सर्वार्थ सिद्धि योग गजकेसरी योग रोहिणी योग धन योग शश राजयोग भी बनाएगा पर्व को खास। मध्य रात्रि 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त।

मेरठ (ब्यूरो)। हर साल जन्माष्टमी का पर्व भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त यानी आज मनाई जाएगी। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे भाव के साथ भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करने से सुख और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में शुभता का आगमन होता है।

जयंती योग का महत्व
ज्योतिष डॉ। अनुराधा गोयल के अनुसार इस बार जन्माष्टमी पर जयंती योग बन रहा है, जिससे इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जयंती योग में भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना और उपवास करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस योग को विजय दिलाने वाला योग भी कहा जाता है।

क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष डॉ। अनुराधा गोयल के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि में की जाती है और इस दिन निशिथ काल मध्य रात्रि 12 बजकर 1 मिनट से 12 बजकर 45 मिनट तक रहेगा। यह कृष्ण पूजन के लिए उत्तम मूहूर्त है। जन्माष्टमी पर जयंती योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, गजकेसरी योग, रोहिणी योग, धन योग, शश राजयोग का शुभ संयोग भी बन रहा है।

जयंती योग में कृष्ण जन्माष्टमी
पंडित श्रीधर त्रिपाठी के अनुसार जंयती योग को बेहद दुर्लभ और शुभ संयोग माना जा रहा है। ऐसा दुर्लभ संयोग 70 वर्षों बाद आता है। इस वजह से इस साल जन्माष्टमी हर किसी के लिए बेहद खास रहने वाली है।

कैसे बनता है जयंती योग?
जंयती योग के बनने के लिए सभी ग्रह-नक्षत्रों का सही दिशा में होना जरूरी होता है और कृष्ण जन्म के समय ऐसा ही था। जयंती योग के लिए चंद्रमा का वृषभ राशि और रोहिणी नक्षत्र में होना जरूरी है। साथ ही कृष्ण जन्माष्टमी पर यदि सोमवार या बुधवार पड़े तो इस शुभ योग का निर्माण होता है।

वैष्णव और स्मार्त संप्रदाय रखेंगे एक ही दिन व्रत
वैष्णव और स्मार्त संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी के पर्व को अलग अलग नियमों से मनाते हैं।मुख्य तौर पर देखा जाता है कि जन्माष्टमी का व्रत दो दिन किया जाता है।पहले दिन स्मार्त संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करते हैं और दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय के लोग व्रत करते हैं।सरल शब्दों में बताया जाए तो स्मार्त यानी साधु समाज के लोग और वैष्णव यानी गृहस्थ जीवन वाले लोग। हालांकि साल 2024 में ऐसी स्थिति नहीं बन रही है, साधु संत और गृहस्थ दोनों ही 26 अगस्त 2024 दिन सोमवार को कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत करेंगे।

Posted By: Inextlive