मेरठ की सना का कहना है कि खाद बनाना सीखाती हूं...
मेरठ (ब्यूरो)। पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के मंत्र का मेरठ की इस बेटी पर ऐसा प्रभाव पड़ा कि अच्छी खासी नौकरी छोडक़र जैविक खाद बनाने शुरू की। साथ ही साथ घर घर जाकर महिलाओं और युवाओं को भी जैविद खाद के लिए प्रेरित कर रही हैं। दैनिक जागरण आई नेक्टस से सना खान ने अपने अनुभव को शेयर किया।
7 साल पहले की थी बीटेकमेरा नाम सना खान है। 7 साल पहले मैंने बायोटेक से बीटेक कंप्लीट की थी। चाहती तो किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर सकती थी, लेकिन मैं समाज के लिए कुछ करना चाहती थी। चूंकि मैंने वर्मी कंपोस्ट मेरा सब्जेक्ट था। मुझे इस बारे में अच्छी खासी जानकारी भी थी, इसलिए मैंने करियर के तौर भी इसको चुना। जिस गोबर को डेयरी संचालक नाली में बहा देते हैं। आज उसी गोबर से मेरी और मेरी कंपनी की पहचान है।
पांच किलो केंचुए से सफर शुरू
बीटेक के बाद वर्मी कंपोस्ट खाद तैयार करने को करियर चुनने को लेकर पहले तो घरवालों से विरोध किया, फिर मेरी लगन और इच्छाशक्ति देखकर परिजन राजी हो गए। शुरूआत में मैंने सिर्फ 5 किलो केचुए खरीदे थे। इसके साथ ही खाद बनाने का सफर शुरू हो गया।
रिश्तेदारों ने ताने मारे
हालांकि, शुरुआत में मुझे भी समाज की रुढि़वादी सोच का सामना करना पड़ा। रिश्तेदारों और पड़ोसियों ने कहा कि आखिर यह लडक़ी करना क्या चाहती है। आस पड़ोस के लोगों ने ताने भी मारे, लेकिन मैं अपने लक्ष्य के प्रति संकल्पित थी। इसलिए मैने हार नहीं मानी।
सबसे पहले हमने जीआईसी इंटर कॉलेज में कंपोस्टिंग प्लांट शुरु किया। यहां से जैविक खाद बनाई। हम शहर की डेयरियों से गोबर इकट्ठा करते। उसे अपने प्लांट में लाते। इसके बाद केचुए के जरिए खाद बनाते। आस्ट्रेलियन केंचुए का कर रहे प्रयोग
हमारा आज के दिन राली चौहान गांव में सात बीघा में प्लांट चल रहा है। जहां ना सिर्फ देसी बल्कि आस्ट्रेलियन केंचुए का प्रयोग कर जैविक खाद तैयार की जा रही है। धीरे धीरे देश विदेश में मेरी पहचान बनने लगी, जो लोग पहले मुझे ताने मारते थे, आज वही तारीफ कर रहे हैं।
किचन वेस्ट से खाद बनाने की सीख
साल 2020 में नगर निगम ने मुझे स्वच्छता की ब्रांड एम्बेसडर बनाया। हमारी टीम ने शहर की कई कॉलोनियों में जाकर महिलाओं को किचन वेस्ट से कंपोस्ट प्लांट बनाने की ट्रेनिंग दी। स्कूल कालेजों में भी जाकर आर्गेनिक फार्मिंग की जानकारी देते हैं। हमारी टीम अब तक शहर के दो हजार घरों में होम कंपोस्टिंग प्लांट लगवा चुके हैं।
हमारी कोशिश है कि घर की रसोई से निकलने वाला कूड़ा घर की क्यारी में ही बतौर खाद काम आ जाए। इसके अलावा करीब 104 स्कूलों में और सूरजकुंड समेत 10 पार्कों में हमारी टीम ने कंपोस्टिंग प्लांट बनाए हैं। युवाओं को दे रही ट्रेनिंग
राली चौहान गांव में हमारी कंपनी &एसजे ऑर्गेनिक्स&य पारंपरिक तरीकों से वर्मी कम्पोस्ट यानि केचुओं से खाद तैयार करती है। यह खाद को देश के अलग-अलग राज्यों में भेजी जाती है। इसके लिए मार्केटिंग में मेरे पति भी पूरा सहयोग कर रहे हैं। हमारी कंपनी ने करीब 80 से 90 लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है। इसके साथ ही इस प्लांट पर रोजाना युवाओं को वर्मी कंपोस्ट बनाने के लिए फ्री ट्रेनिंग भी दी जाती है।