विज्ञान की बात इसलिए कि हम आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं
मेरठ (ब्यूरो)। किसी भी व्यक्ति की कल्पनाशीलता उसके अंदर विजन तैयार करती है। विजन रचनात्मकता पैदा करता है और रचनात्मकता ज्ञान की तरफ ले जाती है। यही ज्ञान आप को महान बनाता है। यह बात सीसीएसयू द्वारा साइंस वीक फेस्टिवल के उद्घाटन सत्र में वीसी प्रो। संगीता शुक्ला ने कही।
विश्व का नेतृत्व करेंगेउन्होंने कहा कि भारत 2030 तक दुनिया के तीन ऐसे देशों में सम्मिलित हो जाएगा जो विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने सीवी रमन, एपीजे अब्दुल कलाम, जगदीश चंद्र बोस जैसे महान वैज्ञानिकों की चर्चा करते हुए कहा कि ऐसे वैज्ञानिकों ने न केवल विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया है, बल्कि मानव जाति को ब्रह्मांड की ऐसी विविधताओं से अवगत भी कराया है जो आज हम सब के लिए उपयोगी सिद्ध हो रही हैं।
उपयोगी सिद्ध होगी
उन्होंने कहा कि आज स्टूडेंट्स विज्ञान को पढऩे एवं समझने में कम अभिरुचि रख रहे हैं। केंद्र सरकार की यह पहल निश्चित रूप से युवा वैज्ञानिकों एवं विज्ञान के क्षेत्र में विभिन्न स्टार्टअप शुरू करने वाले लोगों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी। आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत आयोजित होने वाले इस साइंस वीक फेस्टिवल में 800 स्टूडेंट्स का पंजीकरण तथा लगभग 40 स्टार्टअप एवं उत्पादों के स्टॉल यह प्रदर्शित करते हैं कि आज का युवा नवोन्वेषण को लेकर उत्साहित है। हमारा प्रयास रहेगा कि ऐसे स्टूडेंट्स की हर संभव सहायता करते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया जाए।
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी यूनिवर्सिटी के कुलपति आरके मित्तल ने कहा कि भारत सरकार के विज्ञान प्रसार विभाग के अंतर्गत आयोजित इस साइंस वीक फेस्टिवल का आने वाले समय में विज्ञान के क्षेत्र में दूरदर्शी एवं एजेंडा सेट करने का मिशन स्थापित होगा। साथ ही प्रत्येक क्षेत्र में भारत दुनिया के समृद्ध एवं विकसित देशों के साथ खड़ा हो सकेगा। उन्होंने कृषि पर चर्चा करते हुए कहा कि भारतीय कृषि की दिशा एवं दशा बदलने में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का बहुत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ड्रोन एवं रोबोट की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि में इस प्रकार की तकनीकी का उपयोग दुनिया में बहुत कम देश कर रहे हैं और भारत उनमें से एक है। कृषि उत्पादों में भारत दुनिया के प्रथम तीन देशों में सम्मिलित हुआ है। दूध उत्पादन में तो प्रथम स्थान पर है। भारत अब कृषि के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की ओर है। एक ही सिक्के के दो पहलू ज्ञान और विज्ञान
प्रोवीसी प्रो। वाई विमला ने कहा कि विज्ञान और ज्ञान एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हम अमृत महोत्सव मना रहे हैं। हम विज्ञान की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हम आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं। नोबेल प्राइज मिलना ही विज्ञान नहीं है। उन्होंने कहा कि टूटी, बिखरी पड़ी चीजों को जोडऩे को ही विज्ञान कहते हैं। हमें अपने जीवन में लक्ष्य तय करने होंगे। विज्ञान को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लें। पुरानी सभ्यताओं में विज्ञान का बहुत बड़ा योगदान रहा है। विज्ञान आपके पास है, बस उसको पहचानना होगा और उसका उपयोग करना होगा। उद्घाटन सत्र पर नोडल अधिकारी प्रो। शैलेंद्र शर्मा ने साइंस वीक फेस्टिवल का परिचय कराया। उन्होंने कहा कि यह साइंस वीक फेस्टिवल युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित होगा। इस फेस्ट में पोस्टर प्रदर्शनी, एक्सपो, क्विज, रंगोली तथा विज्ञान संबंधी कई फिल्में का प्रदर्शन किया जाएगा। संकाय अध्यक्ष कृषि विज्ञान प्रो। शैलेंद्र सिंह गौरव ने सभी का धन्यवाद किया। इस दौरान कार्यक्रम का संचालन प्रो। बिंदु शर्मा ने किया।
लगे 51 स्टॉल
साइंस वीक फेस्टिवल में 51 स्टॉल लगे हैं, जिसमें 24 स्टॉल सीसीएसयू के हैं। इसके अलावा आरजी पीजी कॉलेज, ईस्माइल पीजी महिला कॉलेज, शहीद मंगल पांडे महिला कॉलेज, सेंट मैरी एकेडमी, खालसा स्पोट्र्स, केवीके इंडिया, आईपीपीजी कॉलेज बुलंदशहर आदि के स्टॉल लगे हैं। इसके अलावा फेस्ट में वैज्ञानिकों के द्वारा किए गए आविष्कारों के विषय में पोस्टर प्रदर्शनी भी लगाई गई है। इस दौरान कुलसचिव धीरेंद्र कुमार वर्मा, प्रो। प्रशांत कुमार और मितेंद्र कुमार गुप्ता आदि मौके पर मौजूद रहे।