गंगा को आने दो
मेरठ (ब्यूरो)। पांच साल का इंतजार और 500 करोड़ रुपए के खर्च के बावजूद गंगनहर पर लगे प्लांट अपनी शत-प्रतिशत क्षमता के साथ शहर को पेयजल नहीं दे पा रहे हैं। कारण, एक एनओसी के कारण शहर के दो प्रमुख जलाशयों को पाइपलाइन से कनेक्ट ही नहीं किया जा सका है। गौरतलब है कि इन दोनों प्रमुख जलाशयों पर ही शहर के 40 प्रतिशत घरों तक गंगाजल पहुंचने की जिम्मेदारी है।
काम अधर में
साल 2017 में शहर को गंगाजल सप्लाई की योजना के तहत भोले की झाल पर प्लांट बनाकर गंगाजल शहर के 9 जलाशयों तक पहुंचाने का काम शुरू किया गया था। वर्तमान में भोला की झाल स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से 30 से 40 मिलियन लीटर प्रतिदिन गंगाजल ही शहर के कुछ हिस्सों में सप्लाई हो रहा है। मगर लगातार मांग के बावजूद शहर के कई इलाकों में गंगाजल की उपलब्धता नहीं हो पा रही है। इसके लिए गत वर्ष दिसंबर माह में निगम ने जल निगम को शहर के प्रमुख इलाकों को जोडऩे और गंगाजल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी दी थी। जिसको जल निगम ने गत माह लगभग पूरा कर दिया। मगर अभी भी दो जलाशयों का काम केवल इसलिए अटका हुआ है क्योंकि लखनऊ से एनएचएआई की एनओसी नही मिल पा रही है।
अनुमति का इंतजार
अभी तक शहर के पांच जलाशयों को गंगाजल की पाइपलाइन से जोड़ा जा चुका है। मगर नौचंदी मैदान और शास्त्रीनगर सेक्टर 12 में बने भूमिगत जलाशयों को गंगाजल पाइपलाइन से जोडऩे के लिए हापुड रोड़ के नीचे खुदाई नहीं हो पा रही है। इस सड़क को खोदकर पाइप लाइन डाली जानी है। इसके लिए एनएचएआई लखनऊ से एनओसी मिलनी बाकी है। हालांकि इसके लिए जल निगम की बातचीत हो चुकी है। संभावना है कि जल्द एनओसी मिलने के बाद काम पूरा कर दिया जाएगा।
- तीन साल पहले भोला की झाल से महानगर के टाउन हॉल, पीएल शर्मा स्मारक, सर्किट हाउस और विकासपुरी जलाशय तक गंगाजल पहुंचाया गया था। इन चारों स्थानों से शहर को करीब 35 एमएलडी गंगाजल प्रतिदिन दिया जा रहा है।
-गोलाकुआं पर जल निगम ने आठ साल पहले जलाशय बनवाया था। अब जल निगम ने जलाशय को जोडऩे के लिए पाइपलाइन डाल दी है।
- बच्चा पार्क जलाशय को अभी तक ट्यूबवैल से भरा जाता है। अब बच्चा पार्क जलाशय तक गंगाजल पहुंचाने के लिए मुख्य पाइपलाइन से जोडऩे का काम बाकी है। इस जलाशय से बुढ़ाना गेट, बेगमपुल, भैंसाली रोडवेज, जलीकोठी सहित कई इलाकों में गंगाजल पहुंचेगा।
सभी जलाशय चालू होने के बाद भी शहर के कुछ प्रमुख इलाके, जिनमें गंगानगर, कंकरखेड़ा, पल्लवपुरम और परतापुर फ्लाईओवर से लेकर बेगमपुल तक दिल्ली रोड और हाइवे के बीच का पूरा क्षेत्र गंगाजल आपूर्ति से वंचित रहेगा। दरअसल, इन क्षेत्रों में न तो गंगाजल आपूर्ति की पेयजल लाइन पड़ी है और न ही भोला की झाल स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट की इतनी क्षमता है कि पूरे शहर को गंगाजल आपूर्ति की जा सके।
फैक्ट्स
-2011 की जनगणना के मुताबिक महानगर की जनसंख्या लगभग 15 लाख है। अब यह आंकड़ा 20 लाख के पार होने का अनुमान है।
जलकल अनुभाग के रिकार्ड के मुताबिक गर्मियों में शहर में पेयजल डिमांड 300 एमएलडी तक पहुंच जाती है।
-भोला की झाल स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से अधिकतम 100 एमएलडी गंगाजल ही आपूर्ति किया जा सकता है।
-अभी तक सिर्फ पांच लाख लोगों को 35 एमएलडी गंगाजल प्रतिदिन मिल रहा है।
-पेयजल डिमांड के सापेक्ष 200 एमएलडी गंगाजल आपूर्ति की और जरूरत है।
-नौचंदी मैदान- क्षमता 500 किलो लीटर
-शास्त्रीनगर- क्षमता 500 किलो लीटर इनसे पानी सप्लाई जल्द
गोलाकुंआ- 500 किलो लीटर
बच्चा पार्क- 500 किलो लीटर
माधवपुरम- 500 किलो लीटर यहां से आपूर्ति है जारी
विकासपुरी-क्षमता 6450 किलो लीटर
टाउन हाल-क्षमता 6000 किलो लीटर
पीएल शर्मा स्मारक-क्षमता 5000 किलो लीटर
सर्किट हाउस-5000 किलो लीटर वर्जन
होली के बाद इन सभी जलाशयों को पाइपलाइन से कनेक्ट कर पानी की सप्लाई शुुरू कर दी जाएगी। अनुमति जल्द मिल जाएगी।
रमेश चंद्रा, प्रोजेक्ट मैनेजर