लड़कियों को सेल्फ डिफेंस के लिए जूडो की ट्रेनिंग दे रहीं भावना शर्मा अब 4 हजार से ज्यादा लड़कियों को जूडो की ट्रेनिंग दे चुकी हैैं।

मेरठ (ब्यूरो)। बात 2005 से पहले की है। दोपहर का वक्त रहा होगा, कॉलेज की छुट्टी हुई थी। सारे स्टूडेंट्स अपने अपने घर जा रहे थे। मेरी भी बेस्ट फ्रेंड अपने घर जा रही थी। घर में सिर्फ वो और उसकी मां थी, इसलिए वो जल्दी में थी, रास्ते में एकांत देखकर कुछ लड़कों ने उसे घेर लिया, उसका दुपट्टा खींचने लगे, फब्तियां कसने लगे। उसने विरोध किया तो एक लड़के ने उसका हाथ पकड़ लिया। वह घबरा गई। वह चिल्ला उठी तो आसपास के लोग आ गए, और मनचले वहां से भाग निकले, उस दिन वह डर सहमी आंखों में आंसू भरकर घर पहुंची। कुछ दिनों तक वह गुमसुम रही, न कुछ बोलती और न कुछ बताती। उसकी मां ने मुझे बताया, मैने उससे पूछा तो उसने सारी कहानी बताई। मेरी सहेली का यह हाल सुनकर मेरी आंखों में खून उतर आया, तभी मैने संकल्प लिया कि आज के बाद कोई भी लड़की अबला नहीं होगी, वह खुद में इतनी मजबूत होगी कि मनचलों को मुंहतोड़ जवाब दे सके।

छेड़खानी देखी तो खून खौला
मेरा नाम भावना शर्मा है। अब मेरे जीवन का यही मकसद है कि मेरे शहर की लड़कियां शारीरिक तौर पर मजबूत हों। छींटाकशी और छेड़खानी का वो खुद ऐसा जवाब दें कि कोई दोबारा हिम्मत न कर सके। मेरे दिल में सहेली का वो दर्द हमेशा के लिए घर कर गया था। इसलिए मैनें खुद 2005 में जूडो सीखा। फिर 2006 से लड़कियों को जूडो की ट्रेनिंग देने में जुट गई। मेरी संस्था पंख हौसलों की उड़ान के जरिए अब मैं छोटी-छोटी बच्चियों को सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाती हूं। शास्त्रीनगर, परतापुर, मोहकमपुर आदि के स्कूल- कॉलेजों में जाकर जूडो की ट्रेनिंग देती हूं।

जरूरी है सेल्फ डिफेंस
उन दिनों में शहर में लड़कियों के छेड़खानी की घटनाएं खूब होती थी, स्कूल कॉलेजों में आती जाती लड़कियों पर मनचले कमेंट पास करते थे। यह देखकर मेरा खून खौल उठता था। बस बेटियों को सेल्फ डिफेंस के रास्ते पर ले जाना ही मेरे जीवन का मकसद बन गया है। अब मुझे 15 साल से ज्यादा हो गए हैं।ृ अभी तक 4000 से ज्यादा लड़कियों को जूडो की ट्रेनिंग दे चुकी हूं। इनमें मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, हापुड़, मेरठ जिले की लड़कियां हैं। समय-समय पर आरजी, इस्माइल डिग्री कॉलेज आरपीजी, मेरठ पब्लिक गर्ल्स स्कूल, आइआइएमटी, बेसिक शिक्षा के सात से आठ स्कूलों में जाकर जूडो सिखाती हूं। ताकि लड़कियां शारीरिक तौर पर मजबूत बनें। फिलहाल पुलिस लाइन में 120 से अधिक महिला पुलिसकर्मियों को जूडो की ट्रेनिंग दे रही हूं।

अब डरें नहीं, बल्कि लड़ें
वैसे, मेरा घर शास्त्रीनगर के सेक्टर दो में है। वहां भी लड़कियों को शारीरिक फिटेनस के ट्रेनिंग दे रही हूं। उन्हें जूडो की ट्रेनिंग देती हूं। सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाती हूं ताकि लड़कियां तुरंत ही मनचलों को मुंह तोड़ जवाब दे सकें। मेरा मानना है कि अगर लड़कियों के खिलाफ होने वाले अपराध को कम करना है तो उन्हें सेल्फ डिफेंस सिखानी ही होगी। उनको इसके लिए किसी भाई या किसी अन्य का इंतजार न करना पड़े।वो खुद ही करारा जवाब दे सकें। मैं साउथ एशियन गेम्स 2011 में सेंबो (रशियन मार्शल आर्ट) में गोल्ड मेडल जीत चुकी हूं। अब मैं लड़कियों को भी ट्रेंड करके उनके पंखों में हौसलों की उड़ान भर रही हूं।

Posted By: Inextlive