Meerut News : ये नौकरी भी कोई नौकरी है जी !
मेरठ (ब्यूरो)। जॉब में वर्क लोड ज्यादा है और ज्यादा प्रेशर लेने से डिप्रेशन जैसी हालत हो गई है। इसलिए नौकरी में मन नहीं लग रहा है। ये नौकरी भी कोई नौकरी है जीकुछ इसी तरह के सवाल युवाओं के मन में आ रहे है। इस कारण युवा धीरे-धीरे जॉब से क्विट कर रहे हैं। इंडियन लेबर ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट से यह चौकाने वाला खुलासा है। मेरठ में भी ज्यादा वर्क प्रेशर के कारण 425 कर्मचारियों ने विभिन्न कंपनियों के जॉब से क्विट कर लिया है। वहीं, डिप्रेशन में आने के कारण कुछ युवा काउंसलर्स की मदद ले रहे हैं।
आईएलओ की रिपोर्ट से खुलासा
देशभर की विभिन्न कंपनियों के वर्क कल्चर को समझने के लिए इंडियन लेबर ऑर्गेनाइजेशन ने 812 कंपनी पर रिसर्च की। इनमें 80 हजार से ज्यादा एंप्लाइज के अनुभवों को समझा। बीते दिनों आई रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 32 फीसदी युवा एक्स्ट्रा प्रेशर के कारण जॉब से क्विट कर रहे हैं। वहीं, यूपी में यह आंकड़ा 23 फीसदी के आसपास है। ज्यादा वर्क प्रेशर के कारण कर्मचारियों के जॉब छोडऩे की प्रवृत्ति को क्विट क्विटिंग कल्चर का नाम दिया गया है।
सबसे ज्यादा युवा
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार वर्क प्रेशर के चलते डिप्रेशन में आने वाले सबसे ज्यादा युवा है। इनकी उम्र 25 से 35 तक है। युवा कर्मचारियों के मुताबिक ज्यादा वर्क लोड के कारण जॉब और परिवार के बीच संतुलन बिगड़ जाता है। इससे रिश्ते खराब हो जाते हैं, और कर्मचारी धीरे-धीरे डिप्रेशन में आ जाते हैं। प्रोफेनल्स की मानें तो ऑफिस के साथ-साथ घर में भी काम निपटाना होता है। इससे परिवार को पर्याप्त समय नहीं दे पाते हैं।
मनोवैज्ञानिक डॉ। पूनम देवदत्त ने बताया कि आईएलओ की रिपोर्ट चौकाने वाली है। कई युवा ज्यादा वर्कलोड के कारण जॉब से क्विट कर रहे हैं। साथ ही वे वर्क प्रेशर के कारण डिप्रेशन जैसी बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। मेरठ में भी 425 युवा वर्क ओवरलोड के चलते जॉब छोड़ चुके हैं। सोशल मीडिया में ट्रेंड
सोशल मीडिया में भी क्विट क्विटिंग की चर्चा तेज हो गई है। कई रील्स और वीडियो में भी इस बात हो रही है। कई एक्सपर्ट भी ऑफिस के वर्क कल्चर और फेमिली रिलेशन के बीच सामंजस्य बनाने की सलाह देते हैं।
हमारे पास इस तरह के केस सामने आ रहे हैं। इनमें युवा वर्क लोड के चलते जॉब छोड़ रहे हैं। एक्स्ट्रा वर्क लोड के चलते कर्मचारियों का निजी जीवन भी प्रभावित हो रहा है। इससे वे डिप्रेशन जैसी बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में हम उनको क्विट क्विटिंग कल्चर अपनाने की सलाह दे रहे हैं।
डॉ। पूनम देवदत्त, मनोवैज्ञानिक
डॉ। विकास सैनी, सीनियर साइकेट्रिस्ट