आखिर क्यों टूटता नहीं तस्करी का तिलिस्म
हथियार तस्करों की निशानदेही पर हथियारों की डिमांड करने वालों तक नहीं पहुंचती पुलिस
जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद नहीं रखी जाती अवैध हथियार तस्करों पर नजर तस्करों को पकड़ने और अवैध हथियार फैक्ट्री का भांडाफोड़ करने तक सीमित है पुलिस का गुडवर्कMeerut। हथियार तस्करों की निगरानी और उनके सप्लाई सोर्सेज का खुलासा कभी पुलिस नहीं करती है। इसे पुलिस की खामी कहें या काम करने का तरीका, दोनों ही वजह से मेरठ में तस्करी का तिलिस्म नहीं टूटता है। यही कारण है कि जमानत पर छूटने के बाद तस्कर फिर से अवैध हथिायारों के धंधे में लिप्त हो जाते हैं। शुक्रवार को पकड़े गए हथियार तस्कर भी पहले जेल जा चुके हैं। जेल से बाहर आने के बाद ये भी अवैध हथियार बनाने लगे। वहीं तस्करों को पुलिस हमेशा गिरफ्तार कर लेती है लेकिन सरगना हमेशा पुलिस की पकड़ से बाहर रहते हैं। इतना ही नहीं, एसटीएफ और नौचंदी थाना पुलिस ने उन लोगों के नाम भी उजागर नहीं किए, जिनकी डिमांड पर ये तस्कर हथियारों की सप्लाई करते हैं।
डिमांड करने वाले सेफशहर के बीचों-बीच लिसाड़ी गेट में कई बार अवैध हथियार फैक्ट्रियां पकड़ी जा चुकी हैं, लेकिन पुलिस मौके पर मिले हथियारों को जब्त और दबोचे गए तस्करों पर कार्रवाई के अलावा कुछ नहीं करती। इससे पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं। पुलिस अक्सर अवैध फैक्ट्रियों से हथियार बनाने वाले कारीगरों को पकड़कर अपना गुडवर्क दिखा देती है, इस वजह से अवैध हथियारों की डिमांड करने वाले हमेशा बच जाते हैं। इतना ही नहीं, शुक्रवार को अवैध हथियार फैक्ट्री के खुलासे में भी सीओ एसटीएफ बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, बिजनौर, शामली, बागपत, बुलंदशहर, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान से ऑन डिमांड अवैध तमंचे, पिस्टल और रिवॉल्वर तैयार किए जा रहे थे।
नहीं रखी जाती निगरानी पुलिस जिन हथियार तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजती है वह जल्द जमानत पर छूट जाते हैं। जेल से बाहर आते ही वह फिर से अपने नेटवर्क के जरिए अवैध हथियार बनाने और बेचने में जुट जाते हैं। पुलिस अगर इनकी निगरानी करे तो जिले में बड़े स्तर पर चल रही अवैध हथियार फैक्ट्रियों का संचालन बंद हो सकता है। मुंगेर के कारीगरहालत तो यह है कि लिसाड़ी गेट में मुंगेर के कारीगर भी अवैध हथियार बनाने की ट्रेनिंग देते पकड़े जा चुके हैं। इतना ही नहीं, जिन थानाक्षेत्रों में अवैध हथियार फैक्ट्रियां संचालित होती हैं, वहां अन्य राज्यों की पुलिस कार्रवाई करती है लेकिन स्थानीय पुलिस अनजान बनी रहती है।
अवैध हथियारों के गढ़ मेरठ शहर में ब्रह्मपुरी किठौर में राधना मुंडाली में जिसौरा, जिसौरी, परीक्षितगढ़ में अहमदनगर बढ़ला खादर के कई गांव अवैध हथियारों के दाम तमंचा- 2000- 4000 रूपये मेरठी पिस्टल (6 गोली) - 10 से 15 हजार मेरठी पिस्टल (9 गोली) -- 12 से 17 हजार मेरठी रिवॉल्वर (5 गोली) -- 20 से 30 हजार मेरठी रिवॉल्वर (6 गोली) -- 30 से 45 हजार ऑनलाइन भी कारोबार सूत्रों के मुताबिक कोरोना काल में हथियारों के सैंपल भेजने से लेकर पेमेंट लेने तक काम ऑनलाइन किया जा रहा है। अब तस्करहथियारों के सैंपल व्हाट्सएप पर दिखाते हैं एडवांस पेमेंट किसी भी ऑनलाइन एप के जरिए मंगा लेते हैं।