क्या मेरठ हीट आइलैंड में बदलने जा रहा है
मेरठ ब्यूरो। क्या अपना मेरठ हीट आइलैंड में बदलने जा रहा है, ऐसा पहली बार हुआ है कि मेरठ में टेम्प्रेचर 48 डिग्री को टच कर गया है, जिस तरह से हरियाली खत्म हो रही है और कंक्रीट के जंगल फैल रहे हैं, मेरठ आने वाले समय में हीट आइलैंड में बदल सकता है। आपने ये भी गौर किया होगा कि बारिश के बावजूद टेम्प्रेचर भले ही 34 डिग्री तक आ गया हो, रियल फिलिंग अभी भी 40 डिग्री तक महसूस हो रही है।
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ये होता है हीट आइलैंड
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार किसी शहर का तापमान उसके आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के मुकाबले कई गुना बढ़ जाता है ऐसे शहरों को हीट आइलैंड की कैटेगरी में रखा जाता हैइस पूरी प्रक्रिया को अर्बन हीट आइलैंड इफेक्ट कहा जाता है।
टैम्पे्रचर और रियल फील
डेट टेम्प्रेचर रियल फील
23 जून 37 42
24 जून 35 42
25 जून 37 42
26 जून 31 36
27 जून 31 36
28 जून 33 39
29 जून 34 38.1
मौसम वैज्ञानिक डॉ। उदय प्रताप शाही बताते हैं इंसानी गतिविधियां किसी भी शहर को हीट आइलैंड बनाने में सबसे अहम रोल निभाती है।मेरठ में घटता हरा जंगल और बढ़ते कंक्रीट की इसमे बड़ी भूमिका है। एयरकंडीशनर से निकलने वाली गैस, वाहनों का धुआं,शीशे और स्टील का बढ़ते प्रयोग ने शहर को हीट आइलैंड बनने की तरफ मोड़ दिया है।
ऐसे डालेगा सेहत पर फर्क
चिकित्सक डॉ। वीके बिंद्रा बताते है कि बढ़ता तापमान इनसानी शरीर को कई तरह की बीमार करता है। आंकड़ों के अनुसार 43 डिग्री पर ह्दय और फेफडों में दिक्कत बढ़ जाती है। 44 डिग्री पर बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायत होने लगती है, 45 डिग्री पर ब्लड प्रेशर कम होने की समस्या। 45 से 50 डिग्री पर मांसपेशियां फैल जाती है, जिससे बे्रेन हेम्ब्रेज और नसों के फटने की संभावनाएं कई गुणा तक बढ़ सकती है।
डॉ एएन सुभाष, मौसम वैज्ञानिक कैसे कमी होगी यह गर्मी?
खुली जगहों पर पौधे लगाए, टैरेस गार्डन और किचन गार्डन बनाए जा सकते हैं। छत की जमीन पर सफेद रंग से पुताई करवाए, इस तरह से गर्मी के असर को कम किया जा सकता है।
डॉ। मधु वत्स, पर्यावरणविद बिजली उपकरणों का इस्तेमाल कम से कम हो, वाहनों को भी सीमित किया जाए, हरियाली को बढ़ाकर ही शहर को हीट आइलैंड बनने से बचाया जा सकता है
सुनीता, अध्यक्ष, हरियाली क्लब