही नहीं, सेनेट्री इंस्पेक्टर को अधूरी रिपोर्ट पर साइन करने के लिए 50 हजार रुपये तक रिश्वत देने का प्रयास किया गया था लेकिन रिपोर्ट पर साइन नहीं हो सके। दो घंटा सफाई
निगम स्तर पर इस परेशानी का हल न मिलने पर अब स्थानीय लोगों ने ही खुद इस नाले की सफाई का जिम्मा उठा लिया है। इसके तहत रोजाना स्थानीय लोग ही नाले में उतर कर नाले की सिल्ट बाहर निकाल रहे हैं। स्थानीय निवासी मनोज गोस्वामी पिछले माह से रोजना सुबह 10 बजे से 12 बजे तक नाले की सिल्ट को निकालने का काम कर रहे हैं। मनोज गोस्वामी को देखकर आसपास के कई अन्य लोग भी उनके साथ हाथ बंटाने में जुटे हुए हैं।