मेरठ की शचि का ये मानना है कि सबको पढऩा चाहिए, पर मुफ्त में भी किसी को पढ़ाना चाहिए
मेरठ (ब्यूरो)। शिक्षा का अधिकार सभी के लिए जरूरी है। अगर आप किसी एक भी बच्चे को शिक्षित करने में सहयोग करते हैं तो आप समाज को सुधारने में बड़ा योगदान दे रहे हैं। ऐसी ही कुछ कहानी है कि एमएससी की छात्रा शचि की, शचि इन दिनों मलिन बस्तियों में जाकर बच्चों को शिक्षित बनाने में सहयोग कर रहीं हैं। आइए पढ़ते हैं शचि की कहानी, उनकी ही जुबानी
एक कहानी ने बदली जिंदगीवैसे तो हर किसी के जीवन में टर्निंग प्वाइंट आता है। ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ। मेरा नाम शचि है, मैं एमएससी मैथमैटिक्स की स्टूडेंट हूं। एक दिन शांतनु सर की क्लास पढ़ रही थी। उन्होंने एक गरीब बच्चे की स्टोरी सुनाई। कैसे वो अभावों में रहकर सक्सेज प्राप्त करता है। बस, सर की इसी स्टोरी ने मुझे भी जीवन की नई राह दिखा दी।
शिक्षित बनाने का सपना
पहले मेरा सपना था कि मेरा करियर कैसा हो, पर जीवन की दिशा ही बदल गई है। अब सोचती हूं कि बच्चे कैसे शिक्षित हो, मलिन बस्तियों के बच्चे कैसे समाज की मुख्य धारा में शामिल हो। वैसे तो मेरा घर फूलबाग कॉलोनी में है। शांतनु सर भी गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए प्रयास करते हैं, इसलिए मैं भी उनके साथ बच्चों को पढ़ानेे में जुट गई।
मैं एमएमसी मैथमेटिक्स की स्टूडेंट हूं, मैं पिछले दो साल से शांतनु सर के साथ मिलकर बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हूं। मेरा सपना है कि इस देश को कोई बच्चा शिक्षा से महरूम ना रहे है। खासतौर पर पैसों के अभाव में बच्चों से उनकी शिक्षा का अधिकार ना छीना जाए। मैं अपने इसी सपने को पूरा करने के लिए हर रोज शहर की मलिन बस्तियों में जाकर बकायदा क्लॉस चलाती हूं, अब तो हमारी एक टीम भी है मेरे साथ टीम में आकांक्षा और श्वेता मलिक भी बच्चों को शिक्षित कर समाज सुधार की दिशा में प्रयास कर रहे हैं। जरूरत का सामान लेते हैं
हम लोग बच्चों को पढ़ाई के लिए हरसंभव प्रयास करते हैं। हमारा एक नियम है कि हम किसी से पैसा नहीं लेते हैं, अगर किसी को कुछ देना है तो उससे पैसे की जगह जरूरी चीजें लेते हैं। जैसे स्टेशनरी, किताबें और खाने पीने की चीजेें लेते हैं। जो लोग जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं उनसे जरूरत का ही सामान लेते हैं।
स्कूल में एडमिशन कराते हैं
हमारा प्रयास रहता है कि जो बच्चे किसी कारणवश पढ़ाई बीच में छोड़ चुके हैं या फिर स्कूल में एडमिशन नहीं ले पाए है। उनको हम एडमिशन दिलवाते हैं। मैनें खुद अपनी टीम के साथ मिलकर अभी तक 20 लड़कियों और 15 लड़कों को दोबारा से स्कूलों में एडमिशन दिलवाने का काम किया है। हमारा आगे भी यही प्रयास रहेगा।
पहले मैं अपने ग्रुप के साथ मिलकर रोजाना शाम को डेढ़ से दो घंटे की क्लास दिल्ली रोड स्थित मंगतपुरम मालिन बस्ती में चलाती थी। लेकिन अब मैं लालकुर्ती में ये क्लास चला रही हूं। क्लास में शिक्षा के साथ साथ की बच्चो के ओवरऑल डेवलपमेंट के लिए अन्य पाठ्यत्तर गतिविधियों से सक्षम बनाने का प्रयास किया जा रहा है। जिसमे आर्ट एंड क्राफ्ट, नृत्य, आदि शामिल है।