Meerut News : बुजुर्गों के लिए वार्ड बनाने में सात साल लग गए, शुरू कब होगा कह नहीं सकते
मेरठ (ब्यूरो)। पीएल शर्मा मंडलीय जिला अस्पताल में सात वर्ष पहले सीनियर सिटीजंस के लिए अलग जिरियाट्रिक केयर वार्ड की योजना शुरू हुई थी। योजना का खूब प्रचार-प्रसार भी हुआ। राष्ट्रीय बुजुर्ग स्वास्थ्य देखभाल मिशन के तहत आनन-फानन में 10 बेड का वार्ड भी तैयार कर दिया गया। लेकिन आज तक ये वार्ड शुरू नहीं हो सका। हालांकि तीन साल पहले भी एक कोशिश की गई लेकिन मेहनत रंग न ला सकी। शासन से इसे चलाने के लिए लगातार कम्यूनिकेशन भी किया जा रहा है, लेकिन नतीजा सिफर ही है।
बुजुर्गों के लिए योजना
शासन ने 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों को जल्द इलाज की सुविधा मुहैया करवाने के उद्देेश्य से ये योजना चालू की थी। इसके लिए अस्पताल के मेल सर्जिकल वॉर्ड के ही एक हॉल को चिंहित कर 10 बेड भी लगा दिए गए थे। 42 लाख रुपये के बजट से इसे अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित करना था। बुजुर्गों के लिए अलग से नर्स, हर बेड पर स्टॉफ, केयर यूनिट सुविधा भी दी जानी थी।
धूल फांक रहे उपकरण
करीब तीन वर्ष पहले जिरियाट्रिक केयर वार्ड को दोबारा तैयार कर इसमें अलग से 4 वेंटीलेटर, 10 कार्डिक मॉनीटर, 10 ऑक्सी मीटर, 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, एलईडी, म्यूजिक सिस्टम, एयर कंडीशनर, रूम हीटर आदि उपकरण लगाए गए थे। बावजूद इसके यहां मरीजों को प्रॉपर भर्ती नहीं किया जा सका। मरीजों के भर्ती न होने की वजह से यहां उपकरण भी धूल फांक रहे हैं।
बुजुर्गों का अकेलापन दूर करने के लिए वॉर्ड में मनोरंजन और अध्यात्म की भी सुविधा मिलनी थी। इलाज के दौरान मरीजों में होने वाले तनाव और अवसाद को दूर करने के लिए इसे भी प्लानिंग में शामिल किया गया था। उनके मनोरंजन के लिए वार्ड में टीवी, म्यूजिक सिस्टम की भी व्यवस्था की गई थी। इनका है कहना
दो स्टॉफ नर्स आई हैं। उनकी ट्रेनिंग करवाई गई है। बुजुर्गों को किस तरह से हैंडल करना है इसका विशेष प्रशिक्षण भी दिया गया है। अस्पताल में प्रचार-प्रसार भी करवाया जा रहा है। लोगों को भी योजना को लेकर जागरूक किया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक मरीजों को भर्ती किया जा सके।
डॉ। कौशलेंद्र सिंह, एमएस, जिला अस्पताल
बुजुर्गों को तनाव, अवसाद की शिकायत रहती है। आंखों की रोशनी व याददाश्त कम होने के साथ ही वह शुगर, बीपी, डिमेंशिया, अल्जाइमर जैसी बीमारियों से भी जूझते हैं। उनका ध्यान रखना काफी सावधानी भरा काम होता है। अलग से वार्ड होगा तो उनका इलाज और केयर आसान हो जाएगी।
डॉ। अंकित, सीनियर फिजिशियन
डॉ। अशोक कटारिया, सीएमओ, मेरठ