Meerut News : जल्दी पहचान हो जाए तो डेंगू का इलाज आसान है
मेरठ (ब्यूरो)। डेंगू के सीजन की शुरुआत के साथ ही पैथोलाजी सेंटरों पर दवाब बढ़ जाता है। कई बार लक्षणों के आधार पर डेंगूु और बुखार में अंतर करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में केवल बीमारी की सही जांच और समय से डायग्नोसिस के आधार पर ही पहचान संभव है। जरुरी है कि एलाइजा की जांच और प्लेटलेटस काउंट रिपोर्ट यदि समय पता चल जाए तो डेंगू के मरीज भी समय रहते रिकवर हो सकते हैं।
लापरवाही पड़ सकती है भारी
गौरतलब है कि बुखार का मरीज पहुंचते ही डाक्टरों द्वारा एलाइजा, नॉन एनएबीएच, रैपिड टेस्ट, एनएस 1 और सीआरपी जांच कराने की सलाह भी दी जाती है। ताकि ये पुष्टि हो सके की मरीज को डेंगू तो नही है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों में तैयारी पूरी है। मरीजों के लिए अलग से डेंगू वार्ड बनाए गए हैं और बेड पर मच्छरदानी लगाई गई है। इसके अलवा डेंगू की जांच के एनएस1 कार्ड और एलाइजा जांच किट उपलब्ध हैं। उपचार के लिए पर्याप्त मात्रा में पैरासिटामोल की गोली, सिरप व अन्य सभी दवाइयां उपलब्ध कराई जा चुकी हैं।
डेंगू रैपिड टेस्ट (एनएस-1)
डेंगू रैपिड टेस्ट (एनएस-1+आईजीजी+आईजीएम कांबो)
हॉट स्पॉट में रैपिड डेंगू टेस्ट
गौरतलब है कि इस बार डेंगू का असर पिछले साल की तुलना में इस बार कुछ कम है। पिछले साल डेंगू का ज्यादा प्रकोप था क्योंकि 2023 में दिसंबर तक एक हजार से अधिक मरीज मिले थे जबकि इस बार अब तक 153 मरीज मिले हैं। हालांकि अधिक प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग की टीमों को कैंप करने के निर्देश दिए हैं। जिसके तहत इस माह माछरा के गोविंदपुर गांव में एक सप्ताह तक कैंप लगाकर मरीजों की जांच की जा रही है। साथ ही अन्य हॉट स्पॉट पर भी स्वास्थ्य विभाग पूरी नजर बनाए हुए है और एंटी लार्वा स्प्रे और जांच बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
मलियाना, कंकरखेड़ा, जयभीमनगर, कैंट, रजबन, साबुन गोदाम और नंगला बट्टू डेंगू के हॉट स्पॉट बने हुए हैं। देहात में सबसे ज्यादा मरीज रोहटा, मवाना, रजपुरा, जानी और दौराला ब्लॉक में मिले हैं।
डेंगू का दायरा बढ़ा
मेरठ जिले के हस्तिनापुर, खरखौदा, जाहिदपुर, ब्रहमपुरी, जयभीमनगर, दौराला, सरधना, कंकरखेडा, रोहटा साबुन गोदाम आदि कई साल से डेंगू के हॉट स्पाट बने हुए हैं। इन जगहों पर हर साल डेंगू के सबसे अधिक मरीज मिलते हैं। हालांकि इस बार पल्हेड़ा, जानी, दौराला, कुंडा, शकूर नगर, ब्रह्मपुरी, राजेंद्र नगर, लल्लापुरा, तहसील तारापुरी और लखीपुरा आदि क्षेत्रों से डेंगू के मरीजों की संख्या अधिक तेजी से बढ़ रही है।
डेंगू के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं का रोल नहीं होता। इसका कोरोना की तरह ही सिम्टोमेटिक इलाज होता है। हालांकि साधारण डेंगू खुद भी ठीक हो जाता है और उसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती है लेकिन कुछ गंभीर लक्षणों पर नजर रखने की जरूरत होती है। हालांकि अभी तक केवल मरीज की रिपोर्ट के अनुसार डेंगू की पुष्टि होने पर ही उसे डेंगू का ट्रीटमेंंट दिया जा रहा है। यह है गंभीर स्थिति
यदि डेंगू पीडि़त मरीज का पेट फूलने लगे, उलटी होने, मसूढ़े या फिर शौच से खून आने लगे, बदन में दाने (रैश) निकलने लगे तो सतर्क हो जाना चाहिए और तुरंत चिकित्सक से मिलकर जांच और इलाज शुरू कर देना चाहिए। वहीं अगर प्लेटलेट्स 15 से 20 हजार के नीचे आता है या फिर चक्कर व शरीर के किसी अंग से खून आ रहा हो तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है। इसे वार्निंग साइन माना जाता है।
इन बातों का रखें ख्याल
अगर व्यक्ति को तेज बुखार, जोड़ों में तेज दर्द और शरीर पर रैशेज दिखाई दें तो तुरंत उसे डेंगू का टेस्ट करवा लेना चाहिए।
वही स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर हर साल डेंगू सीजन से पहले हेल्थ केयर प्रोफेशनल्स की ट्रेनिंग होना बहुत जरुरी है। हालांकि विभाग अपने अपने स्तर पर ट्रेनिंग सेशन व वर्कशाप का आयोजन करते हैं लेकिन इसके बाद भी इसका कुछ खास फायदा नही दिखता है। ऐसे में जरुरी है कि इस ट्रेनिंग सेशन को गंभीरता से लागू किया जाए। हर साल डेंगू का हाल बदहाल
साल डेंगू
2016 195
2017 660
2018 202
2019 215
2020 35
2021 1668
2022 348
2023 1339
2024 153 अब तक
डेंगू के मरीजों को शुरुआत में ही अपनी जांच करा लेनी चाहिए। ताकि समय से पहचान होने के बाद चिकित्सीय सलाह पर उपचार दिया जा सके। कई बार लक्षणों के आधार पर खुद से उपचार करना घातक साबित हो सकता है।
डॉ। अशोक कटियार, सीएमओ
डॉ। सत्य प्रकाश, जिला मलेरिया अधिकारी