दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और दिल्ली-देहरादून हाइवे-58 पर बीते पांच सालों में 1364 सड़क दुर्घटनाएं हुई। जिनमें 581 लोगों की जान सिर्फ इसलिए चली गई क्योंकि उन्हें समय रहते इलाज की सुविधा नहीं मिल पाई।

मेरठ (ब्यूरो)। मौत का ये आंकड़ा दुखद है, मगर अपडेट यह है कि स्वास्थ्य विभाग मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में लेवल वन ट्रॉमा सेंटर की सुविधा शुरू करने जा रहा है। जिसका मकसद है, सड़क दुर्घटना में होने वाली मौत के आंकड़ों पर अंकुश लगाया जा सके।

24 करोड़ का बजट
गौतरलब है कि मेडिकल कॉलेज में अत्याधुनिक इमरजेंसी और सुपरस्पेशियलिटी की सुविधा तो मरीजों को मिल रही है लेकिन ट्रॉमा सेंटर महज खानापूर्ति तक सीमित है। साल 2012 में मेडिकल कॉॅलेज में ट्रामा सेंटर की शुरुआत की गई थी। मगर बजट कम होने के कारण इसे इमरजेंसी वार्ड के अंदर ही मात्र 20 बेड के साथ तैयार किया गया था। अब स्वास्थ्य विभाग इस ट्रॉमा सेंटर को अपडेट कर लेवल वन कैटगरी पर 100 बेडों का नया ट्रामा सेंटर अलग से बनाने जा रहा है। इसमें रेडियोलॉजी, सर्जरी एवं पैथोलॉजी जांच के लिए आधुनिक मशीनें लगाई जाएंगी। वाईपैप, वेंटिलेटर एवं ऑक्सीजन आदि की सुविधाएं मरीजों को 24 घंटे मिलेंगी।

गोल्डन ऑवर में बचेगी जान
दरअसल, सड़क दुर्घटना के बाद का एक घंटा घायल के लिए गोल्डन ऑवर कहा जाता है। इस दौरान अगर घायल को जरूरी उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। इसी ऑवर में घायल की जान बचाने के लिए मेडिकल कॉलेज के ट्रामा सेंटर को कार्डियोलॉजी, न्यूरोलॉजी से लेकर मेडिसिन के एक्सपर्ट डॉक्टर्स की सुविधा से लैस किया जाएगा। इसके अलावा, ट्रॉमा सेंटर में क्रिटकल केयर एंबुलेंस समेत ट्रेंड नर्सिंग स्टाफ भी मौजूद रहेगा।

20 बेड का ट्रॉमा सेंटर
स्वास्थ्य विभाग मेडिकल कॉलेज के अलावा प्यारे लाल शर्मा जिला अस्पताल में भी 20 बेड का ट्रॉमा सेंटर बनाने जा रहा है। इस ट्रॉमा सेंटर के लिए शासन स्तर पर डेढ़ करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत हो चुका है।

ट्रॉमा सेंटर में मिलेंगी सुविधाएं
सीटी स्कैन
एमआरआई
अल्ट्रासाउंड
खून संबंधी जांचें
आधुनिक ऑपरेशन थिएटर
न्यूरो सर्जरी
बर्न यूनिट
क्रिटिकल केयर सर्जरी
नई यूनिट
एनेस्थीसियोलॉजी
आर्थोपेडिक

साल दर साल बढ़ रहे हादसे
इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डाटा के अनुसार साल 2017 में जहां हादसों की संख्या 290 थी। वहीं 2022 में यह संख्या जून माह तक बढ़कर 345 हो चुकी है। जबकि 2022 के अभी छह माह बाकि हैं। जबकि हादसों में मरने वालों की संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि हुई है। 2017 में जहां 130 लोग सड़क हादसे में मरे थे वहीं यह संख्या 2022 में जून माह तक बढ़कर 481 हो चुकी है।

सरकारी अस्पतालों में साधारण मरीजों को ढंग से इलाज नहीं मिल पाता है। सड़क हादसों में घायल हुए मरीजों का इलाज तो दूर की कौड़ी है।
विशाल

मेडिकल कालेज में गत वर्ष शुरू हुई सुपर स्पेशियलिटी की सुविधा अभी तक पूरी तरह से मरीजों को नही मिल रही है। बजट पास कराकर इमारत बनाने से कुछ नही होगा।
पवन

सरकारी अस्पतालों में एक्सपर्ट चिकित्सक और स्टाफ की भरपूर कमी है। जबकि यहां आने वाले मरीजों की संख्या काफी अधिक है। इसलिए समय रहते यहां इलाज नहीं मिल पाता।
मनीष जैन

ट्रॉमा सेंटर जनपद के लिए बहुत जरुरी है। प्राइवेट ट्रॉमा सेंटर में अत्याधिक फीस गरीब मरीज नहीं दे सकता। ऐसे में यह सुविधा मरीजों के लिए राहत भरी होगी।
अर्पिता

शहर समेत आसपास के जनपदों में सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को इमरजेंसी में बेहतर उपचार मिलता है। मगर अब ट्रॉमा सेंटर में एक ही छत के नीचे क्विक रेस्पॉन्स टीम की सुविधा भी घायलों को मिलने लगेगी।
आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कालेज

Posted By: Inextlive