‘पर्यावरण सुधारें वरना भविष्य और भयावह होगा’
मेरठ ब्यूरो। वेंक्टेश्वरा संस्थान के स्कूल ऑफ लॉ की ओर से भारत में पर्यावरण असंतुलन पर न्यायपालिका की सक्रियता विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार हुई। इसमें दिल्ली, लखनऊ, बेंगलूरु, चंडीगढ़, उत्तराखंड समेत देश के विभिन्न हिस्सों से 12 से अधिक कानूनविद् और पर्यावरणविद पधारे। उन्होंने पर्यावरण असंतुलन पर चिंता जताई। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता लखनऊ सेन्ट्रल लॉ यूनिवर्सिटी के डीन एवं विख्यात कानूनविद प्रो। डॉ। एसके चड्ढा ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में एक्यूआई इतना खराब है कि सांस लेना भी दूभर है। हालात इतने खराब है कि खुद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए शिक्षण संस्थानों को तत्काल प्रभाव से बंद करने आदेश दिए हैं। साथ ही ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि आज हालात लॉकडाउन जैसे हैं। इसके लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। म सब मिलकर प्रकृति संरक्षण के लिए काम नहीं करेंगे तो आने वाले समय में भयावह परिणाम होगा।
ये रहे मुख्य रुप से मौजूद
एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को पर्यावरणविद प्रो। जीके माटा सर्वोच्च न्यायालय के अधिष्ठाता डॉ। विवेक सिंह कानूनविद डॉ। गोपाल नारसन, कुलपति प्रो। डॉ। कृष्ण कान्त दवे, एनवायरमेंटिस्ट डॉ। राजेश सिंह आदि ने भी सम्बोधित किया।इस अवसर पर कुलसचिव डॉ। पीयूष पांडेय, डीन अकादमिक डॉ। राजेश सिंह, डॉ। टी।पी।सिंह, डॉ। दिनेश गौतम, डॉ। दिव्या गिरधर, डॉ। अनिल जायसवाल, डॉ। आशुतोष सिंह, डॉ। योगेश्वर शर्मा, डॉ। राजवर्धन, डॉ। ओमप्रकाश, डॉ। अश्विनी सक्सेना, डॉ। नीतू पंवार, डॉ। शिल्पा रैना एवं मेरठ परिसर से निदेशक डॉ। प्रताप सिंह एवं मीडिया प्रभारी विश्वास राणा सम्मिलित रहे ।