बिजली के खंभों को दूर से देखो तो ये एफिल टावर जैसे ही नजर आते हैं
मेरठ (ब्यूरो)। शहर में जिधर देखो पेरिस सरीखा एक नहीं सैैंकड़ों एफिल टावर आपको नजर आ जाएंगे। नहींनहीं कन्फ्यूज मत होइए।।।यहां बात बिजली विभाग द्वारा सालों पहले लगाए गए बिजली के खंभों की हो रही है। जो समय की मार झेलते-झेलते जर्जर होकर इतने झुक गए हैैं कि दूर से एफिल टावर जैसे नजर आते हैैं। इतना ही नहीं, इन जर्जर खंभों पर बिजली के तारों का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। जिसके चलते जरा-सी आंधी-बारिश में ये खंभे टूटकर गिर जाते हैैं। इन जर्जर खंभों में करंट उतर आना तो आम-सी बात हो गई है। जिसकी वजह से लोग लगातार हादसों की शिकार हो रहे हैैं। ऐसा नहीं है कि पीवीवीएनएल के पास इन खंभों को हटाकर बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने की कोई योजना नहीं है। योजना है लेकिन छह माह से अधर में अटकी पड़ी है।
हाल में हुए हादसे
21 मार्च को हापुड रोड पर बिजली का खंभा गिरने से युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था।
28 जनवरी को ईव्ज चौराहे पर बिजली के खंभे में स्पार्किंग के बाद आग लगने से हड़कंप मच गया था।
जनवरी माह में सदर बाजार में दो गायों की मौत बिजली के खंभे में करंट के कारण हो गई थी।
अक्टूबर माह में लावड़ क्षेत्र में बिजली के तार में करंट उतरने से एक मासूम की मौत हो गई थी।
जुलाई माह में परतापुर के काशी गांव में घर के बाहर खेल रही 8 साल की बच्ची की बिजली के खंभे में उतरे करंट से मौत हो गई थी।
पुराने शहर की तंग गलियों में बिजली के खंभों की स्थिति अत्याधिक खराब है। ऐसी कोई गली या मोहल्ला नही होगा जहां जर्जर या झुके हुए बिजली के खंभे न दिख जाएं। इन खंभों को देखकर यह लगता है कि किसी भी समय गिर सकते हैं। वहीं इससे भी बुरी स्थिति यह है कि शहर के अंदर संकरी गलियों में बने बिजली के खंभों पर सैकडों बिजली के तारों का जाल बुना हुआ है। इस जाल के कारण आए दिन बिजली के तारों में शार्ट सर्किट के कारण आग जैसी घटनाएं आम सी बात हो गई हैं। वहीं हल्की-सी बरसात में इन खंभों में करंट उतर आता है।
छह माह पहले बनी योजना
बिजली के खंभों का लोड कम करने के लिए विभाग ने छह माह पहले अक्टूबर में बिजली के तारों को अंडर ग्राउंड करने की योजना बनाई थी। मगर किन्ही कारणों से योजना अभी तक अधर में अटकी हुई है। इस योजना के तहत मेरठ में करीब 954 किमी क्षेत्र में विद्युत लाइन को भूमिगत करने का प्लान है।
इस योजना के तहत एलटी, एचटी और 33 केवी लाइनों को भूमिगत किया जाना है। इसमें अंडरग्राउंड करने पर प्रति किमी लगभग 70 लाख से एक करोड़ रुपये तक अनुमानित खर्च आएगा। जिसके लिए विभाग ने करीब 92 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इसमें 185 एमएम, 240 एमएम और 300 एमएम मोटाई के भूमिगत केबल अंडरग्राउंड किए जाएंगे। दरअसल, इनकी लाइफ 15 से 20 साल तक होती है। जबकि खुले तार पांच से आठ साल में खराब हो जाते हैं। इन क्षेत्रों में होगा काम
हापुड़ रोड
वैली बाजार
गुदड़ी बाजार
लाला का बाजार
सर्राफा बाजार स्थित नील गली
कैंचीयान
घंटाघर
खैरनगर
कबाड़ी बाजार
कोटला
अनाज मंडी
कागजी बाजार
शीश महल
डालमपाड़ा
सराय लाल दास
मकसूद अली चौक
किशन पुरी
केसरगंज
जलीकोठी
दालमंडी
पूर्वा महावीर अंडरग्राउंड केबिल के लिए पुराने शहर में लगातार सर्वे किया जा रहा है। कई क्षेत्रों में अंडरग्राउंड लाइन डालने का काम पूरा भी हो चुका है। बाकि क्षेत्रों में जल्द काम शुरू होगा।
राजेंद्र बहादुर, अधीक्षण अभियंता