बस रेन वॉटर हार्वेस्टिंग भूल गए
मेरठ (ब्यूरो)। शहर को सुंदर बनाने के लिए बहुत सोचा गया, लेकिन रेन वॉटर हार्वेस्टिंग भूल गए। सड़कें बनाई गईं, डिवाइडर बनाए गए, लेकिन बारिश के पानी को पानी के लिए कोई कदम नही उठाया गया। इसका असर यह होता है कि बारिश होने पर शहर की गलियों से लेकर मुख्य सड़कें और चौराहे जलभराव से जूझने लगते हैं। स्मार्ट सिटी में शामिल होने के बाद भी मेरठ की जलभराव की समस्या में किसी प्रकार का सुधार नहीं हो पा रहा है। स्मार्ट सिटी में जल निकासी की व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है। जल संचयन की व्यवस्था फेल हो गई है।
वरदान बन रहा मुसीबत
हालत यह है कि पूरे शहर को सौंदर्यीकरण के नाम पर कंक्रीट के ढेर में बदल दिया गया है जिस कारण से बरसात के बाद पानी निकासी मेें कई घंटे लग जाते हैं। खास बात है कि वर्षा जल का संचयन वरदान बन सकता है, लेकिन लापरवाही के कारण वहीं जल अब जलभराव का कारण यानि मुसीबत बन जाता है।
जल संचय की व्यवस्था नहीं
मेरठ स्मार्ट सिटी में होने के बाद भी शहर में किसी प्रकार का स्मार्ट डेवलेपमेंट अभी तक नही किया गया है। हालांकि इसके तहत स्मार्ट पार्क और स्मार्ट रोड की प्लानिंग इस प्रकार की गई है कि शहर को एक अलग पहचान मिले, लेकिन जल संचय या निकासी के लिए कुछ खास योजना इन प्लानिंग में नही है। स्मार्ट रोड के नाम पर सड़क के दोनो तरफ आरसीसी के फुटपाथ तो बना दिए गए हैं लेकिन फुटपाथ से बरसात के दौरान सड़कों पर भरने वाला जल निकलना बंद हो गया। इस कारण से जरा सी बरसात के बाद सड़कों पर जल भर जाता है।
शहर के पार्कों में सीसी टाइल्स के रैंप, पौधारोपण की कमी के कारण जल संचय होने से ज्यादा जलभराव की स्थिति बन जाती है। सड़कों के दोनों ओर सीसी टाइल्स फुटपाथ से जल निकासी नहीं हो रही है।
पौधरोपण की कमी
पार्कों में वर्षाजल के संचयन के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कोई व्यवस्था नहीं है। पौधा रोपण की कमी के कारण जल संचयन नहीं हो पा रहा है। नालियों की कमी के कारण सड़कों से जल निकासी नहीं हो पा रही है। हालत यह है कि एमडीए, नगर निगम और आवास विकास समेत प्राइवेट कालोनियों में सौंदर्यीकरण के नाम पर डामर की सड़कें, सीसी टाइल्स के फुटपाथ और डिवाइडर तो बना दिए गए लेकिन जल निकासी के लिए प्रॉपर व्यवस्था नही की गई। इस कारण से बरसात के बाद सड़कों पर भरा पानी जमीन सोख नही पाती है। डिवाइडर भी पानी को रोड साइड जाने नही देते हैं। वहीं डिवाइडर पर जगह की कमी के कारण पानी जमीन में नही जा पाता है।
कॉलोनियों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तक नदारद है जिस कारण से जल संचय होने से ज्यादा जल वेस्ट अधिक होता है। कालोनियों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की कमी है। पार्कों में हरियाली की कमी है। कॉलोनियों के अंदर सीवर लाइन का प्रॉपर नेटवर्क नहीं है। गुमशुदा हो रहे पार्क और तालाब
स्थिति यह है कि शहर में अंदर अत्याधिक निर्माण होने के कारण पार्क और मैदानों की संख्या की कमी हो गई है। स्थिति यह है कि शहर के अंदर तालाब तक गायब होते जा रहे हैं हालांकि, तालाबों के संरक्षण के लिए अमृत सरोवर योजना पर जोरो शोरों से काम हो रहा है, लेकिन इसका असर शहर में काम देहात क्षेत्र में अधिक दिखाई दे रहा है। शहर के अधिकतर तालाब इस समय अतिक्रमण की चपेट में हैं। तालाबों पर कालोनी से लेकर पार्क का निर्माण हो चुका है।
नालों में जा रहा बारिश का पानी
शहर में जल संचय की व्यवस्था ना होने के कारण शहर में बारिश के बाद भरने वाला बरसात का पानी नालियों से होते हुए शहर के बाहर काली नदी तक पहुंच जाता है। इस जल को किसी भी स्तर पर संरक्षित करने की व्यवस्था नही है। इसलिए पूरा जल वेस्ट होकर नदियों में पहुंच रहा है।